Move to Jagran APP

Sawan 2022: द्वितीय काशी के नाम से प्रसिद्ध है कानपुर का सिद्धनाथ मंदिर, कौवे के हवन में हड्डी डालने का इतिहास है प्रचलित

कानपुर के जाजमऊ में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर सिद्धनाथ गंगा के तट पर स्थित है। यह मंदिर द्वितीय काशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां राजा ययाति द्वारा कराई गई खोदाई में सिद्धनाथ मंदिर के शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी।

By Abhishek VermaEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2022 05:29 PM (IST)
Hero Image
द्वितीय काशी के नाम से प्रसिद्ध है कानपुर का सिद्धनाथ मंदिर।
कानपुर, जागरण संवाददाता। श्रावण मास में जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर में महादेव के दर्शन को शहर के साथ अन्य कई शहरों से भी भक्त आते हैं। गंगा स्नान कर भक्त भोले बाबा पर बेल पत्र और चंदन अर्पित कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। सिद्धनाथ मंदिर में श्रावण मास के दौरान जलाभिषेक के लिए भोर पहर से ही भक्तों की लंबी कतार लग जाती है।

मंदिर का इतिहास: मोक्षदायिनी मां गंगा के पावन तट पर स्थित सिद्धनाथ मंदिर का इतिहास त्रेतायुग का है। प्राचीन मंदिर भक्तों में द्वितीय काशी के नाम से चर्चित है। मान्यता है कि राजा ययाति द्वारा कराई गई खोदाई में सिद्धनाथ मंदिर के शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी। भक्त बताते हैं कि प्राचीन काल में यहां लगातार 100 यज्ञ पूरे होने के बाद इस स्थल को काशी का दर्जा मिल जाता, लेकिन 100वें यज्ञ के दौरान एक कौवे ने हवन कुंड में हड्डी डाल दी थी। 99 यज्ञ पूरे होने के चलते यह स्थल द्वितीय काशी के रूप में पहचाना जाने लगा।

मंदिर की विशेषता: सिद्धनाथ बाबा को जाजमऊ के कोतवाल के रूप में पूजा जाता है। भक्त गंगा जल से महादेव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। श्रावण मास में मंदिर परिसर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। भक्त बेल पत्र और दूध-दही महादेव पर अर्पित करते हैं। यहां स्थापित शिवलिंग की लंबाई नापने के लिए दो बार खोदाई भी हो चुकी है, लेकिन शिवलिंग के अंतिम छोर का पता नहीं चल सका।

- सिद्धनाथ बाबा के दर्शन को श्रावण मास में हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। मान्यता है कि मदाहेव को बेल पत्र अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पवित्र श्रावण मास में बाबा के दरबार में भक्तों में काशी विश्वनाथ जैसा उत्साह देखने को मिलता है। - मुन्नी लाल, पुजारी।

- श्रावण मास में महादेव के दर्शन को देशभर से भक्त आते हैं। प्रभु के दर्शन से पहले भक्त गंगा में डुबकी लगाते हैं। बाबा के दर्शन करने के बाद ही भक्त किसी शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं। श्रावण मास में जलाभिषेक के लिए रोज भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। - प्रियेश तिवारी, सेवक।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।