Pitru Paksha Amavasya 2022: कानपुर में देहात में छोटी गया, पितृ पक्ष की अमवस्या पर पिंड दान का है खास महत्व
Pitru Paksha Amavasya 2022 कानपुर देहात के मूसानगर में यमुना नदी के उत्तरगामिनी होने से यहां पिंड दान का खासा महत्व है। देवयानी सरोवर का यह स्थान छोटी गया के नाम से प्रचलित है। पितृ विसर्जनी अमावस्या को पिंड दान के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Thu, 22 Sep 2022 11:10 PM (IST)
कानपुर देहात, जागरण संवाददाता। Pitru Paksha Amavasya 2022 : पितृ पक्ष अब समाप्ति की ओर हैं और रविवार को अमवस्वया पर पितरों का विसर्जन करने का दिन है। इस दिन कानपुर देहात के मूसानगर स्थित देवयानी सरोवर में पिंड दान का खास महत्व है। वैसे तो पूरे पितृ पक्ष में लोग यहां पिंड दान के लिए पहुंचते रहे लेकिन पितृ विसर्जनी अमवस्या पर पितरों के तर्पण के लिए लोग खास तौर पर आते हैं। मान्यता यह भी है कि पितरों के तर्पण के लिए बिहार के गया जाने से पहले लोग यहां पर पिंडदान करते हैं। इसलिए इसे छोटी गया के नाम से भी जाना जाता है।
छोटी गया में पिंडदान की क्या है मान्यता
चतुर्भुज आकार के चारों ओर सीढ़ियों से युक्त देवयानी सरोवर (Devyani Sarovar) का धार्मिक महत्व है। देवयानी सरोवर की खास बात निकट में यमुना नदी का उत्तरगामिनी होना है। बिहार के गया से पहले यहां पर प्रथम पिंडदान की मान्यता है और इसके बाद ही गया में पिंडदान संपूर्ण माना जाता है। इसलिए इस स्थान को छोटी गया (Choti Gaya) भी कहा जाता है। पितृ विसर्जन अमावस्या पर यहां पिंडदान के लिए आसपास जनपद ही नहीं राज्यों से भी लोग आते हैं।
प्रचलित है पौराणिक कथा
देवयानी सरोहवर को लेकर पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहते हैं कि दैत्यराज वृषपरवा की पुत्री शर्मिष्ठा और दैत्यगुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी जंगल घूमने आईं थीं। यहां सरोवर देखकर वह स्नान करने लगीं। इस बीच भगवान शंकर को आते देखकर देवयानी ने जल्दी में शर्मिष्ठा के वस्त्र पहन लिए। इसपर गुस्से में शर्मिष्ठा ने उसे कुएं में धक्का दे दिया। उसी समय जाजमऊ के राजा ययाति गुजरे और उन्होंने कुएं से देवयानी को बाहर निकाला। इससे प्रसन्न शुक्रचार्य ने पुत्री देवयानी का विवाह राजा ययाति से कर दिया। राजा ययाति ने सरोवर को भव्य रूप दिय और तबसे इसे देवयानी सरोवर के नाम से जाना गया।क्या होती पितृ विसर्जनी अमावस्या
लोग अपने पूर्वज की मृत्यु की हिंदू तिथि के अनुसार पिंडदान (Pind Daan) व श्राद्ध (Shradh) करते हैं। कुछ लोग जिन्हें अपने पूर्वज की मृत्यु की तिथि याद नहीं होती है, वो पितृ विसर्जनी अमावस्या पर पिंडदान और श्राद्ध् करते हैं। यमुना नदी के किनारे उत्तरगामिनी धारा के पास पिंडदान करने से पूर्वजों काे तर्पण पूरा माना जाता है।मुख्य पंडित गुड्डू पाठक बताते हैं कि वैसे तो पितृ पक्ष में प्रतिदिन पिंडदान करने वालों का तांता लगा रहता है लेकिन पितृ विसर्जनी अमावस्या (Pitru Paksha Amavasya 2022) पर खासा भीड़ होती है।
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