Foundation Day Special : जानिए, कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री का 41 साल के सफर की प्रमुख उपलब्धि
फील्ड गन फैक्ट्री ने बीते कई वर्षों सफल आयुध देकर रक्षा प्रणाली को मजबूत किया है।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Wed, 20 May 2020 03:37 PM (IST)
कानपुर, [श्रीनारायण मिश्र]। वर्ष 1979 में 19 मई को जब कानपुर में फील्ड गन फैक्ट्री की नींव डाली गई थी तब यह किसी को अहसास नहीं था कि विश्व की नामचीन हथियार कंपनी इसके आगे झोली फैलाएगी। शुरुआत में 105 एमएम गन बनाने वाली इस फैक्ट्री ने 41 साल के अपने सुनहरे सफर में धनुष तोप के लिए वह ब्रीच मैकेनिज्म तैयार किया, जिसको स्वीडन की कंपनी ने खरीदा।
आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड नेने अपनी उपयोगिता को साबित किया। टी-72 टैंक के लिए बैरल तैयार किए तो 1994 में .32 बोर रिवाल्वर भी बना डाली, जिसकी भारतीय बाजार में बेहद मांग रही। बीता दशक गन फैक्ट्री का स्वर्णिम दौर कहा जा सकता है, जब 2012 में 155 एमएम कैलिबर की धनुष तोप का बैरल तैयार किया। 2018 में यह तोप सेना को सौंपी। यह तोप मूल रूप से स्वीडिश कंपनी से खरीदी गई 155 एमएम होवित्जर तोप का आधुनिक रूप है। यही वजह है कि वर्ष 2019 में बोफोर्स कंपनी ने खुद यह तकनीक आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड से खरीदी। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सबसे हल्की रिवाल्वर निर्भीक का निर्माण 2013 में किया। वर्ष 2019 में यहां बनी शारंग तोप भी सेना को सौंपी गई।
फील्ड गन फैक्ट्री के वरिष्ठ महाप्रबंधक अनिल कुमार कहते हैं कि निर्माणी लगातार आगे बढ़ रही है और वैश्विक मुकाबले को तैयार है। हाल ही में 105 एमएम कंपलीट गन की ओवरहालिंग को प्रोजेक्ट लिया है। 76 एमएम एसआरजीएम नेवी की गन को विकसित किया है। इसका निर्यात भी हम बोफोर्स कंपनी को कर रहे हैं। बोफोर्स कंपनी से धनुष तोप के ब्रीच मैकेनिज्म का और आर्डर मिला है। 155 एमएम और 52 कैलिबर की गन अब पूरी तरह यहीं तैयार होगी।
यह बड़ी उपलब्धियां भी हैं धनुष तोप की खासियत
- मारक क्षमता : 40 किलोमीटर
- बैरल की लंबाई : 6975 मिलीमीटर
- चेंबर वाल्यूम : 23 लीटर
- बैरल क्षमता : 45 कैलिबर
- फायर रेट: प्रति मिनट 12 राउंड
- वजन : 2692 किलोग्राम
- रफ्तार : 890 मीटर प्रति सेकेंड
- एलीवेशन प्वाइंट : -3 अंश से 75 अंश तक, धनुष तोप बोफोर्स से 13 किलोमीटर अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम।
- हाईटेक टेक्निकल कंप्यूटर, नेवीगेशन सिस्टम, मँजल वेलोसिटी रडार और ओटोमेटिक गन साइटिंग सिस्टम आदि।
क्यों खास है शारंग
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- सोवियत संघ से खरीदी एम-46 तोपों का स्वदेशी अवतार है शारंग।
- एम-46 430 एमएम व 39 कैलिबर की थी जबकि शारंग 155 एमएम और 45 कैलिबर की तोप है।
- पूरी तरह स्वदेशी शारंग अंतरराष्ट्रीय तोपों से बेहद सस्ती सिर्फ 70 लाख की है।
- बैरल की लंबाई सात मीटर है।
- 39 किमी. तक मारक क्षमता जबकि एम-46 की क्षमता 27 किमी. है।
- एम-46 के मुकाबले तीन गुना अधिक घातक।
- सेल्फ प्रोपेल्ड गन, इस तोप में इंजन फिट रहता है।
- 140 एमएम रॉकेट बैरल
- टी- 90 और टी - 72 टैंक के बैरल
- मॉडल निशंक 0.32 कैलिबर
- वजन 740 ग्राम
- बैरल की कुल लंबाई 131.65 मिमी.
- बैरल की प्रभावी लंबाई 87.2 मिमी.
- 50 मीटर प्रभावी मारक क्षमता
- छह राउंड रिवाल्विंग चेंबर
- सिंगल फायर और रैपिड फायर मैकेनिज्म
- बायोमीटिक होलस्टर