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RSS Chitrakoot meeting: शताब्दी वर्ष तक गांव-गांव शाखाएं लगाकर RSS को दिया जाएगा व्यापक स्वरूप

RSS Chitrakoot meeting राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भले सांस्कृतिक संगठन कहा गया है पर उससे ऊर्जा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ही मिलती रही है। 1975 के आपातकाल में प्रतिबंध लगने के बाद संगठन का सियासत में महत्व बढ़ गया।

By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Fri, 09 Jul 2021 09:58 PM (IST)
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटाे।

चित्रकूट, [राजीव द्विवेदी]। RSS Chitrakoot meeting राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को वर्ष 2025 में 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। संघ के शीर्ष नेतृत्व की कोशिश है कि शताब्दी वर्ष से पहले ही शाखाओं को ग्राम पंचायत स्तर तक पहुंचा दिया जाए। अभी न्याय पंचायत स्तर तक ही संचालित हो रही शाखाओं और संघ की विचारधारा को व्यापक फलक देने के लिए गांवों तक बढ़ाकर सभी वर्गों को जोडऩे की तैयारी है। अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में कार्ययोजना पर विमर्श होने के बाद इसको अमल में लाने के जतन भी शुरू हो जाएगा।  

संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को हुई थी। शताब्दी वर्ष तक संघ को गांव-गांव पहुंचाने के प्रयास शुरू हुए हैैं। प्रांत प्रचारक बैठक के बाद देश भर में संकल्प को पूरा करने का कार्य शुरू भी हो चुका है। मोदी सरकार बनने से पहले संघ का जो दायरा पूर्वोत्तर व दक्षिण में सीमित था, अब उसे ऊर्जा मिली है। असम और त्रिपुरा के बाद बंगाल में संघ द्वारा तैयार जमीन पर भाजपा मजबूत संगठन खड़ा करने में कामयाब भी रही। बंगाल में अपने कार्यक्रमों की सफलता से संतुष्ट संघ ने अब शताब्दी वर्ष तक देश के हर गांव तक शाखा संचालन का संकल्प लिया है। प्रांत प्रचारक बैठक में कार्ययोजना पर विमर्श के बाद उस पर अमल शुरू होगा।

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अब तक न्याय पंचायत स्तर तक लगने वाली संघ की शाखाओं को ग्राम पंचायत तक ले जाना है। सर संघचालक की मंशानुरूप अब शाखाओं में हिंदू ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लोगों को जोडऩे का प्रयास होगा जिससे वहां होने वाली शारीरिक क्रियाओं के साथ बौद्धिक से राष्ट्र के प्रति समर्पण व निष्ठाभाव का विकास किया जा सके। संघ-मंडली और उसके बाद मिलन शाखा से शुरुआत करके प्रात: और संध्या के कुछ अंतराल के बाद रात्रि शाखा संचालन का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। संघ के इस प्रयास को हिंदू राष्ट्रवादी संगठन की छवि के दायरे से निकलकर राष्ट्रवादी संगठन बनने की कोशिश भी माना जा रहा है।

भाजपा को मिलेगी मजबूत जमीन: संघ को भले सांस्कृतिक संगठन कहा गया है पर उससे ऊर्जा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ही मिलती रही है। 1975 के आपातकाल में प्रतिबंध लगने के बाद संगठन का सियासत में महत्व बढ़ गया। संघ की शाखाओं से निकले स्वयंसेवकों ने प्रतिबंध हटने के करीब 25 साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई। 15 वर्ष बाद भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार भले बनाई पर संपूर्ण देश का प्रतिनिधित्व उसमें नहीं था। अब संघ के दायरा बढ़ाने की कोशिश को 2024 के चुनाव तक हर राज्य में भाजपा की मजबूत जमीन तैयार करना माना जा रहा है।

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