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कैसे सुधरे व्यवस्था... यहां 50 से 200 रुपये में लगती है सड़कों की बोली, 60 फीट चौड़ी सड़क 30 फीट में जाती है सिमट

कानपुर में सर्वोदय नगर के माडल रोड की बोली लगती है। 50 से 200 रुपये में सड़क खरीदी जाती है। नतीजतन करीब 60 फीट चौड़ी सड़क सिमटकर 30 फीट की रह जाती है और राहगीर दिन भर जाम से जूझते रहते हैं। ऐसे में पैदल चलने वालों को मुश्किल से रास्ता मिलता है। इन्हें खुद ही लोगों को हटाकर रास्ता बनाना पड़ता है।

By janardan Mishra Edited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 07 Jan 2024 12:45 PM (IST)
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कैसे सुधरे व्यवस्था... यहां 50 से 200 रुपये में लगती है सड़कों की बोली
जनार्दन मिश्र, कानपुर। सर्वोदय नगर के माडल रोड को जाम की बीमारी ने जकड़ रखा है। इसकी बड़ी वजह है उगाही। दरअसल, यहां सड़कें बिकती हैं। वह भी 50 से 200 रुपये में। सड़क के खरीदार रावतपुर क्रासिंग से देवकी चौराहे तक 100 से ज्यादा पटरी दुकानदार और टैक्सी व ई-रिक्शा चालक हैं। दुकानदारों से रोजाना औसतन पांच से 15 हजार तक की उगाही होती है।

सवारी वाहन चालकों से अलग वसूली की जाती है। बड़ी बात यह है कि इसका बहुत बड़ा हिस्सा पुलिस और नगर निगम को पहुंचता है। यही वजह है कि पुलिस और नगर निगम अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई से हिचकता है। नतीजतन, करीब 60 फीट चौड़ी सड़क सिमटकर 30 फीट की रह जाती है और राहगीर दिन भर जाम से जूझते रहते हैं।

शहर में यातायात की समस्या बड़ी है और इसे नवागत पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने भी स्वीकारा है। उन्होंने इसके समाधान के लिए पुख्ता कदम उठाने की बात भी कही है। हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि जब पुलिस विभाग के मातहत ही इस समस्या को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं तो भला व्यवस्था में सुधार कैसे होगा।

सर्वोदय नगर का माडल रोड इसका बड़ा उदाहरण है। रावतपुर क्रासिंग से देवकी चौराहे तक सड़कों पर कहीं गाड़ियां खड़ी दिखाई देती हैं, तो कहीं टेंपों व ई-रिक्शा का कब्जा रहता है। समस्या में इजाफे का बाकी काम ठेला-खोमचा पर चाट-पकौड़ी, जूस बेचने वाले कर देते हैं। इसके चलते सुबह सात बजे जो सड़क 60 फीट चौड़ी दिखती है, वह दोपहर बाद 20 से 30 फीट में तब्दील हो जाती है।

ऐसे में पैदल चलने वालों को मुश्किल से रास्ता मिलता है। इन्हें खुद ही लोगों को हटाकर रास्ता बनाना पड़ता है। बड़ी बात यह है कि ये सब पुलिस की सरपरस्ती में हो रहा है। नगर निगम कर्मियों की भी इसमें शह है। आटो-टेंपो चालक अराजकता के बदले पुलिस को मोटी चौथ देते हैं। इसके बदले चाहे जहां गाड़ी रोकेंगे, सवारियां उतारेंगे और बैठाएंगे। पीछे कोई वाहन फंसा रहे इनकी बला से।

दिन भर वसूली के बाद शाम को देते हिसाब

पहचान उजागर न करने की शर्त पर कुछ दुकानदारों ने बताया कि फुटपाथ पर और सड़क के किनारे दुकान या ठेला लगाने के लिए रोजाना 50 से 200 रुपये देने पड़ते हैं। क्रासिंग के सामने से देवकी चौराहा तक सड़क किनारे 100 से ज्यादा लोगों ने रेहड़ी और ठेले लगा रखे हैं जहां से पांच हजार से 15 हजार रुपये तक की रोजाना कमाई होती है।

