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कभी ससईमऊ गांव था आज का सीसामऊ बाजार, कन्नौज के राजा ने किया था दान Kanpur News

शहर के इस प्रमुख बाजार में रोज बड़ी संख्या में उमड़ते हैं खरीदार पांच किमी के दायरे में फैल चुका है।

By AbhishekEdited By: Updated: Fri, 27 Dec 2019 01:55 PM (IST)
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कभी ससईमऊ गांव था आज का सीसामऊ बाजार, कन्नौज के राजा ने किया था दान Kanpur News

कानपुर, [अंकित मिश्र]। पूरब के मैनचेस्टर में बाजार के रूप में यूं तो कई नगीने हैं लेकिन ससईमऊ गांव शहर ही नहीं देश के लिए भी कोहिनूर से कम नहीं है। अब आप सोच रहे होंगे कि शहर के अंदर ये कौन सा गांव है जो इतना प्रसिद्ध है, दरअसल ये सीसामऊ बाजार है जो पहले ससईमऊ गांव था। कन्नौज के राजा जयचंद के बाबा महाराजचंद ने साहुल शर्मा नाम के एक ब्राह्मण को ससईमऊ गांव दान में दिया था। अब ये शहर का प्रमुख बाजार बन चुका है, जहां शादी में बांधे जाने वाले छल्ले से लेकर विदाई में पहनाई जाने वाली रेशमी साडिय़ां व जेवर सब कुछ मिल जाता है।

आसानी से मिल जाता है हर सामान

औद्योगिक शहर कानपुर का सीसामऊ बाजार शहर ही नहीं प्रदेश की भी शान है। कई जिलों में भी इसकी शोहरत आज भी कायम है। वह इसलिए भी क्योंकि यहां सुई से लेकर कार तक हर चीज मिल जाती है। अमीर हो या गरीब हर वर्ग के लिए उसकी जरूरत का सामान इस बाजार में उसे आसानी से उपलब्ध हो जाता है। चाहे वह कपड़े हों, चूल्हा-चौका, घर-गृहस्थी या फिर बच्चे के खिलौने। कोई भी सामान खरीदना हो, सब इस बाजार में आसानी से मिलेगा, वह भी काफी किफायती दामों पर। इसी वजह से इस बाजार में दूर-दूर से लोग खरीदारी करने आते हैं। इसे मध्यम वर्गीय लोगों का बाजार भी कहा जाता है।

1930 में विकसित हुआ था बाजार

यहां के बड़े-बुजुर्ग व व्यापारी बताते हैं कि यह इलाका 1930-31 में सीसामऊ बाजार के रूप विकसित हुआ था। तब यहां गांव हुआ करता था। उस समय यह जमीन नवाब सिंह की हुआ करती थी। वह यहां के बड़े जमींदार थे। उन्होंने ही यहां बाजार लगाने के लिए अपनी जमीन व्यापारियों को दी थी। यहां सबसे पहले सब्जी व अनाज मंडी लगनी शुरू हुई थी। उसके बाद यहां सराफा, बर्तन, और कपड़े का कारोबार शुरू हुआ जो धीरे-धीरे समृद्ध होता चला गया। अब यह बाजार तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में जरीब चौकी चौराहा से पी रोड, बजरिया चौराहा, रामबाग, नेहरू नगर, जवाहर नगर और अस्सी फीट रोड तक फैल चुका है।

15 मार्केट और दो हजार व्यापारी

आज इस बाजार में 15 मार्केट हैं, जिनमें आजाद, त्रिवेदी, राम रहीम, अनुराग और इंदिरा मार्केट समेत अन्य छोटी-बड़ी मार्केट शामिल हैं। इस बाजार में दो हजार से भी ज्यादा छोटे-बड़े व्यापारी अपना कारोबार कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।

आजादी के बाद सज गया आजाद मार्केट

यहां 1946 में आजाद मार्केट बनी थी। जो आजादी के बाद से पूरी तरह गुलजार हो गई। इस मार्केट की खासियत यह थी की इसके मुख्य और पीछे के द्वार पर क्लाक टॉवर बनाया था। जो कई वर्षों तक लोगों को समय बताता रहा। तब पूरी बाजार के लोग इस क्लाक टॉवर से ही समय देखा करते थे। हलांकि देखरेख के अभाव में यह क्लाक टॉवर अब क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस मार्केट में महिलाओं का ही सामान मिलता है, जिस वजह से यहां खरीदारी करने आने वाले लोग इसे मीना बाजार भी कहते हैं।

पहले मिलों के छूटने का इंतजार करते थे व्यापारी

औद्योगिक नगरी कानपुर कभी मिलों की मशीनों में होने वाली खटपट और सायरन की गूंज से अपने होने का अहसास तो कराता था। सीसामऊ के कारोबारियों को भी इन मिलों से बहुत मुनाफा होता था। वह इसलिये क्योंकि यहां काम करने वाले हजारों श्रमिक अपनी छुट्टी होने के बाद रोजमर्रा का सामान इसी बाजार से खरीदते थे। मिल छूटने के बाद यहां श्रमिकों का हुजूम सामान खरीदने के लिए उमड़ पड़ता था। यहां के कारोबारी कहते है कि उस समय त्योहार में जब मिलों के श्रमिक जो दूसरे जिलों में रहते थे वे जब अपने घर जाते थे तब वे अपने परिवार के लिए यहीं से खरीदारी करते थे।

