सहयोग से समाधान: तकनीक के साथ कदम बढ़ाए तो दौड़ पड़ा कपड़ा कारोबार
कानपुर में नौघड़ा के श्री साड़ी सेंटर के कपड़ा कारोबारी पवन दुबे ने अच्छी सर्विस और तकनीक से ग्राहकों का विश्वास जीता और लॉकडाउन के दौरान संचार माध्यम से अपने बिजनेस को लगातार आगे बढ़ाया। साड़ी की दुकान के नाम से एक वेबसाइट भी बनाई।
कानपुर, जेएनएन। लॉकडाउन के बाद अनलॉक शुरू हुआ तो बाजार थोड़ा-थोड़ा खुलने शुरू हुए। मगर, थोक बाजार में दूसरे जिलों से आने वाले फुटकर दुकानदार गायब थे, जिनके दम पर थोक बाजार चलता है। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच फुटकर कारोबारी यात्रा करके आने को तैयार नहीं थे। लाखों रुपये का माल दुकान में भरे होने के बाद भी बिक्री का संकट था। एेसे में नौघड़ा के श्री साड़ी सेंटर के पवन दुबे ने कारोबार के साथ तकनीक को जोड़ा और खरीदार के दरवाजे तक माल डिलीवरी की गारंटी ली। कुछ ही दिनों में ग्राहकों का विश्वास उन पर जम गया। माल भेजा जाता तो दूसरी तरफ से भुगतान आ जाता।
समाधान 1: ऑनलाइन ने बढ़ाया कारोबार
श्री साड़ी सेंटर करीब छह दशक पुराना है। यह साड़ी और सूट की थोक दुकान है। कानपुर सहित आसपास जिलों से फुटकर दुकानदार यहां आते हैं। लॉकडाउन हुआ तो सबकुछ ठप हो गया। पवन दुबे बताते हैं, समझ ही नहीं आया कि क्या होगा। अनलॉक हुआ तो दुकान खोलने का मौका मिला। शहर में आठ-10 किलोमीटर से तो ग्राहक आ रहे थे, लेकिन दूर या दूसरे जिलों के ग्राहक नहीं। कोरोना के बढ़ते केस के बीच कोई कानपुर नहीं आना चाहता था। सबकुछ आॅनलाइन होने लगा था तो उन्होंने भी अपने कारोबार को आॅनलाइन की ओर ले जाने का निर्णय लिया।
समाधान-2 : वाट्सएप ग्रुप बनाकर दौड़ाया कारोबार
मुंबई, सूरत आदि स्थानों से जिस तरह डिस्ट्रीब्यूर साड़ी-सूट की फोटो, उनके रेट वाले कैटलॉग वाट्सएप पर डाल देते थे, उसी तरह पवन दुबे ने आगे भी ग्राहकों को जानकारी देने की योजना बनाई। ग्राहकों की फोन नंबर की सूची बनाई। कौन सा ग्राहक क्या सामान ज्यादा ले जाता है, उसके हिसाब से ग्रुप बनाए और फिर वाट्सएप से साड़ी-सूट के फोटो भेजना शुरू हो गया। इसके साथ ही उत्पाद के बारे में सब जानकारी रहती थी। कुछ ही दिनों में दूसरे जिलों में बैठे फुटकर दुकानदार वाट्सएप पर ही आर्डर देने लगे। माल को ट्रांसपोर्ट के जरिए भेजा जाना लगा। भुगतान भी आॅनलाइन आने लगा। पवन दुबे कहते हैं, अब सीधे बिक्री की जगह आॅनलाइन ज्यादा बिक्री हो रही है।
पहले दुकानदार के सामने 100 साड़ियां खोलते थे तब वह पांच पसंद करता था। अब 25 फोटो भेज देते हैं तो उसमें से 10 को पसंद कर लिया जाता है। एक फायदा यह भी हुआ कि माल भी दुकान में कम रखना पड़ता है। डिस्ट्रीब्यूटर जो फोटो भेजता है, उसे ही आगे भेज देते हैं। ग्राहक जो माल मांगता है, उसका आॅर्डर देकर मंगा लिया जाता है। अब माल खोल कर दिखाए बिना बड़े-बड़े आॅर्डर मिल जाते हैं।
समाधान-3 : दुकान के नाम से वेबसाइट भी
उन्होंने अपनी साड़ी की दुकान के नाम से एक वेबसाइट भी बनाई। इससे भ बहुत से आर्डर आए। अयोध्या में एक कारोबारी नई दुकान खोल रहा था। उसने उसी वेबसाइट को देखकर आॅर्डर दिए। इससे फुटकर व्यापारी को कई लाभ हैं। उन्हें अपनी दुकान पर बैठे-बैठे ही माल मिल गया। जो फोटो भेजी जाती हैं, वे अपने सेल्समैन को भी दिखा लेते हैं कि उनमें से किनके बिकने की उम्मीद ज्यादा है। पहले वे अपने सेल्समैन को माल खरीदते समय साथ नहीं ला पाते थे। जब से वेबसाइट और वाट्सएप के जरिए माल बेचने लगे तब से करीब तीन दर्जन नए कारोबारी और जुड़ गए हैं। इसकी वजह से व्यापार बढ़ रहा है।