अब मुंह की लार से पता चल जाएगा मुख का कैंसर, आइआइटी विशेषज्ञ बना रहे किट
जेके कैंसर संस्थान में कैंसर रोगियों और संभावित मरीजों के लार पर हुए शोध में कामयाबी मिली है।
By AbhishekEdited By: Updated: Sun, 19 May 2019 10:42 AM (IST)
कानपुर,[शशांक शेखर भारद्वाज]। मुख कैंसर के तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए अब इस पर लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है। रोग के जकडऩे से पहले उसकी पहचान हो सकेगी। आइआइटी के विशेषज्ञ जेके कैंसर संस्थान के डॉक्टरों के सहयोग से विशेष तरह की किट बना रहे हैं, जिसके जरिये रोग होने की आशंका का पता चल जाएगा। किट में स्लाइवा (लार) को डालना होगा, कुछ ही देर में नतीजे सामने आ जाएंगे।
जेके कैंसर संस्थान के डॉ. जितेंद्र वर्मा, निजी मेडिकल कॉलेज की डेंटल सर्जन डॉ. प्रेरणा सिंह और आइआइटी के विशेषज्ञ मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। यह शोध कई चरणों में किया गया है। इसको अंतरराष्ट्रीय जरनल में प्रकाशित किया जा रहा है।
प्रोटोटाइप हुआ तैयार आइआइटी के विशेषज्ञों ने प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया है। अभी उसे वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करने के लिए विभिन्न तरीके से जांच हो रही है। जांच प्रमाणित होने पर उसका पेटेंट कराया जाएगा।
400 से अधिक रोगियों के नमूने लिएडॉ. जितेंद्र वर्मा के मुताबिक ओपीडी में आने वाले रोगियों के लार के नमूने लिए गए। 400 से अधिक नमूनों की आइआइटी में जांच हुई। मुख कैंसर के स्टेज वन और स्टेज टू के रोगियों को लिया गया। पान मसाला, गुटका, तंबाकू खाने वाले रोगियों के नमूने भी लिए गए।
लार के मॉलीक्यूल्स में परिवर्तन
आइआइटी के केमिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. जयंत सिंह के मुताबिक कैंसर में लार के मॉलीक्यूल्स में तेजी से परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन संक्रमण के बढऩे पर बदलता चला जाता है। संभावित रोगियों में भी परिवर्तन दिखने लगता है। हर साल आते छह हजार केस संस्थान के निदेशक डॉ. एमपी मिश्रा ने बताया कि हर साल करीब छह हजार मुख कैंसर के केस आते हैं। इनमें स्टेज तीन और चार के केस सर्वाधिक हैं। पहली स्टेज के रोगी सिर्फ पांच फीसद ही आते हैं। छह हजार रोगियों में महिलाओं की संख्या 15 फीसद है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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