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पुण्यतिथि पर विशेष: महादेवी वर्मा ने दिया था हिंदी साहित्य को नया अर्थ, लेखन से स्त्री पीड़ा का किया मार्मिक वर्णन

Mahadevi Verma Death Anniversary महादेवी वर्मा ने अपने साहित्य के जरिए स्त्री सशक्तीकरण और स्त्री शिक्षा जैसे अहम मुद्दों को प्रोत्साहित किया। छायावाद की महादेवी ने साहित्य के जरिए समाज में चेतना जगाकर सामाजिक दायित्व निभाया। आजादी के बाद भी स्त्रियों की सामाजिक दशा ने महादेवी जी को झकझोरा था।

By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Sat, 11 Sep 2021 08:51 AM (IST)
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महोदवी वर्मा की खबर से संबंधित फोटो।
फर्रुखाबाद, जेएनएन। Mahadevi Verma Death Anniversary जिले की धरती पर जन्मीं और साहित्य की देवी कही जाने वाली महीयसी महादेवी ने हिंदी साहित्य को नया अर्थ दिया। अपनी रचनाओं के जरिए भारतीय समाज में स्त्रियों के संघर्ष को सीधे और सरलता के साथ व्यक्त किया। उनकी पुण्यतिथि पर 11 सितंबर को साहित्यसेवी गोष्ठी के जरिए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। 

26 मार्च 1907 को शहर की गनेश प्रसाद स्ट्रीट में जन्मीं महादेवी जी के घर का माहौल काफी सुसंस्कृत था, जहां से उन्होंने साहित्यिक संस्कार आत्मसात किए। भले ही उन्होंने सक्रिय तौर पर आजादी की लड़ाई में हिस्सा न लिया हो, लेकिन गांधी जी के विचारों का उन पर बड़ा प्रभाव था और समाज सुधार के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने अपने साहित्य के जरिए स्त्री सशक्तीकरण और स्त्री शिक्षा जैसे अहम मुद्दों को प्रोत्साहित किया। छायावाद की महादेवी ने साहित्य के जरिए समाज में चेतना जगाकर सामाजिक दायित्व निभाया। आजादी के बाद भी स्त्रियों की सामाजिक दशा ने महादेवी जी को झकझोरा था। उन्होंने अपने लेखन से स्त्री की पीड़ा को प्रस्तुत किया। इसका एक उदाहरण उनकी कहानी 'भक्तिन' है। इसमें जिस प्रकार अपनी घरेलू सहायिका की व्याख्या की है, उसके संघर्ष, साहस और चरित्र के सशक्त पहलू को दिखाया है, वह सीधे तौर पर स्त्री की शक्ति को दर्शाता है। 11 सितंबर 1987 को छायावाद की दीपशिखा नश्वर संसार को त्याग कर परमधाम को सिधार गईं। उनकी पुण्य तिथि पर साहित्यसेवी रेलवे रोड के पल्ला तिराहा स्थित उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।

महादेवी के नाम पर होगा जीजीआइसी का नाम: फतेहगढ़ स्थित राजकीय बालिका इंटर कालेज (जीजीआइसी) का नाम महीयसी महादेवी के नाम पर करने के प्रयास तेज हो गए हैं। जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने शासन से पत्राचार किया है। फरवरी 2021 में जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र भेजकर विद्यालय का नाम महीयसी महादेवी वर्मा राजकीय बालिका इंटर कालेज, फतेहगढ़ नाम करने की संस्तुति करते हुए पत्र भेजा है। वहीं दुर्गा नारायण महाविद्यालय में साहित्यिक संस्था अभिव्यंजना के सहयोग से महादेवी वर्मा शोध एवं अध्ययन केंद्र खोलने की तैयारी की जा रही है, जहां उनके रचनाओं से नई पीढ़ी को रूबरू कराया जाएगा। 

बोले साहित्यसेवी

  • महादेवी वर्मा छायावाद के आधार स्तंभों में थीं। अंतिम दिनों में उन्होंने वेदमंत्रों के अनुवाद किए। उनकी मृत्यु के बाद अग्निरेखा नाम से उनकी पुस्तक प्रकाशित हुई। इसमें उन्होंने 'मैं नीर भरी दुख की बदरीÓ के स्वर के विपरीत अन्याय के खिलाफ बगावत की चर्चा की है। महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि वह हमारे लिए आंसू की नहीं बल्कि आग की वसीयत करके गई हैं। उनको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। - डा. शिवओम अंबर, राष्ट्रीय कवि।
  • जीवन की विरलताओं को अपने पद्य, गद्य एवं चित्रों से सरल भावों से प्रस्तुत कर महादेवी जी आधुनिक मीरा कहलाई। बाबू गुलाब राय उनके गद्य का लोहा मानते थे। नारी शिक्षा और सशक्तीकरण के प्रति उनके मनोभाव सर्वकालिक प्रासंगिक हैं। यह उनका प्रभामंडल है, जो फर्रुखाबाद साहित्यकारों की उर्वराभूमि बन नवीन प्रतिभाओं को जन्म दे रहा है। हम उनकी पुण्यतिथि पर नमन करते हैं। - भूपेंद्र सिंह, समन्वयक, साहित्यिक संस्थान अभिव्यंजना। 
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