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Religion Conversion in UP: फतेहपुर का 'श्याम' उत्तराखंड में कैसे बना 'उमर', यहां जानिए- पूरी प्रोफाइल

Mass Religion Conversion in UP दिल्ली के डासना मंदिर में पुजारी पर हुए हमले के बाद पकड़ा गया मो. उमर जिले के थरियांव थाने के रमवां पंथुआ गांव का निवासी है। एडीओ पंचायत पद से सेवानिवृत्त हुए पिता धनराज सिंह की मौत पर वह गांव आया था।

By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Tue, 22 Jun 2021 07:18 PM (IST)
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फतेहपुर में मो. उमर (पूर्व में श्याम प्रताप सिंह) के गांव में पूछताछ करती पुलिस और उमर की फाइल फोटो।
फतेहपुर, जेएनएन। Mass Religion Conversion in UP उत्तर प्रदेश में मतांतरण का बड़ा मामला सामने आने के बाद एटीएस टीम पूरी तरह से सतर्क है। हजार से अधिक लोगों को मुस्लिम बनाने के घिनौने कृत्य में शामिल दो लोगों को टीम ने गिरफ्तार कर केस दर्ज किया है। सबसे चौंका देने वाली बात तो यह है कि मतांतरण के खेल की फंडिंग कुख्यात संगठन आइएसआइ से हाेती थी। बता दें कि गिरफ्तार किए गए आरोपितों में एक शख्स माे. उमर गौतम फतेहपुर का निवासी है, जिसका नाम कभी श्याम प्रताप हुआ करता था। इस खबर में हम आपको श्याम के उमर बनने तक के सफर के बारे में बताएंगे :  

कौन है मो. उमर: दिल्ली के डासना मंदिर में पुजारी पर हुए हमले के बाद पकड़ा गया मो. उमर जिले के थरियांव थाने के रमवां पंथुआ गांव का निवासी है। उसने कक्षा एक से आठ तक की शिक्षा रमवां परिषदीय स्कूल से ली और कक्षा नौ से 12 तक की पढ़ाई सर्वोदय इंटर कालेज गोपालगंज से पूरी की थी।

पढ़ाई-लिखाई में होशियार होने पर पिता ने उसको बीएससी एजी की पढ़ाई के लिए जीबी पंत कृषि प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय उत्तराखंड भेजा। बीएससी करने के बाद वर्ष 1982 में जब वह गांव लौटा तो किसी से ये नहीं बताया कि उसने मुस्लिम मत अपना लिया है। इसके बाद शादी जिले के ही गाजीपुर थानाक्षेत्र के खेसहन गांव में क्षत्रिय परिवार में कर ली और पत्नी को लेकर दिल्ली चला गया, लेकिन मुस्लिम धर्म नहीं छोड़ा। बताते तो यह भी हैं कि हसवा, बिलंदा, हथगाम और सुल्तानपुर घोष के कुछ मदरसों व गांवों में इसका आना जाना अभी तक जारी था। 

उत्तराखंड में कुबूल किया इस्लाम: श्याम प्रताप सिंह जब जीबी पंत विश्व विद्यालय में पढ़ाई करने गया था तो वहीं पर इस्लाम धर्म कुबूल किया था। उस समय ताहिर नामक एक दोस्त ने इसे मुस्लिम लड़की से शादी करने पर अलीगढ़ विश्वविद्यालय में प्रवक्ता पद नौकरी दिलाने का लालच भी दिया था। 

जामिया मिलिया इस्लामिया से किया था एमए: स्वजन की मानें तो पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय से बीएससी करने के बाद दिल्ली में परास्नातक के लिए दिल्ली जा पहुंचा। यहां पर जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। वहीं से इस्लामिक स्टडीज में एमए किया और बताया जाता है कि अच्छे अंक से परीक्षा उत्तीर्ण करने के चलते उसे लेक्चरर की नौकरी मिल गयी थी। नौकरी में रहते हुए वह शैक्षिक गतिविधियों और मुस्लिम धर्म के कार्यक्रमों में शिरकत करता था। 1982 में उसने मतांतरण खुद किया और परिवार सहित समाज में इस काम को अंजाम दिया।

पिता ने कर दिया था बेदखल: पिता धनराज सिंह को वर्ष 1984 में किसी के माध्यम से जानकारी हुई कि वह मुस्लिम बनकर नई दिल्ली में के-47 बाटला हाउस जामिया नगर में रह रहा है। उसकी फोटो भी आई। इसमें वह मौलाना की तरह दिख रहा था। इसके बाद पिता ने अन्य पांच बेटों से सलाह कर उसको परिवार से बेदखल कर दिया। भाई उदय ने बताया कि मां की मौत पर 10 साल पहले वह गांव आया था तो पिता ने डांटकर उसे भगा दिया था।  

यह भी पढ़ें :- 1000 से ज्यादा लोगों को मुस्लिम बनाने वाले दो आरोपितों को यूपी ATS ने पकड़ा, दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों में फैला है जाल -खबर पढ़ने के लिए हेडिंग पर क्लिक या टच करें

पत्नी व बच्चों के मुस्लिम नाम रख लिए: श्याम ने राजेश कुमारी से शादी करने के बाद दिल्ली जाकर पत्नी का नाम रजिया, बेटी का नाम तकदीश फातिमा व बेटे का नाम आदिल उमर गौतम रख लिया था। चर्चा है कि उसने दिल्ली में एक और शादी भी की है।  

75 बीघा खेत में 12 बीघे का काश्तकार: पारिवारिक चचेरे भाई राजू सिंह ने बताया कि श्याम छह भाइयों में चौथे नंबर का है। इन सभी के हिस्से में 12-12 बीघा खेत हैं। सभी भाई बाहर रहते हैं। सभी के हिस्से के मकान में ताला लगा रहता है। श्याम से कोई मतलब नहीं रखता है।  

ग्रामीणों के सवाल करने पर दिया था यह जवाब: एडीओ पंचायत पद से सेवानिवृत्त हुए पिता धनराज सिंह की मौत पर वह गांव आया था। यहां उसे मुस्लिम वेश में देख पड़ोसियों ने पूछा था, अरे यह सब कैसे? तब उसने बस यही कहा था कि जो हो गया, वही सही है और वह इसी में खुश है। गांव वालों व स्वजन से पिता की मौत कैसे हुई, तेरहवीं संस्कार हुआ या नहीं की जानकारी लेकर चला गया। ग्रामीणों ने बताया कि श्याम प्रताप के मुस्लिम मत अपनाने की सुगबुगाहट तो लोगों को थी, लेकिन वह इस तरह से मतांतरण कराने के मिशन में लगा है, ये नहीं जानते थे।  

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