Prostate Cancer: बेहद घातक है प्रोस्टेट कैंसर, जानिए- इस बीमारी के लक्षण
Prostate Cancer कानपुर के यूरोलाजिस्ट डा. मनीष कुमार ने बताया कि लाइलाज नहीं है प्रोस्टेट कैंसर। यदि प्रोस्टेट कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो 50 साल की उम्र के बाद नियमित अंतराल में जांच कराएं। उपचार संयमित जीवनशैली और खानपान में बदलाव से ये हो जाता है ठीक...
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 11 Oct 2021 05:34 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। प्रोस्टेट कैंसर, पुरुषों में होने वाले पांच सबसे प्रमुख कैंसरों में से एक है। इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा हर पुरुष को होता है और उम्र बढऩे के साथ यह खतरा बढ़ जाता है। जीवनशैली और खानपान में बदलाव से इसके खतरे को कम किया जा सकता है। इसकी चपेट में आने पर यदि शुरुआत में ही पता लग जाए औैर उपचार शुरू हो जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर : उम्र बढऩे के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार में बदलाव आ सकता है। प्रोस्टेट कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि में विकसित होता है। प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और फिर पूरी प्रोस्टेट ग्रंथि में फैल जाता है। विकसित होने की गति के आधार पर प्रोस्टेट कैंसर को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला, एग्रेसिव या फास्ट ग्रोइंग और दूसरा, नान-एग्रेसिव या स्लो ग्रोइंग। नान-एग्रेसिव या स्लो ग्रोइंग बहुत धीमी गति से विकसित होता है, जबकि एग्रेसिव या फास्ट ग्रोइंग बहुत तेजी से विकसित होता है और कई बार शरीर के दूसरे भागों में भी फैल जाता है।
कारण : यह कैंसर तब विकसित होता है, जब प्रोस्टेट की कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन आ जाता है। इससे कोशिकाओं में गुणात्मक वृद्धि होने लगती है। यह असामान्य कोशिकाएं इकट्ठी होकर ट्यूमर का निर्माण करती हैं। ऐसे में असामान्य कोशिकाएं शरीर के दूसरे भागों तक पहुंच जाती हैं।
पारिवारिक इतिहास : जिन पुरुषों के पिता, भाई या निकट संबंधियों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले देखे जाते हैं, उनमें इसका खतरा अधिक होता है।
मोटापा : कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि वजन बढऩे से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।जांचें
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- प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन टेस्ट
- अल्ट्रासाउंड
- एमआरआई
- बायोप्सी
- पोषक भोजन का सेवन करें, जो फलों, सब्जियों और अनाज से भरपूर हो
- नियमित व्यायाम करें
- वजन नियंत्रित रखें
- यदि प्रोस्टेट कैंसर का पारिवारिक इतिहास है तो 50 साल की उम्र के बाद नियमित अंतराल में जांच कराएं