Road Safety With Jagran: खराब पैचवर्क करने वालों पर हो कार्रवाई, सांसद देवेंद्र सिंह भोले का खास साक्षात्कार
कानपुर में दैनिक जागरण के सुरक्षित यातायात अभियान के तहत सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने अपने साक्षात्कार में सड़कों को गड्डामुक्त बनाने के अभियान में खराब पैचवर्क करने वालों पर विधिक कार्रवाई की बात कही है तो यातायात की बैठक में मुद्दे उठाएंगे।
- हाईवे की सड़कें बहुत खराब हैं। रूमा से भौंती तक जाने वाले हाईवे पर कई स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। इस हाईवे से लखनऊ जाने वाला रास्ता भी बुरी तरह खराब है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसे बनाया है और वही इस पर टैक्स भी वसूलता है। एक स्थान पर सबवे का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने की वजह से करीब एक वर्ष वह हिस्सा बंद रहा। दो-चार दिन के लिए अगर को रास्ता प्रभावित हुआ हो तो चल जाता है लेकिन लंबे समय वह हिस्सा खराब रहे तो वह टैक्स नहीं वसूल सकता। इसलिए जो टैक्स इस दौरान वसूल किया गया है, उसे सरकार के खाते में तुरंत जमा कराना चाहिए। दिशा की बैठक में इस मु्द्दे को उठा चुके हैं। इसके साथ ही प्राधिकरण को पूरे एलीवेटेड हाईवे को अच्छे से बनाना चाहिए।
- हाईवे के साथ ही शहरी क्षेत्र के अंदर की सड़कें भी बुरी तरह खराब हैं। इससे अक्सर हादसे होते हैं।
शहर के अंदर की सड़कें लोक निर्माण विभाग बनाता है। प्रदेश सरकार ने गड्ढामुक्त सड़कों का अभियान चलाया। इसमें कई जगह काम ठीक हुआ है और कई जगह ठीक नहीं है। स्थानीय दबंग और ठेकेदारों ने मिलकर काम को खराब कर दिया। इसकी वजह से पैचवर्क खराब हुए। जिनका भी काम खराब हुआ है उनकी जांच कर विधिक कार्यवाही की जाए और दंडित किया जाए। इसी तरह एनएचएआइ की सड़कों पर जहां काम खराब है, उसके लिए उनके अधिकारियों पर भी कार्यवाही हो।
- हाईवे अवैध के अवैध कट जानलेवा हैं। अचानक बीच में से कोई भी निकल कर तेज रफ्तार वाहन के सामने आ जाता है।
अवैध कट हैं लेकिन एनएचएआइ को हाईवे के रास्तों की ड्राइंग बनानी चाहिए। जहां पर आबादी के हिसाब से जरूरत है, वहां पर अवैध कट को वैध घोषित कर संकेतक लगाए जाएं और बाकी सभी अवैध कट को बंद किया जाए।
- हाईवे पर संकेतक न होने की वजह से उस रास्ते से कहीं दूसरे क्षेत्र के वाहन चालक भटक कर दूसरी राह पर चले जाते हैं।
यह समस्या तो बड़ी है। कई बार सही जगह संकेतक न मिलने वाहन चालक पांच से 10 किलोमीटर तक आगे चले जाते हैं। नियमों को मानने वाले अगले कट से फिर लौटते हैं। वहीं नियमों का उल्लंघन करने वाले जहां उन्हें समझ में आता है, वहीं से यूटर्न लेकर वापस चल देते हैं। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है। मंडी समिति से जाने पर रायपुर पर जाकर वापस लौटने का मौका मिलता है। इसलिए सचेंडी के पास एक अंडर पास को स्वीकृत कराया है। कानपुर देहात में मेडिकल कालेज के पास भी यही स्थिति है। लोगों को अस्पताल पहुंचने की जल्दी होती है। वहां भी अंडरपास बना रहे हैं। जहां भी जरूरत है, वहां अंडरपास या पुल बनाकर यातायात के खतरों को दूर किया जाए।
- हाईवे पर वाहन चालक को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वे तो नजर ही नहीं आतीं।
यह सही बात है। यात्री की सुविधा के लिए शौचालय, ठहराव की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा एंबुलेंस, क्रेन भी रहनी चाहिए। एनएचएआइ को अपनी एंबुलेंस लगानी चाहिए।
- पिछले दिनों एक हादसे में 26 लोग मर गए। शराब पीकर ट्रैक्टर चलाने वाले की गलती की सजा इतने लोगों को भुगतनी पड़ी।
पीड़ित परिवारों को हर तरह से सहयोग किया गया। इसके बाद भी ट्रैक्टर चालक के खिलाफ अब कोई बोलने को तैयार नहीं है क्योंकि वह उसी गांव का है। समाज को इस तरह के हादसे करने वालों को सबक सिखाना चाहिए।
- वाहन चालक खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ज्यादातर तो नियमों के बारे में जानते तक नहीं।
आरटीओ में दलालों का खेल चल रहा है। घर के किसी व्यक्ति या किसी पड़ोसी की गाड़ी को चलाकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया जाता है। इसकी जगह वाहन चालक को लाइसेंस पाने से पहले ही प्रशिक्षण लेना चाहिए। जब वह प्रशिक्षण ले चुके तभी उसे लाइसेंस जारी किया जाए।
- जिन्हें लाइसेंस जारी हो चुके हैं, उन्हें कैसे समझाया जाए।
हमें खुद समझना चाहिए कि हम जब गांव में होते हैं तो कैसे गाड़ी चलाते हैं। जब शहर में आते हैं तो कैसे और जब दिल्ली पहुंच जाते हैं तो कैसे नियमों का पालन करते हैं। इसलिए सिर्फ फोटो खींचकर चालान भेजने की जगह कठोरता से नियमों का पालन कराया जाए।