UP: विश्व क्रिकेट में छाया अर्चना की फिरकी का जादू, रोते हुए मां बोली- बेटी ने सारे दुख भुलवा दिए
कोच कपिल देव पांडेय ने बताया कि अर्चना में सीखने की ललक है जिसके चलते वो स्पिन गेंदबाजी की हर कला को सीखने के लिए नेट्स पर घंटों समय बिताती थी। स्पिन के साथ अर्चना फिटनेस पर भी बहुत काम करती थी।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 31 Jan 2023 07:21 AM (IST)
जागरण संवाददाता, उन्नाव/कानपुर : अंडर-19 विश्व क्रिकेट में देश का नाम रोशन करने वाली राइट आर्म आफ ब्रेक स्पिनर अर्चना देवी ने वो मुकाम हासिल कर लिया जिसे महिला क्रिकेटरों में अभी तक उप्र का कोई भी खिलाड़ी हासिल नहीं कर पाया है। साउथ अफ्रीका में रविवार को हुए फाइनल मुकाबले में उन्नाव के छोटे से गांव रतईपुरवा की अर्चना की फिरकी से अंग्रेज महिला खिलाड़ी चकरा गईं।
कानपुर में चाइनामैन कुलदीप यादव के साथ अभ्यास कर स्पिनर गेंदबाजी में माहिर हुईं अर्चना के पास एक समय बल्ला और गेंद खरीदने के पैसे नहीं थे। भारतीय अंडर-19 टीम के विश्व कप जीतने पर अर्चना के गांव और कर्मभूमि कानपुर में यूपीसीए व केसीए की ओर से जश्न मनाया गया। मां सावित्री ने जैसे ही टीम के जीतने का दृश्य टीवी पर देखा तो खुशी से रो पड़ीं और बोलीं-बेटी ने सारे दुख भुलवा दिए।
अर्चना पिछले छह वर्षों से लाल बंगला के रोवर्स मैदान में कुलदीप यादव के कोच कपिल देव पांडेय से स्पिन गेंदबाजी सीख रही हैं। वे उप्र की अंडर-19 टीम और सीनियर टीम की प्रमुख दाएं हाथ की आफ ब्रेक स्पिनर अर्चना बेहतर गेंदबाजी के साथ बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण में सबसे मजबूत खिलाड़ियों में पहचानी जाती हैं। कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन के लीग मैच में खेलकर अपने क्रिकेट सफर की शुरुआत की। अर्चना ने विश्व कप में खेले सात मैचों में आठ विकेट हासिल किए।
कोच कपिल देव पांडेय ने बताया कि अर्चना में सीखने की ललक है जिसके चलते वो स्पिन गेंदबाजी की हर कला को सीखने के लिए नेट्स पर घंटों समय बिताती थी। स्पिन के साथ अर्चना फिटनेस पर भी बहुत काम करती थी। इस कारण से ही वो फाइनल में यादगार कैच लेने में कामयाब हुई। केसीए के चेयरमैन डा. संजय कपूर ने आर्थिक मदद कर इस बेटी को ऊंची उड़ान भरने को पंख दिए। अर्चना को इस मुकाम तक पहुंचाने के मां सावित्री ने बहुत संघर्ष किया।
खुशी से झूमे गांव के लोग: बेटी की उपलब्धि पर दीपावली जैसा जश्न मनाया गया। जीत की खुशी में मां सावित्री और भाई रोहित की आंखें भी छलक आईं। अर्चना के चाचा हरिप्रसाद ने बताया कि जैसे ही भारतीय टीम की जीत हुई तो भाई रोहित अपने साथियों के साथ नंगे पैर बेरियागाढ़ा गांव स्थित नानू बाबा के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने गया।
रविवार देर शाम रतईपुरवा गांव का नजारा देखते ही बना। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम की जीत होते ही गांव में जश्न शुरू हुआ। आतिशबाजी की रोशनी ने पूरे क्षेत्र में इस उपलब्धि का अहसास करा दिया। परिवार के लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत की खुशी मनाई।
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