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मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा समान नागरिक संहिता स्वीकार नहीं

अधिवेशन में पदाधिकारी बोले-बहु धार्मिक समाज में समान नागरिक संहिता उचित नहीं।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 22 Nov 2021 01:37 AM (IST)
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मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा समान नागरिक संहिता स्वीकार नहीं

जागरण संवाददाता, कानपुर : आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर एतराज जताया है। बोर्ड पदाधिकारियों और सदस्यों का कहना है कि मुस्लिम समाज इसे कतई स्वीकार नहीं करेगा। मदरसा दारुल तालीम व सनअत (डीटीएस) जाजमऊ में चल रहे दो दिवसीय अधिवेशन के अंतिम दिन रविवार को 11 प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें वक्फ संपत्तियों को लेकर होने वाले विवाद और मतांतरण आदि रहे। बोर्ड ने जबरन मतांतरण और गैर धर्म में निकाह का विरोध किया।

दिल्ली से आए बोर्ड के मीडिया समन्वयक डा.कासिम रसूल इलियास ने अधिवेशन के बाद पत्रकार वार्ता में कहा कि संविधान में हर नागरिक को अपने धर्म मे आस्था रखने और दूसरों को इसके बारे में बताने का अधिकार दिया गया है। बहु धार्मिक समाज में समान नागरिक संहिता उचित नहीं है। ये संविधान के मौलिक अधिकारों के विपरीत है। बोर्ड ने सरकार से मांग की है कि वो मुसलमानों पर समान नागरिक संहिता न थोपे। उन्होंने कहा कि बोर्ड जबरन मतांतरण कराने वालों के खिलाफ है। मुस्लिम समाज से इसके विरोध की अपील की गई है।

वक्फ करने वाले किसी व्यक्ति, संगठन या सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वो उसे बेचे या वक्फ की मंशा के खिलाफ किसी उपयोग में लाए। यह मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों और शरिया कानून में हस्तक्षेप है। अधिवेशन में बोर्ड के अध्यक्ष सैयद राबे हसन नदवी, महासचिव मौलाना खालिद रशीद सैफलुल्लाह रहमानी, सचिव मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, कल्बे जव्वाद, उमरैन महफूज रहमानी, सदस्य यासीन उस्मानी, फजलुर्रहीम मुजद्दिदी और निकहत परवीन, असगर अली, सज्जाद नोमानी, अब्दुल्ला नदवी मौजूद रहे।

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महिला सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बने

अधिवेशन में महिलाओं को लेकर बढ़े अपराधों पर चिंता जताई गई। सरकार से मांग की गई कि वो महिला सुरक्षा के प्रभावी कानून लाकर उनका सख्ती से पालन कराएं। इस्लाम के पैगंबर पर टिप्पणी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई। अधिवेशन में अल्पसंख्यक, दलित अन्य कमजोर वर्गों के खिलाफ बढ़ता अत्याचार रोकने के लिए सरकार से विशेष पहल की अपेक्षा की गई।

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अंतरधार्मिक विवाह बिगाड़ता सद्भाव, इससे बचें

अधिवेशन में मुस्लिम समाज से अपील की गई कि शरीअत का पालन करें, सादगी से निकाह करें और दहेज न मांगें। आपसी विवादों को मध्यस्थता से सुलझाएं और फिर भी बात न बने तो दारुल कजा में जाएं। अंतरधार्मिक विवाह से बचें क्योंकि यह समाज में विभाजन पैदा करता है और सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित करता है।

(इनसेट)

धार्मिक पुस्तकों की व्याख्या से बचें सरकारें

धार्मिक नियम और पुस्तकें आस्था से जुड़ी हैं, इसलिए इसकी व्याख्या का अधिकार धर्म समझने वालों को ही है। सरकारों या अन्य संस्थाओं धार्मिक पुस्तकों या धार्मिक शब्दावलियों की व्याख्या करने से बचना चाहिए।

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अधिवेशन में ये 11 प्रस्ताव हुए पास

- सोशल मीडिया पर सांप्रदायिकता की रोकथाम के प्रयास तेज हों।

- लोगों के खिलाफ धर्म का प्रचार करने के नाम पर दर्ज फर्जी केस वापस हों।

- मुस्लिम, गैर मुस्लिम लोग इस्लाम के सामाजिक कानूनों का अध्ययन करें।

- माब लिचिग जैसे कृत्य करने वालों के खिलाफ सरकार सख्ती से पेश आए।

- मुसलमानों के पैगंबर का अपमान करने वाले दोषियों पर कार्रवाई हो।

- सरकार जबरन समान नागरिक संहिता थोपने का प्रयास न करें।

- सरकारें अपने स्तर पर धार्मिक किताबों, शब्दावलियों की व्याख्या न करे।

- सरकार अल्पसंख्यकों, दलितों, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर अंकुश लगाए।

- निकाह सादगी से करें, फिजूलखर्ची से बचें, शरीअत को अपनाएं।

- सरकार सभी वर्गों के साथ निष्पक्ष, समानता का व्यवहार करे

- वक्फ संपत्ति को बेचने का किसी सरकार या संगठन को अधिकार नहीं ------------------

सरकार को पारित प्रस्ताव का ज्ञापन देगा बोर्ड

बोर्ड के अधिवेशन में पारित 11 प्रस्ताव का ज्ञापन केंद्र सरकार को दिया जाएगा। सरकार को ज्ञापन देकर मांगों को पूरा करने के लिए कहा जाएगा। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड हर संभव सरकार की मदद करने के लिए तैयार रहेगी।

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