कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की तर्ज पर बना है कानपुर का ये मंदिर, हर भक्त को अलग दिखता है मां का चेहरा
कानपुर के चकेरी में कालीबाड़ी मंदिर बिल्कुल कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की तरह बना हुआ है। यहां देश भर से भक्त दर्शन करने आते हैं और यह मंदिर बंगाली समाज के लोगों के विशेष आस्था का केंद्र है।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sun, 02 Oct 2022 05:47 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। लालबंगला के हरजेंदर नगर स्थित श्री श्री चकेरी कालीबाड़ी मंदिर में मां के करुणामयी स्वरूप के दर्शन भक्तों को होते हैं। नवरात्र के दिनों में मां के दर्शन और बंगाली पूजन की छटा को देखने के लिए देशभर से भक्त आते हैं। मान्यता है कि मां के स्वरूप के दर्शन करने और श्रद्धाभाव से पुष्प अर्पित करने से भक्तों की मुराद पूरी होती है। कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर की तर्ज पर निर्मित प्राचीन मंदिर में मां का शृंगार पूजन बंगाली विधि-विधान से किया जाता है।
क्या है इतिहास
मंदिर की स्थापना वर्ष 1964 में कोलकाता के प्राचीन व ऐतिहासिक मां दक्षिणेश्वर काली मां के दरबार की तरह की गई। चकेरी स्थित मंदिर को बंगाली समाज के वरिष्ठजनों ने स्थापित कराया था। कहा जाता है कि स्वप्न में मां के दर्शन आने के बाद चकेरी में मां के मंदिर को स्थापित करने का प्रण बंगाली समाज की ओर से लिया गया था। जिसके बाद मां के करुणामयी स्वरूप की प्रतिमा राजस्थान के किशनगढ़ से विशेष कोष्ठी पत्थर से बनवाई गई।
हर भक्त को बदला नजर आता है मां का चेहरा
श्री श्री चकेरी कालीबाड़ी मंदिर समिति के संयुक्त सचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने बताया कि मंदिर में भक्तों को मां के तेजोमयी स्वरूप के दर्शन होते हैं। मां के चेहरे पर एक तेज नजर आता है। जिसके चलते हर पहर भक्तों को मां के चेहरा कुछ बदला हुआ प्रतीत होता है। मां को पुष्पांजलि अर्पित करने से भक्तों के मन की मुराद पूरी होती है। मां के दरबार में बंगाली पूजन बोधन से मां पूजन शुरू होता है और संधि पूजन का उत्साह भक्तों को आकर्षित करता है।मंदिर पहुंचने के लिए रास्ता
शहर व आस-पास जिलों के भक्त मां के दरबार में पहुंचने के लिए सबसे पहले लालबंगला मुख्य मार्ग पहुंचते हैं। वहां से चंद मिनटों की दूरी पर मां का दरबार स्थापित है। लखनऊ, उन्नाव, प्रयागराज, इटावा, औरैया और झांसी से आने वाले भक्त रेलवे स्टेशन से होते हुए रामादेवी चौराहे पहुंचते हैं वहां से मां के दरबार के लिए सीधा साधन मिलता है।
-मां करुणायमी के दरबार में सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मां का दरबार नवरात्र में आकर्षण का केंद्र रहता है। यहां पर मां के भव्य दर्शन होते हैं। - शुभांकर भट्टाचार्या, कोषाध्यक्ष, मंदिर समिति।
-मां को खीर और विशेष प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है। मां के दरबार में बंगाली पूजन में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। - शुभेंदु घोष, संयुक्त सचिव।
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