दुनिया में छाने को तैयार एसएएफ के हथियार, 20 देशों से साधा है संपर्क Kanpur News
स्माल आर्म्स फैक्ट्री खुद को किसी भी निजी कंपनी से मुकाबले के लिए तैयार कर रही है
By Edited By: Updated: Sat, 10 Aug 2019 10:19 AM (IST)
कानपुर, [श्रीनारायण मिश्र]। आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की लघु आयुध निर्माणी (एसएएफ) के हथियार पूरी दुनिया में छाने को तैयार हैं। इसके लिए निर्माणी ने अपनी विख्यात मैग मशीनगन और जेवीपीसी कार्बाइन के लिए वैश्विक ब्रांडिंग शुरू कर दी है और विश्व के 20 देशों से संपर्क साधा है। दो देशों ने सकारात्मक संकेत मिल गए हैं, वहीं एक दर्जन देश से वार्ता जारी है। फैक्ट्री प्रबंधन मांग के अनुरूप क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।
एक तरफ आर्डनेंस फैक्ट्रियों के निगमीकरण की तैयारी हो रही है तो दूसरी तरफ स्माल आर्म्स फैक्ट्री खुद को किसी भी निजी कंपनी से मुकाबले के लिए तैयार कर रही है। यहां बनी ट्राइ पॉड पर चलने वाली मैग मशीनगन सेना में पहली पसंद बनी हुई है। इसका निर्यात ब्रिटेन और रूस को भी होता है। इसी तरह विशुद्ध भारतीय तकनीक पर आधारित ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (जेवीपीसी) पुलिस बल के लिए मुफीद साबित हो रही है। फैक्ट्री ने बेल्टफेड आटोमेटिक गन भी तैयार किया है। इसकी टेस्टिंग का काम किया जा रहा है। घातक क्षमता वाली यह गन विभिन्न परिस्थितियों में चलाई जा सकती है। यह सेना के लिए बहुत कारगर साबित हो सकती है।
इन उत्पादों के लिए फैक्ट्री ने 20 देशों से संपर्क साधा है। नेपाल और टर्की से बातचीत काफी हद तक पूरी हो गई है। अन्य देश भी बात कर रहे हैं क्योंकि ये हथियार वैश्विक मुकाबले में सस्ते हैं। 40 करोड़ से खरीदी जाएंगी नई मशीनें अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी करने के लिए लघु आयुध निर्माणी नई मशीनें खरीदने जा रही है। इसी साल 40 करोड़ की 47 नई मशीनें खरीदी जाएंगी। यह सभी मशीनें कंप्यूटराइज्ड न्यूमेरिक कंट्रोल (सीएनसी) तकनीकी की होंगी।
अपर महाप्रबंधक रिसर्च एंड डेवलपमेंट तुषार त्रिपाठी कहते हैं कि इन मशीनों से रिजेक्शन बेहद कम होगा। लागत अपने आप कम हो जाएगी और गुणवत्ता में इजाफा होगा। 500 करोड़ का लक्ष्य : जीएम एसएएफ के महाप्रबंधक संजय कुमार पट्टनायक कहते हैं कि अधिकारियों-कर्मचारियों में बेहद उत्साह है। अभी तक फैक्ट्री का उत्पादन प्रतिवर्ष औसतन 190 करोड़ रुपये का था। बीते साल हमने साढ़े छह करोड़ की 29 मशीनें खरीदीं थीं। इस वर्ष उत्पादन 250 करोड़ पार कर रहा है। अगले दो सालों में हमने 500 करोड़ के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसीलिए देश के अलावा विदेश में भी निर्यात पर जोर है। बोर्ड के अलावा हम अपने स्तर पर भी मार्केटिंग कर रहे हैं। सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
एक तरफ आर्डनेंस फैक्ट्रियों के निगमीकरण की तैयारी हो रही है तो दूसरी तरफ स्माल आर्म्स फैक्ट्री खुद को किसी भी निजी कंपनी से मुकाबले के लिए तैयार कर रही है। यहां बनी ट्राइ पॉड पर चलने वाली मैग मशीनगन सेना में पहली पसंद बनी हुई है। इसका निर्यात ब्रिटेन और रूस को भी होता है। इसी तरह विशुद्ध भारतीय तकनीक पर आधारित ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (जेवीपीसी) पुलिस बल के लिए मुफीद साबित हो रही है। फैक्ट्री ने बेल्टफेड आटोमेटिक गन भी तैयार किया है। इसकी टेस्टिंग का काम किया जा रहा है। घातक क्षमता वाली यह गन विभिन्न परिस्थितियों में चलाई जा सकती है। यह सेना के लिए बहुत कारगर साबित हो सकती है।
इन उत्पादों के लिए फैक्ट्री ने 20 देशों से संपर्क साधा है। नेपाल और टर्की से बातचीत काफी हद तक पूरी हो गई है। अन्य देश भी बात कर रहे हैं क्योंकि ये हथियार वैश्विक मुकाबले में सस्ते हैं। 40 करोड़ से खरीदी जाएंगी नई मशीनें अपनी उत्पादन क्षमता दोगुनी करने के लिए लघु आयुध निर्माणी नई मशीनें खरीदने जा रही है। इसी साल 40 करोड़ की 47 नई मशीनें खरीदी जाएंगी। यह सभी मशीनें कंप्यूटराइज्ड न्यूमेरिक कंट्रोल (सीएनसी) तकनीकी की होंगी।
अपर महाप्रबंधक रिसर्च एंड डेवलपमेंट तुषार त्रिपाठी कहते हैं कि इन मशीनों से रिजेक्शन बेहद कम होगा। लागत अपने आप कम हो जाएगी और गुणवत्ता में इजाफा होगा। 500 करोड़ का लक्ष्य : जीएम एसएएफ के महाप्रबंधक संजय कुमार पट्टनायक कहते हैं कि अधिकारियों-कर्मचारियों में बेहद उत्साह है। अभी तक फैक्ट्री का उत्पादन प्रतिवर्ष औसतन 190 करोड़ रुपये का था। बीते साल हमने साढ़े छह करोड़ की 29 मशीनें खरीदीं थीं। इस वर्ष उत्पादन 250 करोड़ पार कर रहा है। अगले दो सालों में हमने 500 करोड़ के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इसीलिए देश के अलावा विदेश में भी निर्यात पर जोर है। बोर्ड के अलावा हम अपने स्तर पर भी मार्केटिंग कर रहे हैं। सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
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