पुलिस गुंडई करने पर उतारू..., बात-बेबात पर रोने वाली सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने दिखाए तेवर; पुलिस से भिड़ीं
कानपुर में मतदान के दिन समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने पुलिस से मोर्चा लिया। उन्होंने पुलिसकर्मियों पर गुंडई करने का आरोप लगाया और कहा कि महिलाओं और मतदाताओं को पीटा जा रहा है। नसीम सोलंकी ने चुनाव आयोग से शिकायत करने की बात कही है। वहीं सपा के अन्य नेताओं ने नजरबंद होने को लेकर सुबह से अपना फोन ऑफ कर रखा था।
अखिलेश तिवारी, कानपुर। चुनावी सभाओं में बात-बेबात रो पड़ने वालीं नसीम सोलंकी का बुधवार को मतदान के दिन बदला अंदाज देखने को मिला। उन्होंने कई मौकों पर पुलिसकर्मियों से मोर्चा लिया और अधिकारियों को उनकी कर्तव्यनिष्ठा की याद दिलाई। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेयी समेत अन्य नेताओं ने गुप्त स्थान से मोर्चा संभाला।
नजरबंद या हिरासत में लिए जाने के डर से समाजवादी पार्टी के कई बड़े नेताओं ने बुधवार को सुबह से ही अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया और गुप्त स्थान पर चले गए। ऐसे में जब मतदान केंद्रों से मतदाताओं को जबरन लौटाए जाने और समर्थकों को हिरासत में लेने की खबर मीडिया में चलने लगी तो सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने मोर्चा संभाल लिया।
समर्थकों को मतदान केंद्र तक पहुंचाया
उन्होंने मतदान केंद्रों पर पहुंचकर न केवल समर्थकों का हौसला बढ़ाया बल्कि पुलिसकर्मियों से भी भिड़ती दिखाई दीं। पुलिस अधिकारियों से उन्होंने कहा कि आपने संविधान रक्षा की शपथ ली है। निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। इससे बच नहीं सकते हैं। पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में उन्होंने समर्थकों को अपने साथ ले जाकर मतदान केंद्रों तक पहुंचाया।गोविंद नगर सीट से सपा प्रत्याशी रहे सम्राट विकास के साथ वह भन्नानापुरवा, फहीमाबाद के मतदान केंद्रों पर पहुंची। घायल कार्यकर्ता का हाल पूछने पहुंची नसीम ने कहा कि पुलिस गुंडई करने पर उतारू है। महिलाओं और मतदाताओं को पीटा जा रहा है। इन पुलिस वालों की शिकायत लगातार मिल रही है। आज तो सारी हद पार हो गई है। इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेंगे और ऐसे पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को दंडित कराएंगे।
खामोशी की चादर ओढ़ घर से निकले मतदाता
बुधवार सुबह कोहरे और सर्द हवाओं के बीच मतदाता खामोशी की चादर ओढ़कर घर से निकले। वोट डाला और फिर घर चले गए। सुबह के बाद मौसम थोड़ा सामान्य हुआ और शाम को फिर हल्की सर्दी हुई, लेकिन मतदाताओं ने खामोशी की चादर नहीं उतारी। मतदान के बारे में प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। किसी तरह का कोई रुख नहीं झलकने दिया।चौराहों और नुक्कड़ों पर भले ही भाजपा और सपा में टक्कर की चर्चाओं का दौर चलता रहा। हर व्यक्ति तर्कों के माध्यम से अपनी बात को मजबूत तरीके से रखता रहा। अंत में चलो दो दिन बाद 23 को परिणाम बताएगा, किस की बात सही निकली और किसकी झूठ, कहते हुए लोग इधर-उधर होने लगते थे।
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