Sawan 2022: नवाब गजीउद्दीन हैदर ने कराया था कानपुर के महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण, पत्थर का त्रिशूल है राज
कानपुर में धर्मस्थली बिठूर में पत्थर घाट महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास 18वीं सदी का बताया गया है। लाल बलुए पत्थरों से निर्मित मंदिर में शिवलिंग भी बेहद चमकीला है। सावन में यहां दर्शन पूजन करने वालों का तांता लगा रहता है।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Thu, 11 Aug 2022 10:50 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। महाकालेश्वर मंदिर बिठूर के पत्थर घाट पर स्थित है। प्राचीन मंदिर में श्रावण मास के दिनों में सैकड़ों की संख्या में शिवभक्त दर्शन को आते हैं। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में गंगा स्नान कर भक्त महादेव का जलाभिषेक करते हैं। प्राचीन मंदिर देशभर में अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। गंगा किनारे होने के चलते यह मंदिर भक्तों के आकर्षण और आस्था का केंद्र रहता है।
मंदिर का इतिहास : महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास 18वीं सदी से जुड़ा है। मंदिर का निर्माण राजा टिकैत राय के मंत्री नवाब गजीउद्दीन हैदर ने कराया था। लाल बलुए पत्थरों से निर्मित प्राचीन शिव मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है।शिव मंदिर से सटी बारादरी का निर्माण राजा टिकैत राय ने श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों के ठहरने के लिए कराया था। मंदिर के बाहर पत्थर का एक त्रिशूल है, जिसपर बीजक भाषा में मंदिर के निर्माण से जुड़ी जानकारी को उकेरा गया है।
मंदिर की विशेषता : महाकालेश्वर मंदिर का शिवलिंग बहुत चमकीला है, जब सूरज की तेज रोशनी पड़ती है तो शिवलिंग पर आंखे टिकाना मुश्किल होता है।। मान्यता है कि यहां विधि विधान से जो भी भक्त महादेव का पूजन करता है, उसे समृद्धि की प्राप्ति होती है। प्राचीन मंदिर बिठूर के पत्थर घाट की दूसरी मंजिल पर स्थित है।श्रावण मास में प्राचीन मंदिर में प्रतिदिन महारुद्राभिषेक पूजन किया जाता है। मंदिर में शहर के साथ कई प्रांतों से शिवभक्त महादेव के दर्शन को आते हैं।
-मंदिर का शिवलिंग बहुत चमकीला है। यहां कालसर्प योग और महामृत्युंजय मंत्र का जप बारह महीने होता है। सोमवार और प्रदोष को भस्म आरती होती है। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से एक पुष्प भी चढ़ाता है प्रभु उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। -ऋषि द्विवेदी, पुजारी।-महाकालेश्वर मंदिर में जो भक्त नित्य प्रति पूजा-पाठ और दर्शन कर बेल पत्र या पुष्प चढ़ाते हैं, महादेव उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह मंदिर बहुत ही सुंदर व मनोहारी है। -मृदुल बाजपेयी, भक्त।
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