Vande Bharat Train काठगोदाम तक वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन मील का पत्थर साबित होगा। भविष्य में सेंट्रल स्टेशन से प्रयागराज व वाराणसी तक इसका संचालन बढ़ाने से दोनों राज्यों के संबंधित क्षेत्रों को रेलवे मानचित्र पर विशेष पहचान मिलेगी। बाबा विश्वनाथ व केदारनाथ धाम के बीच सीधा जुड़ाव होने से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को बल मिलेगा। साथ ही इससे कई जिलों के लोगों को भी लाभ मिलेगा।
शिवा अवस्थी, कानपुर।
काठगोदाम तक वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन मील का पत्थर साबित होगा। भविष्य में सेंट्रल स्टेशन से प्रयागराज व वाराणसी तक इसका संचालन बढ़ाने से दोनों राज्यों के संबंधित क्षेत्रों को रेलवे मानचित्र पर विशेष पहचान मिलेगी। बाबा विश्वनाथ व केदारनाथ धाम के बीच सीधा जुड़ाव होने से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को बल मिलेगा।
वहीं, पूर्वांचल के जिलों के हजारों उन कर्मियों को सुगम सफर मिलेगा, जो हल्द्वानी, नैनीताल, रुद्रपुर, काठ गोदाम समेत आसपास के जिलों में रोजी-रोटी कमाने के लिए घर से दूर हैं।
वंदे भारत एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच बेहतरीन, त्वरित व आरामदायक यातायात का कारण ही नहीं बनेगी, बल्कि पहले के संबंधों में और प्रगाढ़ता लाएगी।
वाराणसी से बढ़ेगा कानपुर का जुड़ाव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक कर्मक्षेत्र की धरती कानपुर से लोगों का जुड़ाव बढ़ेगा, जिनकी शिक्षा का गवाह डीएवी कालेज यहीं है।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मातृभूमि उत्तराखंड में है, जबकि वहां के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उत्तर प्रदेश से गहरा नाता है। लखनऊ उनकी कर्मभूमि रहा। व्यापारिक राजधानी कानपुर, सियासत के केंद्र लखनऊ के लोग सुगम व आरामदायक सफर का लुत्फ उठा सकेंगे। पर्यटन, व्यापार, नौकरीपेशा, कामगार, श्रद्धालु, पर्यटक, युवाओं, छात्र-छात्राओं, प्रोफेशनल समेत हर किसी को लाभ मिलेगा।
ये होगा फायदा
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20 से अधिक पूर्वांचल, कानपुर-बुंदेलखंड व आसपास के जिलों के लोगों को मिलेगा सुगम सफर।
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25 से 30 हजार निजी व सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी हैं दोनों प्रांतों में, वंदे भारत के संचालन वाले दोनों रूट पर।
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50 हजार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कारोबार व उद्यम से जुड़े उद्यमी, व्यापारी, कर्मी हैं, जो प्लाई, होटल, आयुर्वेदिक सामान, चमड़ा, पर्यटन उद्योग से जुड़े हैं।
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2 से तीन लाख श्रद्धालु व पर्यटक प्रतिवर्ष आवाजाही करते उत्तराखंड और बाबा विश्वनाथ दरबार वाराणसी, जो कानपुर तक आसानी से आ-जा सकेंगे।
चला सकते स्लीपर वंदे भारत भी
रेलवे के तकनीकी अधिकारियों के अनुसार, स्लीपर वंदे भारत का संचालन भी किया जा सकता है। कानपुर सेंट्रल से काठगोदाम की दूरी 458 किलोमीटर है, जबकि इसे वाराणसी तक भविष्य में बढ़ाने पर यह 776 किलोमीटर हो जाएगी। इससे इस रूट पर स्लीपर वंदे भारत का संचालन भी हो सकता है। इसमें चेयर कार और स्लीपर दोनों की व्यवस्था और बेहतर होगी।
इन दो रूटों पर चला सकते
पहला
कानपुर सेंट्रल, लखनऊ जंक्शन, शाहजहांपुर जंक्शन, बरेली जंक्शन, रामपुर, बिलासपुर रोड, रुद्रपुर सिटी, लालकुआं जंक्शन, हल्द्वानी व काठगोदाम।
दूसरा
कानपुर सेंट्रल, अनवरगंज, कन्नौज, फर्रुखाबाद, कासगंज, बरेली से वाया रुद्रपुर सिटी, हल्द्वानी, काठगोदाम।
काठगोदाम तक वंदे भारत चलाने की मांग 2021 में ही की थी। फिर से इसके लिए रेलमंत्री को पत्र लिखेंगे। सांसदों व जनप्रतिनिधियों से बात कर वंदे भारत संचालन के लिए रेलवे बोर्ड को चिट्ठी लिखवाकर माहौल बनाएंगे।
-विजय कुमार मिश्र, सदस्य, रेल परामार्शदात्री समिति उत्तर मध्य रेलवे।
कोई भी ट्रेन चलाने का निर्णय पूरी तरह रेलवे बोर्ड पर करता है। जनप्रतिनिधियों, यात्री संगठनों व दूसरे किन्हीं माध्यमों से कानपुर-काठगोदाम वंदे भारत संचालन की मांग आने पर उसे रेलवे बोर्ड भेजेंगे।
-हिमांशु शेखर उपाध्याय, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी उत्तर मध्य रेलवे।
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