कानपुर के यह तीन पावर प्लांट शुरू हाेते तो शहर समेत कई जिले जगमगाते, नहीं देखना पड़ता बिजली संकट
पनकी और घाटमपुर पावर प्लांट का निर्माण कार्य समय से पूरा नहीं हो सकता है। बिल्हौर समेत तीनों प्लांट से भरपूर बिजली मिलती तो बिजली संकट नहीं होता। आपको बता दें कि 2865 मेगावाट बिजली की क्षमता के तीन पावर प्लांट हैं।
By Abhishek VermaEdited By: Updated: Fri, 20 May 2022 02:32 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। गर्मी ने इस बार अपने तय समय से पहले ही दस्तक दे दी। अप्रैल में ही पारा 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया। कूलर, पंखे और एसी चलने शुरू हुए तो बिजली की मांग में अप्रत्याशित रूप से उछाल आ गई। सबस्टेशन और फीडरों पर लोड बढ़ा तो व्यवस्था चरमरा गई। केस्को के भरपूर बिजली मिलने के लाख दावों के बावजूद शहर के कई हिस्से में हर रोज पांच से 12 घंटे तक संकट बना रहता है। ऐसा नहीं है कि इस संकट को दूर करने के लिए प्रयास नहीं हुए। उजाले की उम्मीद बंधाते तीन पावर प्लांट की सौगात शहर को मिली। पनकी, घाटमपुर और बिल्हौर में बन रहे पावर प्लांट की क्षमता 2800 मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पादन की है। जबकि, शहर को अभी 700 मेगावाट बिजली की जरूरत है यानी पूरी क्षमता से ये प्लांट शुरू हो गए होते तो आज बिजली सरप्लस होती और दूसरे शहरों का भी संकट दूर कर सकती थी। मौजूदा स्थिति यह है कि पनकी और घाटमपुर थर्मल पावर प्लांट के निर्माण की समयावधि पूरी हो चुकी है लेकिन उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। कभी कंपनी काम छोड़कर भाग गई तो कोरोना महामारी ने भी शहर की उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया। प्रस्तुत है मो. दाऊद खान की रिपोर्ट...
पनकी पावर प्लांटसमय सीमा पूरी, अभी भी 30 प्रतिशत काम बाकी
पनकी थर्मल प्लांट परियोजना का आठ मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिलान्यास किया था। 660 मेगावाट के सुपर क्रिटिकल यूनिट का निर्माण किया जा है। परियोजना को 46 महीने में पूरा करने का लक्ष्य था लेकिन समयावधि पूरी होने के बावजूद अभी भी 30 प्रतिशत काम बाकी है। अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते परियोजना में देरी हुई है। फिलहाल, 275 मीटर ऊंची चिमनी का निर्माण पूरा हो चुका है। बायलर के हाइड्रोलिक टेस्ट में कामयाबी मिल चुकी है। अब बायलर को लाइट अप करने की तैयारी हो रही है। अक्टूबर में लाइटअप के दौरान बायलर के अंदर आग जलाकर उसकी जांच की जाएगी। इधर, निर्माणाधीन पावर प्लांट का पिछले माह मंडलायुक्त राजशेखर ने उत्तर प्रदेश विद्युत उत्पाद निगम, बीएचइएल के अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया था। उन्हें बताया गया कि वर्ष 2023 जुलाई में बिजली का उत्पादन यहां शुरू हो जाएगा।
परियोजना को मंजूरी 2018
शिलान्यास 2019लागत 5816 करोड़ रुपयेनिर्माण की समयावधि 46 माहक्षमता 660 मेगावाटविस्तार 80 हेक्टेयरनिर्माण एजेंसी बीएचईएलखासियतफ्लाई ऐश से बनेगी ईंटयहां से प्रतिदिन लगभग 3 हजार टन फ्लाई ऐश निकलेगी। इसका प्रयोग ईंट उत्पादन में किया जाएगा। इससे उत्तर प्रदेश और सेंट्रल ग्रिड को बिजली आपूर्ति की जाएगी। इससे प्रदेश में बिजली की मांग के अनुरूप उत्पादन में सुधार होगा।
ब्वायलर में लगेंगे दो संयंत्र जो सोख लेंगे धुएं का जहरपनकी पावर प्लांट कोयले से संचालित होगा। ऐसे में इसके जलने से सल्फर डाइ आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड जैसी हानिकारक गैसें धुएं के साथ निकलती हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए इस परियोजना में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें दो अतिरिक्त संयंत्र ब्वायलर में लगाए जाएंगे। इसमें फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) लगेगा, जो सल्फर डाइ आक्साइड को कम करेगा। वहीं, दूसरा संयंत्र सेलेक्टिव कैटालिटिक रिडक्शन (एससीआर) जहरीली नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस के असर को घटा देगा।
शहर की सबसे ऊंची चिमनी, लिफ्ट भी लगेगीपावर प्लांट से धुआं निकालने के साथ ही इसे ठंडा करने के लिए यहां विशालकाय कूलिंग टावर बन रहा है। यह शहर की सबसे ऊंची चिमनी होगी। इसकी ऊंचाई 275 मीटर है और इसका व्यास नीचे की ओर 32 और ऊपर 16 मीटर का है। इसमें ऊपर जाने के लिए लिफ्ट भी लगाई जाएगी।बोले जिम्मेदार: पनकी थर्मल पावर प्लांट में इसी वर्ष अक्टूबर में बायलर को लाइटअप (आग जलाकर बंद करना) किया जाएगा। इस प्रकार बायलर की जांच की जाएगी। अगले वर्ष उत्पादन शुरू हो जाएगा। कोरोना संक्रमण की वजह से निर्माण में देरी हुई है। -आरपी सक्सेना, जीएम, पनकी पावर हाउस
