पति-पत्नी के रिश्ते में और भी मिठास घोलेंगे एक्पर्ट्स के ये टिप्स, महकने लगेगी जीवन की बगिया
अगर आप चाहते हैं कि दांपत्यरूपी जीवन बगिया हमेशा महकती रहे तो दोनों को इसके लिए प्रयास करने होंगे। ये केवल एक की जिम्मेदारी नहीं है। इस बारे में रिलेशनशिप एक्सपर्ट डा. शालिनी शर्मा से दिनेश दीक्षित की बातचीत
By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Wed, 08 Dec 2021 07:03 PM (IST)
कानपुर, [दिनेश दीक्षित]। रिलेशनशिप एक्सपर्ट डा. शालिनी शर्मा कहती हैं कि मेरे घर के करीब रहने वाले एक परिचित दंपती इतने प्रेम से रहते हैं कि लोग उन्हें देखकर एक बार उनके बारे में आपस में चर्चा जरूर करते हैं कि देखो ये पति-पत्नी कितने प्रेम से रहते हैं। डा. शालिनी कहती हैं कि एक बार मैंने उन दंपती से पूछा कि क्या आप लोग जानते हैं कि लोग आपको देखकर आपके बारे में चर्चा अवश्य करते हैं कि आप कितने प्रेम से रहते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि हम किसी को दिखाने या जताने के लिए प्रेम से नहीं रहते हैं। यह हम दोनों की आपसी समझदारी है कि हम किसी भी मुद्दे पर आपस में लड़ाई नहीं करते हैं। किसी भी प्रकार की कोई परेशानी आए या किसी भी बात को लेकर हम दोनों की राय एक न बने, लेकिन हम उन बातों पर आपस में बहस करने की बजाय कोशिश करते हैं कि उन परेशानियों से कैसे निकला जाए। इस बारे में आपस में विचार-विमर्श करते हैं। यही नहीं अगर हमारे बीच कभी किसी बात को लेकर मनमुटाव होता है तो भी हम साथ बैठकर उस बारे में प्रेम से बात करते हैं। इससे बाहर तो छोडि़ए घर के भीतर भी किसी को भनक तक नहीं लगती कि हमारे बीच मनमुटाव है या कहासुनी हुई है।
डा. शालिनी का कहना है कि पति-पत्नी के बीच यदि कभी-कभार कहासुनी होती है तो यह कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन यदि यह आए दिन होने लगे तो इससे यह जाहिर होता है कि दोनों में समझ का अभाव है। इसलिए आपस में बातचीत करते समय इस बात का विशेष खयाल रखना चाहिए कि दोनों में से कोई ऐसी बात न कहे जिससे कि साथी को क्रोध आए और वह क्रोध में कोई ऐसी बात कह जाए, जो दूसरे के लिए पीड़ादायक साबित हो। यह नियम पति-पत्नी दोनों पर समान रूप से लागू होता है। परिवार आपसी सहमति और सूझबूझ से चलता है। इसलिए घर-परिवार से जुड़े कैसे भी मामले या फैसले हों, जहां तक संभव हो पति-पत्नी दोनों को साथ में लेने चाहिए न कि एक-दूसरे पर अपने फैसले थोपने चाहिए। सही जीवनसाथी वो होता है, जो साथ बैठकर अपनी राय देता है और जीवनसाथी की राय लेता भी है। इससे वैवाहिक जीवन सुचारु रूप से चलता रहता है।
- डा. शालिनी कहती हैं कि कभी-कभी देखने में आता है कि कुछ महिलाएं पति से तो यह उम्मीद करती हैं और अपेक्षा रखती हैं कि पति उनका सम्मान करे, लेकिन जब उनकी बारी आती है तो वे यह भूल जाती हैं कि पति भी आपसे वैसी ही उम्मीद रखते हैं, जैसे कि आप पति से रखती हैं। यदि आप चाहती हैं कि पति आपका दिल से सम्मान करें तो आपको भी उनका दिल से सम्मान करना चाहिए। कारण, प्यार और आदर से हर किसी का दिल जीता जा सकता है।
