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कानपुर एनएसआइ में शुरू हुआ एसटीपी, बागवानी में होगा शोधित पानी का इस्तेमाल

कानपुर एनएसआइ परिसर में ताजे पानी के उपयोग को कम करने के लिए एसटीपी प्लांट लगाया है। शोधित पानी का उपयोग संस्थान में बागवानी के लिए सिंचाई और शौचालयों में किया जाएगा। साथ ही अधिकारी चीनी मिलों को भी इस तकनीक के बारे में बताएंगे।

By Abhishek VermaEdited By: Updated: Tue, 17 May 2022 04:53 PM (IST)
कानपुर एनएसआइ में शुरू हुआ एसटीपी, बागवानी में होगा शोधित पानी का इस्तेमाल
कानपुर एनएसआइ परिसर में पानी को शोधित करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) ने परिसर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तैयार किया है। इससे शोधित पानी का उपयोग संस्थान में बागवानी के लिए सिंचाई और शौचालयों में किया जाएगा। इससे पानी की काफी बचत होगी। प्रयोग की सफलता के बाद संस्थान के अधिकारी चीनी मिलों को भी इस तकनीक के बारे में बताएंगे और उनकी कालोनियों में एसटीपी विकसित कराएंगे।

निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि संस्थान ने मूविंग बेड बायो रिएक्टर टेक्नोलाजी के आधार पर कालोनी व कार्यालय भवन के सीवेज के पानी को शोधित करने के लिए यह ट्रीटमेंट प्लांट शुरू किया है। इस संयंत्र से प्राइमरी ट्रीटमेंट के बाद निकलने वाले सीवेज के पानी को मल्टी ग्रेड फिल्टर और एक्टिव कार्बन फिल्टर के माध्यम से आगे शोधित किया जाता है। शुरू में खेल मैदान और प्रायोगिक फार्म में इस पानी का उपयोग होगा। संस्थान के विज्ञानी इस शोधित पानी से गन्ने की उत्पादकता और गुणवत्ता पर होने वाले प्रभाव का भी आकलन करेंगे।