घाटमपुर पावर प्लांट2020 में शुरू होना था बिजली उत्पादन, अब जुलाई तक इंतजारप्रदेश में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए घाटमपुर में विशालकाय पावर प्लांट परियोजना की नींव रखी गई। 1980 मेगावाट की क्षमता वाले इस प्लांट का निर्माण तीन यूनिट में किया जा रहा है। पहली यूनिट से नवंबर 2020, दूसरी यूनिट से मई 2021 और तीसरी यूनिट से नवंबर 2021 में बिजली उत्पादन का लक्ष्य था। करीब डेढ़ साल बाद भी अभी उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। इसके लिए, श्रमिकों के प्रदर्शन को जिम्मेदार माना गया जो भुगतान नहीं होने से नाराज थे। फिलहाल, 660 मेगावाट की पहली यूनिट बनकर तैयार हो गई है। दो अन्य यूनिट निर्माणाधीन हैं यहां लाइटअप टेस्ट हो चुका है। इसमें ब्वायलर में आग लगाई जाती है, जिससे पानी गर्म होने पर भाप को पाइपों से गुजारा गया। इसमें सफलता मिलने के बाद अब बिजली के उत्पादन की तैयारी की जा रही है। जुलाई के बाद यहां उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
पहली यूनिट बनकर तैयारपावर प्लांट में लाइट अप टेस्ट पिछले माह नवंबर में होना था लेकिन इसमें देरी हो गई। इस वर्ष फरवरी में टेस्ट पूरा हो पाया। 660 मेगावाट की पहली यूनिट से शुरुआत में 200 से 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। पहली यूनिट से उत्पादन शुरू होने के बाद छह माह के अंदर दूसरी यूनिट तथा उसके तीन माह बाद तीसरी यूनिट शुरू की जाएगी।उप्र समेत दूसरे प्रदेशों को जाएगी आधी से ज्यादा बिजली
इस प्लांट से मिलने वाली 60 प्रतिशत बिजली उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों को दी जाएगी। प्लांट का निर्माण नेयवेली लिग्नाइट कारपोरेशन लिमिटेड और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पाद निगम के ज्वाइंट वेंचर एनयूपीपीएल के तहत हो रहा है।इसलिए अटका कामप्लांट के निर्माण के दौरान कंपनियों ने मजदूरों का भुगतान नहीं किया। इससे प्रदर्शन हुए और काम काफी समय तक रुका रहा। बीच में कई कंपनियां भी काम छोड़कर चली गईं। इससे निर्माण कार्य में देरी हुई।
परियोजना का शिलान्यास 2016लागत 17,237 करोड़ रुपयेनिर्माण की समयावधि 2021क्षमता 1980 मेगावाटविस्तार 1886 एकड़निर्माण एजेंसी एनयूपीपीएलबोले जिम्मेदार: प्लांट से उत्पादन किस माह से होगा, इसको नहीं बताया जा सकता। काम जारी है, उत्पादन की तिथि घोषित होने पर आधिकारिक रूप से इसकी जानकारी दी जाएगी। पंकज कुमार, डीजीएम/एचआर, नेयवेली
बिल्हौर सोलर पावर प्लांट225 मेगावाट बिजली का शुरू हो चुका है उत्पादनबिल्हौर के नदिहा खुर्द गांव में स्थापित 225 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट से बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके लिए एनटीपीसी ने वर्ष 2010 में उत्तरी, मदाराराय गुमान, नदीहा खुर्द, डोडवा जमौली गांव की 384 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की थी। वर्ष 2018 में यहां 225 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2019 में कोलकाता की कंपनी विक्रम सोलर ने प्लांट का निर्माण शुरू कराया। 937 करोड़ रुपये की लागत से तैयार प्लांट में वर्ष 2021 बिजली का उत्पादन शुरू हो गया। एनटीपीसी की परियोजना प्रमुख शिवकुमार सिंह भदौरिया ने बताया कि प्लांट की देखरेख की जिम्मेदारी तीन वर्ष के लिए विक्रम सोलर को दी गई है। प्लांट से बिजली की आपूर्ति बांगरमऊ, संडीला, औरंगपुर सांभी व रसूलाबाद सबस्टेशनों को की जा रही है।
पहले कोयले से बननी थी बिजलीयहां पहले कोयला आधारित पावर प्लांट स्थापित होना था लेकिन बाद में प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए 140 व 85 मेगावाट की सोलर पावर प्लांट की दो यूनिटों का निर्माण किया गया। यहां बनने वाली बिजली को नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी), उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को बेच रहा है।परियोजना का शिलान्यास 2019लागत 937 करोड़ रुपयेक्षमता 225 मेगावाटविस्तार 384 हेक्टेयरनिर्माण एजेंसी विक्रम सोलर
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