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प्रकाशोत्सव पर्व : बारिश में भी नहीं डिगे कदम, मोतीझील में चलता रहा पंगत का क्रम

कानपुर में श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर मोतीझील में आयोजित कार्यक्रम में बारिश के बावजूद भीड़ उमड़ती रही। पालकी में विराजमान गुरु ग्रंथ साहब पर माथा और शबद कीर्तन से संगत निहाल हुई। पंगत में एक साथ लंगर भी छका।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sun, 09 Jan 2022 08:00 PM (IST)
प्रकाशोत्सव पर्व : बारिश में भी नहीं डिगे कदम, मोतीझील में चलता रहा पंगत का क्रम
श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव का तीसरा दिन।

कानपुर, जागरण संवाददाता। आसमान पर छाए घने बादल रह-रह कर बरस रहे थे और तेज बारिश के बीच बड़ी संख्या में संगत मोतीझील में डटी हुई थी। एक ओर शबद कीर्तन से संगत निहाल हो रही थी तो दूसरी तरफ पंगत में गुरु का लंगर छकने वालों का तांता लगा रहा। मौका था श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के प्रकाशोत्सव पर श्री गुरु सिंह सभा की ओर से आयोजित कार्यक्रम का।

मोतीझील स्थित समारोह स्थल पर सुबह से संगत के आने का सिलसिला शुरू हो गया, तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव के अंतिम दिन दीवान सजाया गया। मुख्य पंडाल के मंच पर भव्य पालकी में गुरु ग्रंथ साहब विराजमान थे और लोग कतारबद्ध होकर मत्था टेककर श्रद्धा अर्पित कर रहे थे। दूसरी तरफ पंडाल के बाहर पंगत में बैठकर संगत लंगर छक रही थी। यहां सभी भेदभाव भुलाकर एक साथ सब गुरू का लंगर ग्रहण कर रहे थे। प्रकाशोत्सव पर सुबह सुखमनी साहब का पाठ हुआ।

सिमरन साधना के बाद भाई भूपिंदर सिंह, भाई कुलदीप सिंह, भाई मोहन सिंह, भाई सुरिंदर सिंह ने आसा दी वार का कीर्तन किया। भाई लखविंदर सिंह ने खालसा अकाल पुरख की फौज, प्रगटियो खालसा परमात्म की मौज...सो सतगुरु प्यारा मेरे नाल है... गुरू यश का गायन कर संगत को निहाल किया। भाई सुरिंदर सिंह पारस ने ढाड़ी वारों व गुरु इतिहास से संगत में जोश भर दिया। सरबत के भले व कोरोना से मुक्ति की अरदास हुई।

लंगर स्थल में भरा पानी निकाला : बारिश की वजह से मोतीझील में लंगर स्थल पर पानी भर गया। सुबह से ही सेवादार ग्राउंड से पानी निकालने में जुट गए। कड़ी मेहनत के बाद ग्राउंड को संगत के लिए तैयार किया गया। जेसीबी से गीली मिट्टी हटाई गई। बालू डालकर रोडरोलर से उसे बराबर किया गया।