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UP Crime: छह भाइयों ने खड़ा किया था D-2 गैंग, हत्याओं से दहशत में था कानपुर; आतंकी दाऊद से कनेक्शन

UP News अधिवक्ता खुर्शीद आलम की हत्या में उम्रकैद की सजा पाने वाले अतीक और इकबाल के अलावा मुठभेड़ में मारे जा चुके उनके दो भाइयों का एक जमाने में शहर में खौफ था। असल में अतीक ने अपने पांच भाइयों शफीक रफीक इकबाल उर्फ बाले अफजाल उर्फ राजू और बिल्लू के दम पर अपना गैंग खड़ा किया था जो कि भाड़े पर हत्याएं किया करता था।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Wed, 31 Jan 2024 12:18 PM (IST)
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छह भाइयों ने खड़ा किया था D-2 गैंग, हत्याओं से दहशत में था कानपुर
 गौरव दीक्षित, कानपुर। अधिवक्ता खुर्शीद आलम की हत्या में उम्रकैद की सजा पाने वाले अतीक और इकबाल के अलावा मुठभेड़ में मारे जा चुके उनके दो भाइयों का एक जमाने में शहर में खौफ था। पुलिस रिकार्ड में डी-टू (जनपदीय गिरोह) के नाम से कुख्यात इस गिरोह ने वर्ष 1985 से 2005 तक न जाने कितनी हत्याएं की।

पुलिस की एक पुरानी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यह गिरोह आतंकी दाऊद इब्राहिम से जुड़ा था और उसकी ही तर्ज पर कानपुर को बेस बनाते हुए यूपी में जरायम का साम्राज्य खड़ा करना चाहता था। हालांकि तत्कालीन पुलिस अफसरों ने सूझबूझ के साथ एक के बाद एक दो भाइयों को मौत के घाट उतारा तो इस गिरोह की कमर टूटी और शहरवासियों को राहत मिली।

1988 में हुआ था गिरोह का पंजीकरण

डी-टू गैंग कानपुर महानगर में आपराधिक गिरोह के तौर पर पंजीकृत होने वाला दूसरा गिरोह है। 1988 में गिरोह का पंजीकरण हुआ, जिसका मौजूदा सरगना अनवरगंज के कुली बाजार निवासी अतीक अहमद है, जो कि इस समय आगरा जेल में है।

अतीक ने पांच भाईयों संग बनाया था गैंग

असल में अतीक ने अपने पांच भाइयों शफीक, रफीक, इकबाल उर्फ बाले, अफजाल उर्फ राजू और बिल्लू के दम पर अपना गैंग खड़ा किया था, जो कि भाड़े पर हत्याएं किया करता था। धीरे-धीरे गैंग में सदस्य बढ़े तो शहर में इस गिरोह का दबदबा बढ़ता गया। पुलिस रिकार्ड से डी-2 गैंग का वजूद वर्ष 2010 में समाप्त हो गया था, क्योंकि 19 जनवरी 2010 को इस गिरोह को आइएस-273 (इंटर स्टेट यानी अंतरराज्यीय) दर्जा दे दिया गया था।

एसएसपी की रिपोर्ट में हुए थे खुलासे

इससे पहले कानपुर के तत्कालीन एसएसपी ने गिरोह को लेकर एक रिपोर्ट एडीजी कानून व्यवस्था को भेजी थी, जिसमें कहा गया है कि गिरोह का गैंग लीडर तौफीक उर्फ बिल्लू था, जिसे वर्ष 2004 में थाना बर्रा में पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है। बिल्लू के बाद गिरोह की कमान सगे भाई रफीक के हाथों में आ गई। वर्ष 2005 में रफीक गिरफ्तार हुआ और बाद में डी-39 परवेज गैंग ने गोविंद नगर क्षेत्र में पुलिस अभिरक्षा में उसकी हत्या कर दी। हालांकि इसके बाद ही गिरोह का प्रभाव कम होता गया।

 मिले थे आतंकी कनेक्शन

  • यूपी में खड़ा करना चाहते थे साम्राज्य 1985 से 2005 तक रहा आतंक दाऊद से सीधे संबंधों का दावा, गिरोह ने छद्म नाम से खरीदी संपत्ति
  • गिरोह के सदस्य शफीक ने दाउद इब्राहिम और उसके भाई आलम जेब और रूसी पठान के साथ मिलकर मुंबई में विपक्षी गैंग के सदस्यों की हत्याएं की। तब से वह दाउद के लगातार संपर्क में रहा।
  • गिरोह का सदस्य शफीक अंतरराष्ट्रीय अपराधी फजल रहमान उर्फ फजलू के साथ पूणे में फिरौती के लिए अपहरण एवं हत्या के मामले में सहअभियुक्त है।
  • कुख्यात आतंकी एजाज लक्कड़वाला के साथ गिरोह के सरगना अतीक द्वारा जबरन वसूली की गई, जिसका मुकदमा वर्ष 2007 में स्पेशल सेल नई दिल्ली में पंजीकृत हुआ। दिल्ली पुलिस द्वारा दो लाख रुपये पुरस्कार घोषित होने के बाद अतीक की गिरफ्तारी मुंबई पुलिस ने की थी।
  • पाकिस्तान निर्मित 30 स्टार मार्क पिस्टल साथ गिरोह के सदस्य इकबाल उर्फ बाले नई दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था। इसी गिरोह के सदस्य उमर खैयाम एवं अन्य के कब्जे से 30 बोर की पाकिस्तानी पिस्टलें वर्ष 1996 में बरामद की गई थीं। यह मुकदमा भी नई दिल्ली में दर्ज हुआ था। उमर खैयाम का संबंध तत्कालीन अफगानिस्तान के अफीम और शस्त्र के तस्करों से थे।
  • रफीक हैदराबाद में लंबे समय तक रहा। वहां हामिद नाम के कारोबारी के साथ तंबाकू के कारोबार में अपराध से खूब पैसा कमाया।
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