अगर आपको भी आते हैं खर्राटे तो हो जाएं सावधान! पांच गुणा बढ़ा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
Snoring - Symptoms and causes खर्राटों (स्लीप एप्निया) की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा पांच गुणा बढ़ जाता है। देश-दुनिया में सर्वाधिक मौतें व दिव्यांगता की वजह ब्रेन स्ट्रोक ही है। इससे मस्तिष्क की 32 हजार नसें क्षतिग्रस्त होती हैं।
By rishi dixitEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Mon, 01 May 2023 02:27 PM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर : अगर सोते समय आपको खर्राटे आते हैं तो सतर्क हो जाएं। इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल इलाज कराएं। खर्राटों (स्लीप एप्निया) की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा पांच गुणा बढ़ जाता है। देश-दुनिया में सर्वाधिक मौतें व दिव्यांगता की वजह ब्रेन स्ट्रोक ही है। इससे मस्तिष्क की 32 हजार नसें क्षतिग्रस्त होती हैं।
यह जानकारी रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की सब फैकल्टी के आइएमए कालेज आफ मेडिकल प्रैक्टिशनर्स (आइएमए-सीजीपी) के आठ दिवसीय 40वें वार्षिक रिफ्रेशर कोर्स के वैज्ञानिक सत्र में मैक्स हास्पिटल के वरिष्ठ निदेशक डा. पुनीत अग्रवाल ने दी।
डा. अग्रवाल ने बताया कि युवाओं में तनाव अधिक होने से ब्रेन स्ट्रोक के मामले दोगुणा गति से बढ़े हैं। यह अचानक होता है, इसलिए स्ट्रोक के बाद छह घंटे का गोल्डेन आवर महत्वपूर्ण है। इस अवधि में इलाज मिलने से मरीज की जान के साथ उसे दिव्यांगता से बचाया जा सकता है।
वहीं, दिमाग की नसें सूखने से बुजुर्गों में पार्किंसन की समस्या तेजी से बढ़ी है। इसके इलाज की नई तकनीक आ गई है। इसमें डीप ब्रेन स्टिमुलेशन यानी ब्रेन में एक प्रकार का पेसमेकर लगाया जाता है जिसे दिल पर लगाकर उपकरण नियंत्रित करता है।
उन्होंने बताया कि विश्व स्ट्रोक संगठन की रिपोर्ट में ब्रेन स्ट्रोक को मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बताया गया है। कार्यक्रम निदेशक डा. सी निहलानी और चेयरपर्सन डा. कुणाल सहाय व डा. बीपी राठौर रहे।
प्रसूताओं की मौत के आंकड़ों में आई कमी
प्रयागराज से आईं जीएसआइ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. रंजना खन्ना ने बताया कि प्रत्येक गर्भवती की प्रसव पूर्व देखभाल बहुत जरूरी है। ऐसा करके जच्चा-बच्चा की मौत के आंकड़ों को कम किया जा सकता है।
देश में प्रसूताओं की मौत के आंकड़े भी तेजी से कम हुए हैं। वर्ष 2000 में यह 556 प्रति लाख था, जो वर्ष 2020-22 में घटकर प्रति लाख 97 पर आ गया है। देश में सिर्फ केरल ऐसा राज्य है, जहां यह आंकड़ा 35 प्रति लाख है। अब 79 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं।सामान्य प्रसव में प्रसूता के साथ अच्छे व्यवहार के लिए डाक्टरों के लिए गाइडलाइन भी जारी की गई है। कार्यक्रम निदेशक डा. रीता मित्तल और चेयरपर्सन डा. उषा गोयनका और डा. नीना गुप्ता रहीं।
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