Sabarmati Express Derailment: साबरमती बेपटरी होने पर षड्यंत्र के दावे को कमजोर मान रही पुलिस, फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार
कानपुर-झांसी रूट पर पनकी में शुक्रवार/शनिवार रात साबरमती एक्सप्रेस बेपटरी हो गई थी। रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह सिसौदिया ने दी तहरीर में कहा है कि शुक्रवार रात 227 बजे लोको पायलट को अप लाइन में कुछ भारी वस्तु दिखाई दी। लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई लेकिन वस्तु इंजन के कैटल गार्ड से टकरा गई जिससे इंजन व 20 अन्य बोगियां पटरी से डिरेल हो गईं।
जागरण संवाददाता, कानपुर। साबरमती एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना पर पुलिस षड्यंत्र के पहलू को कमजोर मान रही है। पुलिस का मानना है कि घटनास्थल और वहां से बरामद वस्तुएं सीधे तौर पर षड्यंत्र की ओर इशारा नहीं कर रही हैं। कुछ ऐसे भी बिंदु हैं जो हादसे की ओर इशारा कर रहे हैं। किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले पुलिस फोरेंसिक जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
कानपुर-झांसी रूट पर पनकी में शुक्रवार/शनिवार रात साबरमती एक्सप्रेस बेपटरी हो गई थी। रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह सिसौदिया ने दी तहरीर में कहा है कि शुक्रवार रात 2:27 बजे लोको पायलट को अप लाइन में कुछ भारी वस्तु दिखाई दी। लोको पायलट ने आपातकालीन ब्रेक लगाई, लेकिन वस्तु इंजन के कैटल गार्ड से टकरा गई, जिससे इंजन व 20 अन्य बोगियां पटरी से डिरेल हो गईं। अप और डाउन लाइन के बीच तीन फीट का पटरी का टुकड़ा मिला है। इसी टुकड़े के ट्रैक पर रखे होने व टकराने की वजह से घटना हुई।
आशंका जताई जा रही थी कि ट्रेन पलटाने के लिए ही टुकड़ा रखा गया। रविवार को डीसीपी पश्चिम राजेश कुमार सिंह ने घटनास्थल पर पड़ताल की। जांच के दौरान रेलवे कर्मचारियों से लगभग तीन फीट लंबा पटरी का 52 किलो का टुकड़ा और क्लैंप मंगवाया गया। इसके बाद उस पटरी के टुकड़े को क्लैंप की मदद से पटरी से बांधा गया। इस दौरान सवाल उठा कि टुकड़े से अलग होने के बाद क्लैंप को नीचे ही गिर जाना चाहिए था या झटके में दो-चार फीट इधर उधर होती। जबकि पटरी का टुकड़ा और क्लैंप दोनों घटना की शुरुआत से करीब 70 मीटर दूर मिले थे। डीसीपी ने बताया कि लोहे की पटरी व क्लैंप की जो कहानी रेलवे की ओर से बताई जा रही है, उसमें कई बिंदु कमजोर हैं।
रेलवे षड्यंत्र की दिशा में ही करेगा जांच
साबरमती एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने का कारण रेलवे ने षड्यंत्र माना है। मामले में जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज है उससे यह साफ हो गया है कि रेलवे की जांच भी इसी एंगल पर होगी। इस मामले में सीएसओ यानी चीफ सेफ्टी आफीसर की कमेटी जांच करेगी। हालांकि ट्रेन दुर्घटना के समय से ही रेलवे के सभी विभागों ने अपनी-अपनी जांच शुरू कर दी है।
इसमें रेलवे का सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, आपरेशन और आरपीएफ विभाग अपने-अपने स्तर से जांच कर रहा है। यह विभाग अपनी-अपनी रिपोर्ट सीएसओ को सौंपेंगे, जिसके बाद उनकी कमेटी जांच रिपोर्ट की समीक्षा करेगी। इसके बाद सीएसओ अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को देंगे। तब जाकर यह स्पष्ट होगा कि दुर्घटना के पीछे क्या कारण था।
इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा : -
- रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151: निश्चित इरादे से या जानबूझकर रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना।
- रेलवे एक्ट 1989 की धारा 152: रेल यात्रा करने वाले लोगों को दुर्भावनापूर्ण होकर क्षति पहुंचाना या प्रयास करना।
- रेलवे एक्ट 1989 की धारा 153: जानबूझकर किए गए कार्य या चूक से रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालना।
- बीएनएस की धारा 125 : किसी व्यक्ति की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को जानबूझकर खतरे में डालने वाला कार्य। इसमें शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचने का खतरा शामिल है।
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