साज-सज्जा में अहम भूमिका निभाता यह बाजार

इस बाजार का विस्तारीकरण हुआ तो यहां मिलने वाला सामान भी भागों में बंटता चला गया। जैसे सीसामऊ में सब्जी, किराना बाजार, आभूषण, कपड़े, बर्तन, सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री एक साथ मिल जाती है। इसी से सटे पी रोड में फुटवियर, क्रॉकरी, स्टेशनरी, पर्स, बेल्ट जैसे सामान एक जगह मिल जाते हैं। थोड़ा आगे बढ़े तो पहुंच जाएंगे जरीब चौकी। यहां होता है कालपी रोड और जीटी रोड का संगम। यहां आपको प्लास्टिक से लेकर लकड़ी फर्नीचर, कार, वाहनों के टायर-ट्यूब सब एक यहां मिल जाता है। अब यहां से वापस पी रोड होते हुए बजरिया की तरफ बढ़ेंगे तो यहां पर हरसहाय मार्केट और बजरिया चौराहे पर स्थित मार्केट में आपको ऑटो पार्ट्स की बाजार मिलेगी। यहां कार और बाइक के ऑटो पाटर््स आपको बड़ी ही आसानी से मिल जाएंगे। यहां से थोड़ा आगे चलेंगे तो आप रामबाग-ब्रहमनगर होते हुए पहुंच जाएंगे नेहरु नगर और जवाहर नगर, जोकि इलेक्ट्रानिक के बड़े बाजार के नाम से अब प्रसिद्ध हो चुका है। यही जब वापस ब्रहमनगर की तरफ जाएंगे तो आप पहुंच जाएंगे अस्सी फीट रोड। यहां फर्नीचर, इलेक्ट्रानिक, रंगाई-पुताई और हैंडलूम का सामान मिल जाएगा।

पीरोड की शान थी गोपाल टॉकीज

पीरोड कार्नर पर कभी गोपाल टॉकीज हुआ करती थी लेकिन अब इस टॉकीज ने रेडीमेड मार्केट की शक्ल अख्तियार कर ली है। लोगों के मुताबिक इस टॉकीज का निर्माण करीब 1930 में हुआ था। पहले इसका नाम द्वारिका पैलेस था फिर शीशमहल हो गया। इसके बाद इसका नाम गोपाल टॉकीज हो गया। पीरोड में सबसे ऊंची इमारत होने की वजह से लोग इसे ऊंची बिल्ंिडग भी कहते थे।

व्यापारियों का ये है कहना

यह बाजार कौमी एकता की भी मिसाल कायम करता है। इस बाजार में चमनगंज हो या फिर बेकनगंज सभी क्षेत्र के ग्राहक यहां खरीदारी करने आते है। बाबा वनखंडेश्वर मंदिर, बाबा झूलेलाल का मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर और टेढ़ी देवी का भी मंदिर भी है। मुझे याद है कि जब यहां की मिलें चलती थी तब इस बाजार में इतनी भीड़ होती थी कि लोग साइकिल अपने कंधे पर टांग कर खरीदारी करते थे।

-महेश मेघानी, कारोबारी

इस बाजार में मध्यम वर्गीय परिवार के लोग खरीदारी करने ज्यादा आते है क्योंकि यहां अच्छा और सस्ता सामान मिलता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर तीन सौ किमी दूरी तक के लोग खरीदारी करने आते हैं। इस बाजार से कई जिलों के व्यापारी भी थोक मेें सामान खरीदकर ले जाते हैं और अपने जिलों में बेचते हैं। हम इस बाजार में 1960 से कारोबार कर रहे हैं।

-संजय त्रिवेदी, कारोबारी

जो सामान आपको नवीन मार्केट में एक हजार रुपये का मिलेगा वही इस बाजार में पांच सौ रुपये का मिल जाएगा। तभी इस बाजार में लोगों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। 1931 में जब अंग्रेजों ने कानपुर में हिंदू और मुस्लिमों के बीच दंगा करवा दिया था तब बेकनगंज में लगने वाली तह बाजारी यहां शिफ्ट हो गई थी। उसके बाद इस बाजार का स्वरूप बढ़ गया था।

-मुकेश दीक्षित, कारोबारी

इस बाजार में सोने-चांदी के आभूषण तो मिलते ही हैं साथ आर्टिफिशियल ज्वैलरी का भी यह बड़ा बाजार है। यहां पर ग्राहकों को उनके मनपसंद की ज्वैलरी अच्छे दामों पर मिल जाती है। पुराने दौर में यह बाजार बुधवार, शुक्रवार और रविवार को लगती थी। इस बाजार में पहले एक डेयरी और खादी आश्रम भी था जो अब बंद हो चुका है।

नीरेश कुमार जैन, कारोबारी 

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