- डा. शालिनी के अनुसार अधिकतर घरों में खानपान की जिम्मेदारी पत्नी की ही होती है। यह पत्नी का दायित्व है कि वह पति सहित परिवार में मौजूद हर सदस्य के खानपान का पूरा खयाल रखे, लेकिन इसके साथ ही पति की और परिवार के अन्य सदस्यों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे गृहिणी का भी अच्छी तरह से खयाल रखें और इस बात को सुनिश्चित करें कि गृहिणी भी समय पर और स्वास्थ्यवर्धक भोजन करे। ऐसा न हो कि पूरे परिवार के खानपान की जिम्मेदारी उठाने के फेर में वह स्वयं की देखभाल करना भूल जाए या जो भी मिल गया वो खाकर संतोष कर ले।
- डा. शालिनी का कहना है कि वैसे तो लगभग हर पति-पत्नी प्यार से रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि घरेलू और कामकाजी जिम्मेदारियां उठाने के फेर में और भागदौड़ के बीच दोनों ही उस प्यार को जाहिर करना भूल जाते हैं। यही नहीं उसे अवसर आने पर भी जाहिर नहीं कर पाते हैं। अगर आप दोनों में से कोई भी ऐसा कर रहा है तो जरा ठहरकर सोचिए कि क्या आप वाकई दांपत्य जीवन का आनंद ले रहे हैं। इसलिए समय-समय पर अपने प्यार को जाहिर करने के लिए समय निकालें। अगर आप दोनों प्रतिदिन ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कम से कम सप्ताह में एक दिन ही सही जीवनसाथी के लिए दिल में छिपे प्यार को जाहिर करें। चाहे वो गुलाब का एक फूल देना हो या जीवनसाथी की पसंद की कोई छोटी सी चीज लाकर देना हो। कुछ नहीं तो घर में ही चाय या काफी तैयार कर दे सकते हैं। इससे जीवनसाथी को यह अहसास होता है कि मेरा साथी वाकई मुझे दिल से चाहता है और मेरी इज्जत करता है।
- डा. शालिनी कहती हैं कि यह सही है कि रिश्तों में अगर थोड़ी सी नोकझोंक न हो तो जीवन नीरस सा लगने लगेगा, लेकिन इस संदर्भ में यह याद रखें कि केवल नोकझोंक ही न होती रहे। इससे जीवन में एकाकीपन आने लगेगा। किसी भी बात पर पति-पत्नी दोनों में अनबन होने पर कुछ समय पश्चात शांति से बैठकर आपस में प्रेम से बात करें और विवादों को सुलझाने की कोशिश करें। कारण, कई बार छोटे-छोटे विवाद भी रिश्ते में बड़ी कड़वाहट छोड़ जाते हैं। नतीजतन दिल में प्रेम की भावना की जगह नफरत घर करने लगती है। इससे जीवन बोझ लगने लगता है। कई बार ऐसा होता है कि क्रोध में भी आपस में कहासुनी अधिक हो जाती है। ऐसे में दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि कहासुनी या नोकझोंक होने के पश्चात अपने जीवनसाथी से सारी बोलने या माफी मांगने में संकोच न करें। यह नियम पति-पत्नी दोनों पर समान रूप से लागू होता है। यह केवल पत्नी की ही जिम्मेदारी नहीं है कि वो ही हर बार माफी मांगे या सारी बोले। एक समझदार पति वही होता है, जो गलती होने पर आगे बढ़कर सारी बोलता है और माफी मांगता है। हालांकि दांपत्य में कभी-कभी ऐसा होता है कि दोनों को यह महसूस होता है कि उसकी तो कोई गलती ही नहीं है या गलती तो दूसरे ने की है। ऐसे में सबसे अच्छा यही रहता है कि बिना देर कोई भी एक माफी मांग ले या सारी बोल दे तो बात बिगडऩे नहीं पाती है। इससे दोनों में लंबे समय तक प्यार बरकरार रहता है।
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