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Good News: अब कैंसर, एचआइवी का कारगर इलाज होगा संभव, आइआइटी कानपुर को शोध में मिली सफलता

आइआइटी कानपुर के जैविक विज्ञान और जैव इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ल की टीम ने कोशिकाओं में पाए जाने वाले ऐसे डफी एंटीजन रिसेप्टर की पूरी संरचना को खोज निकाला है जो कैंसर मलेरिया और एचआइवी जैसी विभिन्न बीमारियों के लिए जिम्मेदार कारकों के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता है। आइआइटी की इस खोज को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका सेल ने प्रकाशित किया है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 02 Aug 2024 05:30 AM (IST)
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अब कैंसर, एचआइवी का कारगर इलाज होगा संभव
 जागरण, संवाददाता, कानपुर। आइआइटी कानपुर के जैविक विज्ञान और जैव इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ल की टीम ने कोशिकाओं में पाए जाने वाले ऐसे डफी एंटीजन रिसेप्टर की पूरी संरचना को खोज निकाला है, जो कैंसर, मलेरिया और एचआइवी जैसी विभिन्न बीमारियों के लिए जिम्मेदार कारकों के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता है। इसकी पहचान करने से अब रोगों को शरीर में प्रवेश करने से रोकने के उपाय किए जा सकेंगे।

आइआइटी की इस खोज को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका सेल ने प्रकाशित किया है। प्रोफेसर शुक्ल ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के कुछ लोगों में डफी एंटीजन रिसेप्टर नहीं पाया जाता, इस जानकारी के आधार पर भविष्य में यह जानने की कोशिश होगी कि कैंसर या अन्य घातक रोगों के संक्रमण को किस तरह मानव शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोका जा सकता है।

दवाओं को बनाने में मददगार साबित होगी

मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं और अन्य कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला डफी एंटीजन रिसेप्टर प्रोटीन कोशिका में प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जो मलेरिया परजीवी, प्लास्मोडियम विवैक्स और जीवाणु, स्टैफिलोकोकस आरियस जैसे विनाशकारी रोगजनकों द्वारा संक्रमण को फैलाता है।

प्रोफेसर शुक्ल ने बताया कि दुनियाभर में कई वर्ष से डफी एंटीजन रिसेप्टर के रहस्यों को जानने के लिए शोध हो रहा है। यह जानकारी नई एंटीबायोटिक दवाओं और एंटीमलेरियल सहित उन्नत दवाओं को बनाने में मददगार साबित होगी।

इसने संस्थान का मान बढ़ाया

शोध टीम ने डफी एंटीजन रिसेप्टर की जटिल संरचना उजागर करने के लिए अत्याधुनिक क्रायोजेनिक-इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया गया। उसके जरिये डफी रिसेप्टर की अनूठी संरचनात्मक विशेषताओं की नई जानकारी प्राप्त हुई और इसे मानव शरीर में समान रिसेप्टर से अलग किया जा सका। आइआइटी निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने शोध टीम को इस उपलब्धि पर बधाई दी है और कहा कि इसने संस्थान का मान बढ़ाया है।

शोध टीम में यह रहे शामिल

शोध दल में आइआइटी कानपुर के शीर्षा साहा, जगन्नाथ महाराणा, सलोनी शर्मा, नशराह जैदी, अन्नू दलाल, सुधा मिश्रा, मणिशंकर गांगुली, दिव्यांशु तिवारी, रामानुज बनर्जी और प्रो. अरुण कुमार शुक्ल शामिल रहे।

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