अतिक्रमण को संरक्षण देने वाले लोग हर माह 4.5 लाख रुपये कमाई कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त अवैध टैक्सी स्टैंड लगाने के लिए वाहनों से भी अलग वसूली की जाती है। अवैध रूप से दुकान लगाने वालों और सवारी वाहन खड़ा करने वालों से पैसा लेने के लिए भी दूसरे लोगों को लगाया जाता है जो दिन भर वसूली कर शाम को पुलिस विभाग को हिसाब देता है।

इससे पर्दे के पीछे खड़े लोग बचे रहते हैं। अराजकता का आलम यह है कि सड़क किनारे दुकानदारों ने भी पैसे लेकर अपनी दुकान के सामने ठेले खड़े करवा लिए हैं जिससे दोहरी कमाई हो रही है। सवाल उठने पर हल्की और दिखावे की कार्रवाई कर पल्ला झाड़ लिया जाता है। जैसे ही अफसर मुंह फेरते हैं, अतिक्रमण और अराजकता फिर पहले जैसी हो जाती है।

नो टेंपो जोन का आदेश भी हवा में

शहर के कई चौराहों और मार्गों पर यातायात विभाग की ओर से नो टेंपो जोन बनाया गया था। इसमें सर्वोदय नगर माडल रोड भी शामिल था। अफसरों के तबादले के बाद आटो-टेंपो और ई-रिक्शा चालकों ने मनमाना रवैया अपनाना शुरू कर दिया। नो टेंपो जोन होने से राहगीरों को काफी राहत थी और लोगों को जाम में नहीं फंसना पड़ता था, लेकिन अब यहां जाम का सबसे बड़ा कारण आटो-टेंपो और ई-रिक्शा की अराजकता ही है।

वीआइपी के आने पर आंखों में झोंकी जाती है धूल

अफसरों के आदेश पर थाना-चौकी और ट्रैफिक पुलिस महज औपचारिकता पूरी करती है, अगर इस क्षेत्र में कहीं कोई वीआइपी मूवमेंट हुआ तो चौथ लेने वाले पुलिसकर्मी पूरी सर्तकता बरतते हुए न तो दुकानें लगने देते हैं और न ही आटो-टेंपो की अराजकता नजर आती है।

ये हैं जिम्मेदार

-नगर निगम: इस सड़क से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर निगम के जोनन प्रभारी, कर व राजस्व निरीक्षक की है।

-पुलिस विभाग: अतिक्रमण हटाए जाने के बाद यथास्थिति बरकरार रखने की जिम्मेदारी स्वरूप नगर थानाध्यक्ष पर है।

-यातायात विभाग: अवैध टैक्सी स्टैंड और अराजक वाहन चालकों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी यातायात विभाग की है।

वाहनों के कटे चालान, अतिक्रमण जस का तस

दैनिक जागरण में शनिवार के अंक में माडल रोड पर जाम की समस्या को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया तो एसीपी ट्रैफिक सृष्टि सिंह ने दोपहर में यहां निरीक्षण किया और यातायात व्यवस्था का हाल जाना। इस दौरान, अराजकता बरतने वाले 39 वाहनों का चालान भी किया गया। वहीं, अतिक्रमण और अव्यवस्था पर कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि रेवमोती माल के सामने ही सड़क किनारे रेहड़ी दुकानदारों और ठेलों ने अतिक्रमण कर रखा है, जिसको हटाने के लिए नगर निगम के साथ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

अतिक्रमण हटाना नगर निगम की जिम्मेदारी है। कोई अव्यवस्था न हो इसके लिए पुलिस मौजूद रहती है। नगर निगम की टीम आएगी तो पुलिस मौजूदगी में अतिक्रमण हटाया जाएगा। - प्रमोद कुमार, डीसीपी सेंट्रल

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