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Prabodhini Ekadashi: गंगा स्नान कर श्रीहरि विष्णु का पूजन कर रहे भक्त, तुलसी विवाह के साथ शुरू होंगे शुभ कार्य

कानपुर में भक्त देवोत्थानी एकादशी पर भोर से ही गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे है। बिठूर सरसैया घाट पर बड़ी संख्या में भक्त आस्था की डुबकी लगा रहे है। भक्तों की मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह बाद अपनी योग निद्रा से जागते है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek AgnihotriUpdated: Fri, 04 Nov 2022 01:12 PM (IST)
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कानपुर में देवोत्थानी एकादशी में गंगा स्नान करते हुए भक्त।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थानी एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु का पूजन अर्चन किया जा रहा है। इसी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जिसके साथ ही चातुर्मास संपन्न होते हैं और शुभ कार्य की शुरुआत होती है।

शुक्रवार को भोर पहर से देवोत्थानी एकादशी पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर दान करने की परंपरा का पालन घाटों पर किया जा रहा है। बिठूर, सरसैया घाट पर भोर पहर से भक्त स्नान पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। घर-घर श्रीहरि विष्णु का पूजन अर्चन किया जा रहा है। वहीं मंदिर और मठों में तुलसी विवाह की परंपरा का पालन किया जा रहा है। 

शुक्रवार को प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा का पालन किया जा रहा है।  भक्त घर और मंदिरों में लगे तुलसी के पौधे का शृंगार कर विवाह की रस्मों को पूरा कर रहे हैं। कहा जाता है कि जो कोई भी ये शुभ कार्य करता है, उनके घर में जल्द ही शादी की शहनाई बजती है और पारिवारिक जीवन सुख से बीतता है।

सरसैया घाट पर बड़ी संख्या में भक्त जीवन में सौभाग्य को बनाए रखने के लिए तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी चढ़ाकर श्रीफल अर्पित कर रहे हैं। बाबा आनंदेश्वर मंदिर में स्थित तुलसी के पौधे का शृंगार कर भक्त लक्ष्मी ने विधिवत पूजन अर्चन किया और परिवार कल्याण और सुख-समृद्धि की प्रार्थना श्रीहरि विष्णु से की।

देवोत्थानी एकादशी पर बाबा आनंदेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, पनकी मंदिर, इस्कान मंदिर, शिवाला मंदिर सहित सभी मंदिरों में भोर पहर से भक्त दर्शन पूजन के लिए परिवार सहित पहुंच रहे हैं।

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