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तीन बार विधायक रहे सलिल विश्नोई को विधान परिषद का टिकट, 2018 में राज्यसभा के लिए कराया था नामांकन

बचपन से संघ से जुड़े सलिल विश्नोई को पार्टी ने पहली बार 2002 में विधानसभा का टिकट दिया था। वह जनरलगंज से भाजपा के प्रत्याशी थे। इससे पहले भाजपा इस सीट से नीरज चतुर्वेदी को टिकट देती आ रही थी।

By Akash DwivediEdited By: Updated: Sat, 16 Jan 2021 06:11 PM (IST)
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इस तरह वह लगातार तीन बार भाजपा के विधायक रहे
कानपुर, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सलिल विश्नोई को पार्टी ने विधान परिषद के लिए प्रत्याशी बनाया है। पार्टी कानपुर में संगठन के प्रति उनके कार्यों को देखते हुए पिछले 18 वर्षों से उन्हेंं लगातार कोई ना कोई दायित्व देता चला आ रहा है। विधान परिषद की टिकट फाइनल होने के बाद सलिल विश्नोई ने कहा कि वह पार्टी के सिपाही हैं और पार्टी जहां चाहे उनका उपयोग कर सकती है।

बचपन से संघ से जुड़े सलिल विश्नोई को पार्टी ने पहली बार 2002 में विधानसभा का टिकट दिया था। वह जनरलगंज से भाजपा के प्रत्याशी थे। इससे पहले भाजपा इस सीट से नीरज चतुर्वेदी को टिकट देती आ रही थी। 2002 का चुनाव जीतने के बाद सलिल विश्नोई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद परिसीमान में जनरलगंज सीट खत्म हो गई और वह आर्य नगर सीट से लड़े। पार्टी ने आर्यनगर सीट से उन्हेंं 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया और दोनों ही मौकों पर उन्होंने पार्टी को निराश नहीं किया। इस तरह वह लगातार तीन बार भाजपा के विधायक रहे।

वर्ष 2017 के चुनाव में वह आर्यनगर सीट पर सपा प्रत्याशी अमिताभ बाजपेई से पराजित हो गए। हालांकि संगठन ने उन पर विश्वास जताते हुए संगठनात्मक कार्यों में जोड़ा। वह प्रदेश में महामंत्री बनाए गए। लगातार दो बार वह प्रदेश में महामंत्री रहे। अभी हाल ही में प्रदेश संगठन में फेरबदल हुआ तो उन्हेंं उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद माना जा रहा था कि उन्हेंं इस बार भी विधानसभा का टिकट मिलेगा क्योंकि पार्टी महामंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने वालों को चुनाव मैदान में ना उतारने की योजना बना रही है। इसके पहले ही उन्हेंं विधान परिषद का टिकट मिल गया। शनिवार दोपहर चार बजे करीब शहर में उनके समर्थकों को सूचना मिलते ही वे उन्हेंं बधाई देने  पहुंचे गए।

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