Positive India: कोरोना से जंग के लिए बढ़े दो मासूम कदम, बुंदेलखंड की बच्चियों के जज़्बे को सलाम
चित्रकूट और जालौन में दो मासूम बच्चियों ने अपनी गुल्लक के पैसे पुलिस अफसरों को देकर कोरोना से लड़ाई की बात कही।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Mon, 13 Apr 2020 06:04 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। आज देश-दुनिया संकट से जूझ रहा है, तब कोरोना से लड़ाई के लिए बुंदेलखंड से दो मासूम कदम आगे बढ़े तो उनके जज़्बे को हर किसी ने सलाम किया। उनकी करनी बड़े-बड़ों के लिए मिसाल बन गई है। अब चित्रकूट कर्वी की आठ साल की सौम्या और जालौन कुठौंद की छह साल की वैष्णवी का हर कोई गुणगान करने से थक नहीं रहा है।
जन्मदिन पर सौंप दी गुल्लकहुआ यूं कि बीते शनिवार की शाम एसपी अंकित मित्तल कर्वी कोतवाली, यातायात पुलिस टीम के जवानों के साथ ट्रैफिक चौराहे पर खड़े थे तभी मुख्यालय निवासी आलोक यादव आठ साल की बेटी सौम्या के साथ आए। सौम्या ने एसपी को अपनी गुल्लक पकड़ा दी तो वह सोच में पड़ गए। तभी अचानक उसने कहा- पुलिस अंकल, यह मेरी गुल्लक है, इसे ले लीजिए और कोरोना को किसी भी कीमत पर छोड़ना मत। उससे पूछा कि ये पैसे कहां से आए तो सौम्या ने तोतली आवाज में बताया अंकल में आज मेरा जन्मदिन है और इसमें हर बार जन्मदिन पर मिलने वाले पैसे और घर आने वालों ने जो पैसे दिए वो हैं।
उसकी बातें सुनकर एसपी समेत सभी पुलिस कर्मी भावुक हो गए। एसपी ने गुल्लक तोड़ी तो उसमें करीब 21 हजार 95 रुपये निकले। इसपर सौम्या से पूछा कि इतने रुपयों का वो क्या करें तो वह बोली- अंकल इससे पुलिस के लिए मास्क, सैनिटाइजर और गरीबों को बांटने के लिए सामान ले आएं। बाद में पुलिस कर्मियों ने केक मंगाकर सौम्या से कटवाकर जन्मदिन मनाया। एसपी ने बताया कि बच्ची के ताऊ जगदीश यादव भी पुलिस महकमे थे, इसलिए उसमें पुलिस के प्रति प्रेम ज्यादा है।
छह साल की बच्ची ने राहत कोष में दिए पैसे
इसी तरह जालौन कुठौंद में रहने वाले मुकेश पाल की 6 साल की बेटी वैष्णवी भी अपनी गुल्लक लेकर पुलिस के पास पहुंच गई। पिता के साथ थाने जा पहुंचकर उसने थानाध्यक्ष सुधाकर मिश्रा को गुड मॉर्निंग बोला और कहा अंकल ये लो मेरी गुल्लक। आप इसके पैसे निकाल कर पीड़ित लोगों के मदद में खर्च कर देना। उसकी बातें सुनकर थानाध्यक्ष भावुक हो गए। गुल्लक तोड़ने पर 1100 रुपये निकले, वहां मौजूद समाजसेवी सुनील रजावत,पवन शर्मा,अनूप मिश्रा पैसे वापस करने लगे तो वह रोने लगी। थानाध्यक्ष ने एसडीएम को पूरी बात फोन पर बताई तो उन्होंने पैसे जिलाधिकारी राहत कोष में जमा कराने को निर्देश दिए।
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