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रिंग रोड कर सकती है कानपुर की कई समस्याओं का समाधान, फिर विधायक-सांसद क्यों नहीं दे रहे ध्यान

अगर कानपुर शहर में रिंग रोड बन जाती है तो जाम के साथ प्रदूषण की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान हो जाएगा। इसके साथ ही औद्योगिक विकास को भी गति मिलेगी और शहर के अंदर वाहनों का लोड कम होगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 21 Nov 2020 09:30 AM (IST)
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कानपुर में प्रस्तावित रिंग रोड को लेकर प्रयास नाकाफी हैं।
कानपुर, जेएनएन। आउटर रिंग रोड सिर्फ शहर को जाम मुक्त ही नहीं करेगी, बल्कि लाइफ लाइन भी साबित होगी। शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा। यहां के औद्योगिक विकास को भी पंख लगेंगे। बस जरूरत है तो इस प्रोजेक्ट को पूरी इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ाने की। यह आगे तभी बढ़ेगा जब यहां के जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अफसर संयुक्त रूप से प्रयास करेंगे। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है।

शहर से गुजरते हैं पांच लाख से ज्यादा वाहन

कानपुर, अकबरपुर और मिश्रिख व उन्नाव के सांसद भाजपा के हैं। भाजपा विधायकों की संख्या भी कम नहीं। सभी एकजुट होकर मुख्यमंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री को रिंग रोड न होने से शहर को होने वाली समस्याएं, इसकी स्थापना से लाभ से अवगत कराएं तो जरूर प्रोजेक्ट मंजूर होगा।

जीटी रोड हो या नौबस्ता से हमीरपुर होते हुए सागर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग, झांसी से आने वाले वाहन, कानपुर- इटावा हाईवे, कानपुर-लखनऊ और कानपुर-प्रयागराज हाईवे। इन पर हर रोज तकरीबन पांच लाख से अधिक वाहन शहर से होकर गुजरते हैं। इससे शहर में ध्वनि प्रदूषण तो बढ़ता ही है, पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। रिंग रोड बन जाने के बाद ये वाहन बाहर ही बाहर निकल जाएंगे। जाम भी नहीं लगेगा।

अबतक नहीं हुए सामूहिक प्रयास

रिंग रोड के लिए जनप्रतिनिधियों ने तो सिर्फ पत्र लिखने में ज्यादा रुचि दिखाई है, कभी भी सामूहिक प्रयास नहीं किया। यह रिंग रोड सांसद देवेंद्र सिंह भोले के संसदीय क्षेत्र में आने वाले महराजपुर व बिठूर विधानसभा क्षेत्र तो मिश्रिख के सांसद अशोक रावत के संसदीय क्षेत्र के बिल्हौर होते हुए उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज के संसदीय क्षेत्र उन्नाव से होते हुए फिर महराजपुर के हाथीपुर गांव में प्रयागराज हाईवे से जुड़ेगा।

सांसद सत्यदेव पचौरी कानपुर के सांसद हैं। यहां के बड़े उद्यमी और कारोबारी उनके इस संसदीय क्षेत्र में ही रहते हैं। उनके संसदीय क्षेत्र से ही राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं। ऐसे में सबको मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। इसी तरह प्रशासनिक अधिकारियों को भी सिर्फ बैठकें नहीं करनी चाहिए उन्हेंं भी मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और एनएचएआइ मुख्यालय पर प्रयास करने चाहिए, पर ऐसा नहीं हो रहा है।

रिंग रोड के नाम पर सिर्फ बैठकें

मंडलायुक्त की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति की बैठकों में हर बार रिंग रोड का मुद्दा उठता है। दो माह पहले हुई बैठक में कहा गया था कि इसके आकार को छोटा किया जाए। इसके लिए सर्वे को कमेटी भी बनी, पर अभी तक सर्वे नहीं हुआ। बैठक में तय हुआ था कि इसके आकार को 105 किमी से घटाकर कम कर लिया जाए। कम लागत में कैसे काम हो सकता है इसका विकल्प भी सुझाया गया था, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला।

भारत माला परियोजना से बन सकती है रिंग रोड

मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को भारत माला परियोजना के तहत बनवा सकता है। इस प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण निर्माण के लिए ठेकेदार कंपनियों को 40 फीसद धन देता है। 60 फीसद धनराशि ठेकेदार कंपनी खुद लगाती है। कंपनी ही टोल टैक्स वसूली भी करती है।

फिलहाल जाम से ऐसे मिल सकती है राहत

रिंग रोड बनने तक जाम से निजात के लिए कुछ विकल्पों पर काम किया जा सकता है। कानपुर- लखनऊ हाईवे के चंद्रशेखर आजाद मार्ग से शुक्लागंज होते हुए गंगा बैराज होते हुए मंधना जा रहे मार्ग को चौड़ा कर दिया जाए। शुक्लागंज से मंधना तक यह मार्ग फोर लेन बन जाए तो लखनऊ की ओर से आने वाले वाहन मंधना के पास जीटी रोड पर पहुंच जाएंगे।

इसी तरह मंधना से टिकरा होते हुए भौंती बाबा मार्केट जाने वाले साढ़े तीन मीटर चौड़े मार्ग को टू लेन किया जा सकता है। इससे जीटी रोड कानपुर-इटावा हाईवे से जुड़ जाएगी। सचेंडी के किसान नगर से हमीरपुर रोड से मिलने वाली नहर की पटरी पर बनी सड़क को फोर लेन कर कर दिया जाए। इस तरह चार हाईवे एक दूसरे से जुड़ जाएंगे।

40 हजार करोड़ के निवेश की योजना को मिल सकती गति

रमईपुर में प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर में करीब छह हजार करोड़ रुपये, प्लास्टिक पार्क में चार हजार करोड़, गंगा बैराज पर बसाई जा रही ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी में करीब 20 हजार करोड़ और करीब 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश साढ़ गांव में प्रस्तावित डिफेंस डिफेंस कॉरीडोर में होना है। इन्हीं औद्योगिक क्षेत्रों के समीप से ही रिंग रोड गुजरना है। ऐसे में यहां तभी निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा जब उद्यमियों को आवागमन के लिए अच्छी सड़क मिलेगी।

क्यों जरूरी है रिंग रोड

  • रिंग रोड की स्थापना के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर संयुक्त रूप से प्रयास की जरूरत है। यह रिंग रोड शहर की समृद्धि का मार्ग खोलेगी। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करेंगे। - सुनील वैश्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आइआइए
  • रिंग रोड की स्थापना के लिए सिर्फ बातों का छल्ला बनाया जा रहा है। जरूरत है गंभीरता से प्रयास करने की। यह रिंग रोड उन्नाव के विकास का भी मार्ग प्रशस्त करेगा। हर हाल में इसकी स्थापना होनी चाहिए। - अतुल सेठ, प्रांतीय उपाध्यक्ष , पीआइए
  • औद्योगिक विकास और कारोबार तभी बढ़ेगा जब यहां जाम की समस्या खत्म होगी और यातायात सुगम होगा। अब तो केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है। दोनों सरकारें चाहेंगी तो ङ्क्षरग रोड आसानी से बन जाएगी। -बलराम नरूला, उद्यमी
  • मेगा लेदर क्लस्टर तो बनने जा रहा है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के साथ ही रिंग रोड की स्थापना का कार्य भी शुरू होना चाहिए। रिंग रोड बनेगा तो निश्चित रूप से वहां से माल लाने और ले जाने में आसानी होगी। - अशरफ रिजवान, उद्यमी
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