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UP News: यशोदा बन नर्सिंग स्टाफ ने नवजात की बचाई जान, नाम दिया कृष्णा; विदाई पर भर आईं सभी की आंखें

कानपुर में एक ऐसी खबर सामने आई है जिसे सुनकर आंखें भर आएंगी। यहां कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन हमीरपुर जिले से नवजात को कानपुर लाया जाता है। नवजात के पैदा होते ही झाड़ी में फेंक दिया गया था। उसके शरीर पर 50 से अध‍िक जख्‍म थे। 55 दिन तक नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एनआइसीयू) में भर्ती रहे नवजात को डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ के अथक प्रयास से जीवनदान मिला।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 02 Nov 2024 07:40 AM (IST)
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कृष्‍णा के साथ स्‍टाफ नर्स और डॉक्‍टर। फोटो- एक्‍स
 जागरण संवाददाता, कानपुर। डॉक्टर को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है। उनका समर्पण और जान बचाने की जिद कभी-कभी असंभव को संभव कर देती है। ऐसा ही कुछ गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ के प्रयास ने कर दिखाया।

26 अगस्त को हमीरपुर के राठ में पुल से झाड़ियों में फेंके गए नवजात को गंभीर स्थिति में लेकर हमीरपुर पुलिस मेडिकल कॉलेज के लाला लाजपत राय (एलएलआर) अस्पताल के बाल रोग विभाग पहुंची। 55 दिन तक नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एनआइसीयू) में भर्ती रहे नवजात को डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ के अथक प्रयास से जीवनदान मिला।

नर्सिंग स्टाफ ने यशोदा बनकर नवजात की देखभाल की और उसे कृष्णा नाम किया। 25 अक्टूबर को जब अस्पताल में हमीरपुर पुलिस चाइल्ड लाइन के अधिकारियों के साथ पहुंची, तो कृष्णा को विदा करने में नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों की आंख नम हो गई।

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बाल रोग विभाग के सीएमएस डॉ. विनय कटियार ने बताया कि जब हमीरपुर पुलिस बच्चे को लेकर आई थी, उस समय बच्चे का बच पाना मुश्किल लग रहा था। उसे किसी ऊंचे स्थान से झाड़ियों में फेंका गया था, जिसके कारण उसके पूरे शरीर में कई घाव हो गए थे। नवजात की जांघ में किसी विषैले कीड़े ने भी काट लिया था। ऐसे में विभागाध्यक्ष डा. अरुण आर्य और डा. अमितेश यादव के साथ नर्सिंग स्टाफ ने दिन-रात एक करके बच्चे की सेहत का ख्याल रखा, जिससे सेप्टिक पीड़ित मासूम का जीवन सुरक्षित हो गया।

उन्होंने बताया कि बच्चे के साथ सबसे ज्यादा समय बिताने वाले नर्सिंग स्टाफ ने उसका नाम कृष्णा रखा है। बच्चा ज्यादातर नर्सिंग स्टाफ की देखरेख में रहा। इसलिए उन्होंने जन्माष्टमी के दिन अपनों के द्वारा फेंके गए बच्चे का नामकरण किया।

उन्होंने बताया कि विभाग में करीब दो दर्जन से ज्यादा नवजात के जीवन को बचाया जा चुका है, जिनको उनके स्वजन छोड़कर चले गए थे। जीएसवीएम मेडिकल कालेज प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि डॉक्टरों ने कृष्णा को बचाने के लिए दिन-रात एक किया तो नर्सिंग स्टाफ ने मां की तरह उसका ख्याल रखा।

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प्रयागराज का शिशु गृह होगा कृष्णा का घर

कानपुर के एलएलआर अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने नवजात का नाम कृष्णा रखा था तो हमीरपुर चाइल्ड लाइन की टीम ने अब उसका नाम लव रखा है। इसी नाम को सरकारी दस्तावेजों में लिखा गया है।

हमीरपुर के जिला प्रोबेशन अधिकारी राजीव कुमार सिंह ने बताया कि अगस्त में राठ कोतवाली के कस्बाखेड़ा गांव में झाड़ियों में नवजात पड़ा मिला था। उसे राठ सीएचसी से जिला अस्पताल और फिर यहां से कानपुर रेफर किया गया था। उसके स्वस्थ होने के बाद बाल कल्याण समिति द्वारा बालक को शिशु गृह प्रयागराज भेज दिया गया है।

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