सुबह सुस्ती, दोपहर बाद मतदान में रफ्तार
सीसामऊ सीट पर मतदान में सुबह काफी सुस्ती रही। पहले दो घंटों में, यानी सात से नौ बजे तक सिर्फ 5.73 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद अगले दो घंटे में यानी 11 बजे तक मतदान में थोड़ा सुधार हुआ और यह 15.91 प्रतिशत तक पहुंचा। दोपहर बाद एक बजे से तीन बजे तक मतदान में रफ्तार आई और मतदाताओं की संख्या बढ़ने लगी। मुस्लिम इलाकों में विशेष रूप से मतदान केंद्रों पर भारी भीड़ नजर आई, जहां बड़ी संख्या में महिलाएं बुर्का पहनकर वोट डालने पहुंचीं।
मतदाता पहचान पत्र पर विवाद
मतदान के दौरान मतदाताओं को पहचान के लिए मतदाता पहचान पत्र के अलावा अन्य विकल्प भी दिए गए थे, लेकिन इन विकल्पों का उपयोग नहीं हो पाया। पुलिस ने कई मतदाताओं को बैरंग लौटा दिया, क्योंकि वे वैकल्पिक पहचान पत्र नहीं दिखा सके। कुछ मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे, लेकिन पहचान पत्र के अलावा कोई अन्य दस्तावेज नहीं होने पर उन्हें वापस लौटना पड़ा। इस कारण कुछ मतदान केंद्रों पर झड़प की भी स्थिति बनी।
भाजपा-सपा प्रत्याशियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप
वोटिंग के दौरान कई बार भाजपा और सपा के प्रत्याशी एक-दूसरे के सामने आए, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे से कोई संवाद नहीं किया। दोनों नेताओं ने मीडिया से बातचीत करते हुए आरोप लगाए कि उनके प्रतिद्वंदी चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी करवा रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी ने अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को देख लेने की धमकी दी, जबकि सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी मतदान के दिन काफी मुखर नजर आईं, जो आमतौर पर चुप रहती थीं।
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भाजपा प्रत्याशी की कार पर पथराव
सीसामऊ से भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी की गाड़ी पर जीआईसी में पथराव हुआ। इसके बाद भाजपाइयों ने जमकर हंगामा काटा। सुरेश अवस्थी ने सपाइयों पर आरोप लगाया और पुलिस से कार्रवाई की मांग की। इसके बाद माहौल काफी गर्म हो गया था। सुरेश के समर्थन में भाजपाइयों ने जमकर हंगामा काटा। हालांकि, पुलिस पत्थर फेंकने वालों की तलाश में जुटी है।
भाजपा-सपा में सीधी टक्कर, बसपा त्रिकोण बनाने में नाकाम
सीसामऊ उपचुनाव में मतदान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा और सपा के बीच सीधी और करीबी टक्कर हुई है, जबकि बसपा को कोई खास सफलता नहीं मिली। बसपा ने इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की, लेकिन वह अपेक्षित स्तर पर वोट नहीं जुटा सकी और चुनावी मैदान से बाहर रही। मुस्लिम इलाकों में सपा की साइकिल तेजी से दौड़ी, जबकि भाजपा ने हिंदू बहुल क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। दलित क्षेत्रों में भी बसपा का कोई खास असर नहीं दिखा। भाजपा और सपा के शीर्ष नेताओं ने अपनी-अपनी रणनीतियां इस चुनाव में पेश कीं और दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने विधानसभा क्षेत्र के आसपास डेरा डाले रखा।
पार्टी प्रत्याशी जीत के दावे के साथ
मतदान समाप्त होने के बाद भाजपा, सपा और बसपा के प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया। सभी ने अपने-अपने बूथों और क्षेत्रों में मिले वोटों के आधार पर अपनी जीत की संभावना जताई। भाजपा और सपा के प्रत्याशियों ने जीत की रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि वे अपनी-अपनी पार्टी के लिए जीत सुनिश्चित कर रहे हैं।
28 साल बाद भाजपा सीसामऊ पर कब्जा करेगी या सपा की साख बची रहेगी?
इस उपचुनाव में भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर अपने कद्दावर मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को मैदान में उतारा, जबकि सपा ने भी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव समेत दिग्गजों को चुनावी रणनीति बनाने के लिए लगाया। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा 28 साल बाद इस सीट पर अपनी जीत दर्ज करेगी, या सपा अपनी साख बचाए रखने में सफल रहेगी। मतदान परिणामों का इंतजार किया जा रहा है, जो इस मुकाबले की तस्वीर को स्पष्ट करेगा।
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