कानपुर आए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, बोले - जब बोलत हो तो नीक लागत हो.. कहकर दिलाया था जिम्मेदारी का एहसास
कानपुर में अखिल भारतीय सर्वभाषा साहित्यकार सम्मेलन एवं अलंकरण समारोह में केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने कहा कि हिंदी समाज को जोड़ती है। इसलिए किसी भाषा का विरोध नहीं करना चाहिए। समारोह में उन्होंने कानपुर से जुड़ी पुरानी यादों को भी ताजा किया।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek AgnihotriUpdated: Sun, 16 Oct 2022 08:25 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। हिंदी प्रचारिणी समिति व भारतीय बाल कल्याण संस्थान की ओर से आयोजित अखिल भारतीय सर्वभाषा साहित्यकार सम्मेलन एवं अलंकरण समारोह शामिल होने आए केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने समारोह में कहा कि संस्कृत और भारतीय संस्कृति से ही देश की प्रतिष्ठा विश्व में है। हिंदी समाज को जोड़ती है, जिससे मैं राष्ट्रीय राजनीति में पहुंच सका। कानपुर उसी हिंदी का संरक्षण व संर्वधन कर रहा है। साहित्य व सज्जन जीवन को सार्थक बनाते हैं। धर्म का मतलब कर्तव्य व जिम्मेदारी का निर्वहन है, पंथ या मजहब नहीं। विरोध छोड़कर हर भाषा का सम्मान करें।
भइया जब बोलत हो तो बड़ा नीक लागत हो
समारोह में राज्यपाल ने 1980 में कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने की यादें ताजा करते हुए कहा कि यह हिंदी का शहर है। खानों में बंटे समाज को एक करने के लिए हिंदी बोलने लगा। घंटाघर में पहली मीटिंग में कहा था कि पावन गंगा तट पर बसी इस नगरी से चुनाव लड़ने से गर्व व जिम्मेदारी का अहसास हो रहा है। यहां के लोग कहते थे कि भइया बड़ा नीक लागत है, जब बोलत हो। वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति सबसे अलग है। यहूदी, ईसाई, मुस्लिम सब हिंदुस्तान के हैं। मदीना के बाद दूसरी मस्जिद केरल में बनी, जो हिंदू राजा ने बनाई थी।
भाषा के बारे में बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जितनी भाषाएं सीख सकते हो सीखो। हार्वर्ड विश्वविद्यालय का रिसर्च पेपर कह रहा, दो या अधिक भाषाएं जानने वाला दिमागी बीमारी का शिकार नहीं होगा। दिमाग काम तब करता है, जब चुनौती सामने होती है। चुनौतियों से लड़ने वाला असाधारण होता है। समाज में साहित्यकारों व बच्चों को लेकर काम करें। किसी को बुरा कहने के बजाय जिनसे शिकायत है, उनके जैसा बनो। शिक्षा से ही भारत आगे जा सकता है।
पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र ने कहा, बच्चों का विकास ही देश का विकास है। मिलावट करने वालों को आजीवन कारावास की सजा मिले। पानमसाला के विरोध में आवाज उठा रहे। इससे पहले राज्यपाल को पद्मश्री डा. श्याम नारायण पांडेय स्मृति कीर्ति कौस्तुभ सर्वोच्च अलंकरण, जबकि पूर्व विधायक भूधर को कीर्ति भारती, डा. हरिभाऊ खांडेकर को साहित्य श्री, पीपीएन कालेज के पूर्व प्राचार्य जहान सिंह, सुरेश अवस्थी, अंजनी निगम, नरेश चंद्र त्रिपाठी, वंदना देबराय, बीना उदय, राष्ट्रकवि देवी प्रसाद राही की पुत्री नूपुर राही, राजकुमार सचान, अजीत सिंह राठौर, डा. उदय नारायण, आर्जव जैन, मेधावी छात्र-छात्राओं घनेंद्र, यशिका, शुभि, वैष्णवी, तोषू पंत आदि 60 लोगों को सम्मानित किया। नूपुर को सम्मानित करते समय राज्यपाल भावुक हो गए। साहित्य सपर्या पत्रिका के विशेषांक समेत कई साहित्यकारों की पुस्तकों का लोकार्पण भी उन्होंने किया। संस्था के प्रधानमंत्री डा. राजीव रंजन पांडेय, राघवेंद्र सेठ, कीर्तिवर्धन पांडेय, प्रो राकेश शुक्ला, दिनेश बाजपेयी, सतीश पांडेय, रमाकांत बनफूल, स्वदेश शुक्ला व प्रदीप पांडेय आदि मौजूद रहे।
पूर्व विधायक भूधर समेत पुराने कांग्रेसियों के पहुंचे घर, कहा-दिलों के संबंध
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद कांग्रेस के पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र, पाली अरोड़ा व शंकरदत्त मिश्र के घर भी गए। भूधर के यहां पूर्व विधायक गणेश दीक्षित, संजीव दरियाबादी, आसकरन संखवार, सरदार कुलदीप सिंह, आलोक मिश्रा आदि से मिलकर यादें ताजा की तो पाली के घर पर विधायक महेश त्रिवेदी, कर्मवीर, सुबोध चोपड़ा से भी हालचाल लिए। कहा-ये दिलों के संबंध हैं। वह प्रोटोकाल तोड़कर लोगों से मिले।ड्रेस स्कूलों का अधिकार, 15 साल में दिखेगा बदलाव
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने पूर्व विधायक भूधर के घर पत्रकारों से बातचीत में हिजाब मामले पर कहा कि भारत में वेशभूषा की आजादी है, लेकिन ड्रेस स्कूलों का अधिकार है। शहर के सेंट मेरी स्कूल का जिक्र कर बोले-वहां देखिए हर जाति-धर्म की बेटियां एक ड्रेस पहनती हैं। इसलिए स्कूलों में ऐसा बना रहना चाहिए। महिलाएं-बेटियां राष्ट्र निर्माण में आगे आई हैं। केरल में अवार्ड जीत रहीं। इनपर विश्वास करना होगा। गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की मांग करने वालों का नजरिया है। भारतीय संस्कृति ही ऐसी है।
सर सैयद डे पर ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन आफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में नहीं बुलाने को लेकर कहा कि आमंत्रण आया था, व्यस्तता के कारण नहीं जा पाए। बोले-केरल में कट्टरता नहीं, माहौल खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यूपी में लोग गांव से शहर आ रहे हैं। 15 सालों में शिक्षित माताओं के कारण बड़ा बदलाव दिखेगा
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