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प्रदूषण विभाग की नजर नहीं, गंगा बैराज क्षेत्र में खुलेआम एनजीटी के नियमों का हो रहा उल्लंघन

गंगा बैराज-मंधना के किनारे धड़ल्ले से बन रही अवैध कालोनी बसने के बाद घरों से निकलने वाले दूषित जल से पतित पावनी नदी के प्रदूषित होने का खतरा बढ़ जाएगा लेकिन यूपीपीसीबी को नजर नहीं आ रही टाउनशिप।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Thu, 29 Oct 2020 09:38 AM (IST)
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कानपुर में किनारों पर बस रही टाउनशिप से प्रदूषित हो सकतीं गंगा। प्रतीकात्मक फोट
कानपुर, जेएनएन। कहते हैं कि नदी अपनी जमीन कभी नहीं छोड़ती। जब भी वह उफान पर आती है तो अपनी छोड़ी हुई जमीन से होकर बहने लगती है। ऐसे में उसके रास्ते में जो भी आता है उसे अपने अंदर समा लेती है। बड़े बुजुर्गों के मुंह से सुनी यह बात कई बार सच भी हुई है, लेकिन पैसे कमाने की चाह में गंगा बैराज से मंधना मार्ग के बीच डूब क्षेत्र में अधिकारियों के नाक के नीचे अवैध कॉलोनी काटी जा रही हैं। प्लाङ्क्षटग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केडीए ने जहां नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है, वहीं उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को तो यह टाउनशिप नजर तक नहीं आ रही है।

गंगा किनारे डूब क्षेत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियमों का उल्लंघन करके यह मकान बनाए जा रहे हैं। मकान बनने के बाद इसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आने तय हैं। यहां से निकलने वाले दूषित जल से गंगा में प्रदूषण बढऩा तय है फिर भी अभी तक नियंत्रण बोर्ड ने संबंधित किसी भी विभाग को इस बाबत नोटिस जारी नहीं किया है। हिंदूपुर गांव के सामने बन रही अवैध कालोनी हटाने के लिए केडीए ने नोटिस जारी किया है, लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सिंचाई विभाग भी कार्रवाई की औपचारिकता पूरी कर रहा है। गंगा प्रदूषण को लेकर मॉनीटरिंग करने वाला प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी चुप्पी साधे हुए है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दायित्व

  • -राज्य में नदियों और कुओं के जल की गुणवत्ता बनाए रखना।
  • -घरों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित जल, मल व अपशिष्ट के शुद्धिकरण संयंत्रों की जांच करना।
  • -मल व व्यावसायिक उत्प्रवाहों के शुद्धिकरण के लिए ऐसी प्रक्रियाओं का विकास करना जो टिकाऊ व सस्ता होने के साथ कृषि व स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हो।
  • -प्रदूषण निवारण, नियंत्रण व उसे कम करने के लिए संबद्ध विषयों पर जानकारी एकत्र करना व उसका प्रसार करना।
  • -राज्य सरकार को सलाह देना व प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित अनुसंधान को बढ़ावा देना
  • -केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर प्रदूषण निवारण व नियंत्रण संबंधित कार्य में लगे व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना।
-निर्माण की स्वीकृति देने वाले विभाग की जिम्मेदारी है कि ऐसे निर्माण पर रोक लगाएं। चूंकि यह कालोनी गंगा किनारे बनाई जा रही है, इसलिए सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी भी है। प्रदूषण होने की सूरत में विभाग कार्रवाई करता है और अगर ऐसा हुआ तो कार्रवाई निश्चित की जाएगी। -आनंद कुमार, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

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