यूपी के इस जिले में दो दारोगा समेत सात पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, जनता से अभद्र व्यवहार करने पर निलंबित
फीडबैक सेल ने जनता से उनके क्षेत्र के पुलिसकर्मियों का लेकर फीडबैक मांगे थे जिसमें कई का आचरण बहुत ही खराब मिला। ऐसे कर्मियों पर गाज गिरी है। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आयुक्त ने सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की। पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने सात पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए आचरण और व्यवहार में सुधार लाने की सलाह दी है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। कमिश्नरेट के पुलिसकर्मियों को जनता से अभद्र व्यवहार और उनका काम समय से न करना भारी पड़ रहा है। फीडबैक सेल ने जनता से उनके क्षेत्र के पुलिसकर्मियों का लेकर सुझाव मांगे थे, जिसमें कई का आचरण बहुत ही खराब मिला। इसके आधार पर पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने सात पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए आचरण और व्यवहार में सुधार लाने की सलाह दी है।
फीडबैक सेल ने पहले जनता की बातों को सुना, इसके बाद उनके द्वारा की गई शिकायतों का सत्यापन भी कराया। इस दौरान जिस भी पुलिसकर्मी का व्यवहार जनता के प्रति अभद्र पाया गया, उसकी रिपोर्ट पुलिस आयुक्त को भेजी गई। उस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आयुक्त ने सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की।
इन लोगों पर हुई निलंबन की कार्रवाई
पुलिस आयुक्त ने अनवरगंज थाने के दारोगा दुर्गेश प्रताप सिंह, बाबूपुरवा थाने के हेडकांस्टेबल ग्रीसराज, बर्रा के हेडकांस्टेबल विजय, बेकनगंज के दारोगा केशव प्रसाद, कंप्यूटर आपरेटर गौरीशंकर, बिठूर थाने के सिपाही सोनू यादव और चमनगंज के हेडकांस्टेबल मुस्तकीम को निलंबित किया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिस भी पुलिसकर्मी का जनता के प्रति आचरण खराब पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।चार्ज संभालते ही पुलिस की कार्यशैली सुधारने के लिए की थी पहल
कमिश्नरेट का चार्ज संभालते ही पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने पुलिस की कार्यशैली सुधारने को लेकर इंटरनेट मीडिया (एक्स) पर जनता से राय मांगी थी। इस दौरान कई ने एक्स पर साझा हुए विचारों में कई लोगों ने इससे भी खराब उत्तर को विकल्प के रूप शामिल करने की इच्छा जाहिर की। ज्यादातर सुझाव कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने, बेढंगी हो रही यातायात की चाल और पुलिस के आचरण और व्यवहार को सुधारने के लिए आए थे।
विवेचक और महिला कांस्टेबल पर लगाया अभद्रता का आरोप
चकेरी निवासी महिला ने दो साल पहले पति और उसके दोस्तों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगा मुकदमा दर्ज कराया था। इसकी विवेचना अतिरिक्त इंस्पेक्टर अनिल पांडेय कर रहे हैं। 29 जून को महिला कांस्टेबल मंजुलेश ने मुकदमे से संबंधित साक्ष्य देने के लिए बुलाया था।अगले दिन वह साक्ष्य लेकर थाने पहुंचीं तो विवेचक नहीं मिले। उन्होंने महिला कांस्टेबल को साक्ष्य देने से मना कर दिया। आरोप है कि विवेचक अनिल पांडेय के दबाव में महिला कांस्टेबल ने अभद्रता की और जबरन देर शाम तक थाने में बैठाए रखा। इसके बाद पीड़िता ने पुलिस आयुक्त अखिल कुमार से शिकायत कर मुकदमे का विवेचक बदलने की मांग की तो जांच चकेरी एसीपी दिलीप सिंह को सौंपी गई।
एसीपी ने बताया कि प्राथमिक जांच में पीड़िता द्वारा लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं। पीड़िता से कई दिनों से साक्ष्य मांगे जा रहे थे लेकिन वह नहीं आ रही थी। इस पर विवेचक अनिल पांडेय ने महिला कांस्टेबल मंजुलेश के जरिये उन्हें साक्ष्य देने के लिए बुलाया था। इस दौरान विवेचक एक मुकदमे के संबंध में न्यायालय गए थे, जिसकी वजह से पीड़िता को कुछ देर के लिए थाने में रोका गया था।ये भी पढ़ें -
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