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Religion Conversion UP: सूफी इस्लामिक बोर्ड के आरोपों के बाद दावत-ए-इस्लामी संगठन के सदस्य सतर्क हो गए

सूफी इस्लामिक बोर्ड के प्रवक्ता सूफी कौसर हसन मजीदी ने दावत-ए-इस्लामी पर मतांतरण कराने व चंदा एकत्र कर उसका प्रयोग गलत कार्यों में करने के आरोप लगाए हैं। दावत-ए-इस्लामी पर कार्रवाई के लिए प्रशासन को प्रार्थना पत्र भी दिया जा चुका है।

By Akash DwivediEdited By: Updated: Thu, 08 Jul 2021 11:15 AM (IST)
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चंदे के लिए रखे गए डोनेशन बाक्स भी कई जगहों से हटा लिए गए
कानपुर, जेएनएन।सूफी इस्लामिक बोर्ड के आरोपों के बाद दावत-ए-इस्लामी संगठन के सदस्य सतर्क हो गए हैं। सड़क पर जगह-जगह लोगों को एकत्र कर तबलीग (धाॢमक जानकारी देने) का काम फिलहाल नहीं किया जा रहा है। अभी तक नुक्कड़ सभाएं कर लोगों को मजहबी जानकारी दी जा रही थी। कई जगहों पर लगाए गए डोनेशन बाक्स भी हटा लिए गए हैं।

सूफी इस्लामिक बोर्ड के प्रवक्ता सूफी कौसर हसन मजीदी ने दावत-ए-इस्लामी पर मतांतरण कराने व चंदा एकत्र कर उसका प्रयोग गलत कार्यों में करने के आरोप लगाए हैं। दावत-ए-इस्लामी पर कार्रवाई के लिए प्रशासन को प्रार्थना पत्र भी दिया जा चुका है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर सूफी इस्लामिक बोर्ड के सदस्य मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांग रहे हैं। उनसे मिलकर मतांतरण व चंदा एकत्र कर उसके गलत इस्तेमाल की जानकारी देने की तैयारी है। इधर, मतांतरण को लेकर लगाए गए आरोपों के बाद दावत-ए-इस्लामी ने सड़कों पर खड़े होकर अपने मत का प्रचार करना फिलहाल रोक दिया है। अभी तक नमाज के बाद उसके सदस्य मस्जिदों के बाहर खड़े होकर लोगों को एकत्र कर उनको एक किताब के माध्यम से मजहबी तालीम दे रहे थे। नमाजियों व अन्य लोगों से दावत-ए-इस्लामी के नक्श-ए-कदम पर चलने की अपील भी की जाती थी। घनी आबादी वाले इलाकों में इस तरह की नुक्कड़ सभाएं नहीं हो रहीं हैं। उधर, सूफी इस्लामिक बोर्ड के प्रवक्ता सूफी कौसर हसन मजीदी ने कहा कि सितंबर 2019 से शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि चंदे के लिए रखे गए डोनेशन बाक्स भी कई जगहों से हटा लिए गए हैं।

दावत-ए-इस्लामी शहरकाजियों से कर रही संपर्क : सूफी इस्लामिक बोर्ड के खिलाफ दावत-ए-इस्लामी शहरकाजियों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है। उसके लोग बरेलवी विचारधारा के शहरकाजियों से संपर्क कर रहे हैं। बरेलवी विचारधारा के उलमा व दावत-ए-इस्लामी के बीच मतभेदों के चलते फिलहाल बरेलवी विचारधारा के शहरकाजी व उलमा उसका साथ देने का फैसला नहीं कर पा रहे हैं।  

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