कानपुर की बाजारों में पराग फ्लेवर्ड मिल्क और लस्सी की आपूर्ति हुई बंद, जानिए क्या है वजह
पराग के रेगुलर ग्राहक अनिल शर्मा ने बताया कि पराग के दूध पर विश्वास रहता है। इसमें कोई दिक्कत हुई तो अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है लेकिन अन्य दूध डेयरियों में ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि हर दूसरे-तीसरे दिन फ्लेवर्ड मिल्क लेते थे।
By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Sun, 22 Aug 2021 03:35 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। शहर में अब पराग डेयरी का फ्लेवर्ड मिल्क और लस्सी मिलना बंद हो चुकी है। इससे पराग को हर रोज 10 से 20 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। हर रोज ग्राहक शिकायत करने के लिए पराग डेयरी महाप्रबधंक से शिकायत करने पहुंच रहे हैं। निरालानगर स्थित पराग डेयरी परिसर में ब्रिटिश सरकार ने पराग प्लांट बनाया था। धीरे-धीरे प्लांट की मशीनें खराब होती गईं। उस समय पर पराग की सेल एक लाख लीटर प्रतिदिन थी। पराग डेयरी पुराना प्लांट बंद हुआ तो दूध की सेल लगातार घटती रही। मौजूदा समय में अब पांच हजार लीटर ही दूध की शहर में खपत है। इसी प्लांट से फ्लेवर्ड मिल्क बनता था। जब प्लांट बंद हुआ तो लखनऊ स्थित डेयरी से दूध पैक होकर शहर आने लगा था, लेकिन 15 दिन पहले लखनऊ की पुरानी डेयरी को नई डेयरी में शिफ्ट किया जाना था। इस वजह से मशीन खराब हो गई है। इससे फ्लेवर्ड मिल्क और लस्सी आना ही बंद हो गया है।
पराग के रेगुलर ग्राहक अनिल शर्मा ने बताया कि पराग के दूध पर विश्वास रहता है। इसमें कोई दिक्कत हुई तो अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन अन्य दूध डेयरियों में ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि हर दूसरे-तीसरे दिन फ्लेवर्ड मिल्क लेते थे, लेकिन पिछले 15 दिन से दूध नहीं मिल रहा। कन्नौज मिल्क प्लांट में फ्लेवर्ड मिल्क बनाने की तैयारी कन्नौज स्थित काऊ मिल्क प्लांट में अभी तक मिक्स दूध पैक कर अलीगढ़, फर्रुखाबाद, मरेठ सहित अन्य जनपदों में जाता है। महाप्रबधंक डा. राजीव वाष्र्णेय ने बताया कि फ्लेवर्ड मिल्क बनाने के लिए अधिकारियों से वार्ता चल रही है। उम्मीद है कि अब लखनऊ की जगह कन्नौज से फ्लेवर्ड मिल्क बनाया जाएगा।
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