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UP News:...तो इस बार सपा को मिल गया 'मंदिर' की राजनीति का लाभ; अखिलेश की पार्टी के लिए 'वरदान' साबित हुई ये वजह

भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के बावजूद भाजपा अयोध्या सीट हारी लेकिन उप्र में एक और मंदिर की राजनीति का भी रहा प्रभाव। कन्नौज में अखिलेश यादव के पूजन करने के बाद गौरी शंकर मंदिर धोया तो वोटों और कई सीटों से भी हाथ धो बैठे भाजपाई। यूपी के लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 18 Jun 2024 07:56 AM (IST)
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सपा को यूपी में मिली सबसे अधिक सीटें।

जितेन्द्र शुक्ल, जागरण कानपुर। अयोध्या का श्रीराम मंदिर चर्चा में है और उसी अयोध्या में दो बार भाजपा के सांसद रहे लल्लू सिंह की हार भी। अभी तक उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में इसी मंदिर की चर्चा और महत्व ज्यादा रहा है, किंतु बीते चुनाव में एक और मंदिर भी रहा जो सपा और अखिलेश यादव के लिए सियासी वरदान बन गया।

भाजपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश के जाने के बाद कन्नौज में जो मंदिर धोया तो वोटों से और कई सीटों से भी हाथ धो बैठे। बात छह मई यानी तीसरे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले की है जब परिदृश्य में आया कन्नौज का गौरी शंकर मंदिर।

प्रत्याशी के तौर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव वहां पूजन को पहुंचे, लेकिन उनके प्रस्थान के बाद शुद्धि के नाम पर स्थानीय लोगों संग भाजपाइयों ने मंदिर की जो धुलाई की तो पिछड़े और वंचित वर्ग को लगा कि एक खास वर्ग उनके नेता के प्रति अनुचित व्यवहार कर रहा है, जाति के नाम पर विभेद कर रहा है।

जो एक छोटी सी घटना लग रही थी, उससे केवल कन्नौज लोकसभा ही नहीं, पड़ोस की इटावा और जालौन जैसी सुरक्षित सीटों पर तो असर हुआ ही, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, अंबेडकरनगर के अलावा अयोध्या और पूर्वांचल की कई सीटों पर भी प्रभाव हुआ। लोधी बहुल हमीरपुर में भी भाजपा हार गई। सशंकित वंचित समाज के मन में यह बात गहरे बैठ गई जिसका परिणाम सपा को मिली अप्रत्याशित सफलता में स्पष्ट झलकता है।

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कांग्रेस का भी साथ मिला

अखिलेश यादव के गौरी शंकर मंदिर में विधिवत पूजन कर निकलने के थोड़ी देर बाद ही कुछ लोगों ने उनके साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों के जूते पहन कर आने और थूकने के आरोप के साथ मंदिर को विधवित धोकर इसे प्रचारित कयिा। अंबेडकरनगर से सपा के सांसद चुने गए लालजी वर्मा समेत कई लोगों ने मामले को आगे बढ़कर उठाया और आरोप लगाया कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने यह कार्य उन्हें अपमानित करने के लिए किया है।

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भाजपा के लोग पिछड़ों और वंचित वर्ग को मंदिर जाने से रोक रहे हैं। ये वही लोग हैं जो मुख्यमंत्री आवास भी गंगा जल से धुलवा चुके हैं। कांग्रेस का भी उन्हें साथ मिला।

वंचित वर्ग के युवा जुड़े

भारत में शुद्धि आंदोलन, दलितोत्धार और उनके मंदिर में प्रवेश राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे रहे हैं। वंचित वर्ग, खासकर युवा इससे अपने को भावनात्मक रूप से जुड़ा मानता है। ऐसे में इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर और बाबू ¨सह कुशवाहा जैसे बसपा के तमाम पूर्व नेताओं के साथ मैदान में उतरी सपा ने इसमें अपने लिए संभावना खोज ली। पिछले चुनावों में भाजपा के साथ अपना भविष्य देख रहे लोधी, पाल, कुशवाहा, निषाद समेत समाज के कई तबके के काफी मतदाताओं ने छिटक कर सपा-कांग्रेस का साथ दिया।

सामाजकि कार्यकर्ता धीरेंद्र दोहरे का कहना है कि कन्नौज में मंदिर की धुलाई का काम आग में घी डालने जैसा था। संविधान बदलने का मुद्दा पहले ही संवेदनशील हो चुका था। इसके साथ ही अखिलेश ने इटावा में दो एकड़ में पिछले वर्ष से बन रहे भव्य केदारेश्वर महादेव मंदिर का खूब प्रचार भी किया।