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कोतवाली बन सकती है पुलिस आयुक्त कार्यालय का विकल्प

पुलिस आयुक्त कार्यालय के लिए अधिकारी अब तक आधा दर्जन से अधिक इमारें देख चुके हैं।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 01 Apr 2021 02:06 AM (IST)
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कोतवाली बन सकती है पुलिस आयुक्त कार्यालय का विकल्प

जागरण संवाददाता, कानपुर : पुलिस आयुक्त कार्यालय के लिए अधिकारी अब तक आधा दर्जन से अधिक इमारतें देख चुके हैं। यह सभी इमारते दूसरे विभागों की हैं या किसी निजी व्यक्ति की हैं। हालांकि पुलिस विभाग के पास भी दो बेहतर विकल्प मौजूद हैं। सबसे बेहतर विकल्प बड़ा चौराहे पर खड़ी कोतवाली की ऐतिहासिक इमारत है।

कोतवाली की आधारशिला 84 साल पहले अंग्रेज गवर्नर ने रखी थी। इस इमारत का भूमि पूजन 10 मार्च 1936 को आगरा और अवध के गवर्नर जनरल हैरी हैग ने किया था। 26 अप्रैल 1938 को कोतवाली का संचालन शुरू हुआ। मौजूदा समय में यह शहर की प्रचीन इमारतों में से एक है, लेकिन बड़ा आकार होने से इसकी देखरेख नहीं हो पा रही। कोतवाली परिसर के भूतल में कोतवाली कार्यालय व सीओ कार्यालय के दो बड़े हाल और करीब दस कमरे हैं। पहली मंजिल पर डीपीसी पूर्वी कार्यालय के हाल और सिख एसआइटी के कार्यालय के अलावा दो बड़ी बैरक भी हैं। मुख्य इमारत से पीछे सर्वेंट क्वार्टर भी हैं। अगर इस इमारत को खाली कराकर इसमें पुलिस आयुक्त कार्यालय संचालित किया जाए तो ऐतिहासिक इमारत का संरक्षण भी हो सकेगा। कोतवाली को पुलिस कार्यालय की तीन इमारतों में से किसी एक में शिफ्ट किया जा सकता है। वहीं बादशाहीनाका का निर्माणाधीन थाना भी एक विकल्प हो सकता है। हालांकि रास्ते में लगने वाला जाम एक रोड़ा भी है। सीपी, डीसीपी व एसीपी कोर्ट के कामकाज का बंटवारा

- नहीं होगा अपर पुलिस आयुक्त का न्यायालय

- केवल पुलिस आयुक्त के आदेशों का कराएंगे क्रियान्वयन

जागरण संवाददाता, कानपुर : कमिश्नरेट के पहले न्यायालय में बुधवार से कामकाज शुरू हो गया। पुलिस आयुक्त ने न्यायालयों के कामकाज का बंटवारा भी कर दिया है। इस व्यवस्था में फिलहाल अपर पुलिस आयुक्त का न्यायालय नहीं होगा। बड़ी बात यह है कि अधिकारियों को अपने क्षेत्र नहीं दूसरे क्षेत्रों के मामले सुनने का अधिकार होगा। अपर पुलिस आयुक्त डॉ. मनोज ने बताया कि सभी अधिकारियों के न्यायालय उनके कार्यालय में ही होंगे।

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पुलिस आयुक्त न्यायालय : यह न्यायालय गैंगस्टर व गुंडा एक्ट लगाने की कार्रवाई करेगी। अभी तक गुंडा एक्ट या गैंगस्टर लगाती पुलिस थी, लेकिन इस पर अंतिम मुहर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट लगाते थे।

डीसीपी कोर्ट : इस न्यायालय के पास सीआरपीसी की धारा 145, 146 और 133 के तहत कार्रवाई का अधिकार होगा। यह धाराएं शांति व्यवस्था से जुड़ी हैं। विवादित जमीनों के निस्तारण का अधिकार भी डीसीपी कोर्ट के पास होगा। सीआरपीसी की धारा 145 में अचल संपत्ति जैसे भूमि या जल को लेकर विवाद होते हैं, जिनसे समाज में शांतिभंग व लोक व्यवस्था भंग होने का खतरा होता है। इससे निपटने के लिए धारा 145 के तहत ऐसी संपत्तियों को सीज करने का प्रविधान है। धारा 146 में अचल संपत्ति से जुड़े विवादों से शांतिभंग होने की आशंका होने पर मजिस्ट्रेट एक तारीख पर दोनों पक्षों को बुलाकर सुनवाई करता है और अपना निर्णय देता है। धारा 133 में जर्जर भवन या पेड़ जिनके गिरने से लोकहानि होने की आशंका है तो उन्हें गिराया जा सकता है। यह फैसला भी अब डीसीपी स्तर से किया जाएगा।

एसीपी न्यायालय : एसीपी के पास शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार आरोपितों की जमानत पर पाबंदी अधिकार होंगे।