आइआइटी कानपुर की तरह एचबीटीयू में शुरू होंगी स्टार्टअप कंपनियां, मेडिकल क्षेत्र और उद्योगों पर करेंगी काम
कानपुर आइआइटी के बाद एचबीटीयू में दो स्टार्टअप कंपनियां शुरू करने के लिए प्रस्ताव दिया गया है। इसमें पहली कंपनी मेडिकल क्षेत्र में थ्रीडी माडल विकसित करने में संस्थान के विशेषज्ञ जुटेंगे वहीं दूसरी कंपनी उद्योगों से निकलने वाले उत्प्रभाव का शोधन करके जल स्वच्छ करेगी।
By Abhishek VermaEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 11:16 AM (IST)
कानपुर, [चंद्रप्रकाश गुप्ता]। आइआइटी की तरह ही हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के प्रोफेसर और छात्रों के नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए जल्द ही स्टार्टअप कंपनियों की शुरुआत की जाएगी। नए शैक्षिक सत्र के लिए दो कंपनियां खोलने का प्रस्ताव है, जिसमें से एक कंपनी स्वास्थ्य चिकित्सा क्षेत्र के लिए मानव शरीर के विभिन्न अंगों के थ्रीडी माडल बनाएगी तो दूसरी कंपनी उद्योगों से निकलने वाले उत्सर्जन से केमिकल अशुद्धियों को दूर कर स्वच्छ जल तैयार करेगी।
स्टार्टअप कंपनियों को शुरू करने के लिए ही एचबीटीयू प्रशासन ने पिछले माह संस्थान की ओर से कंपनी एक्ट की धारा आठ के तहत बिना लाभ की कंपनी एचबीटीयू फाउंडेशन की स्थापना की थी। अब फाउंडेशन की मदद से अन्य कंपनियों को जोड़कर स्टार्टअप शुरू होंगे। साथ ही सरकार की मदद से विभिन्न क्षेत्रों को संस्थान की ओर से विकसित उत्पादों का लाभ मिल सकेगा। एचबीटीयू के इन्क्यूबेशन हब के प्रभारी डा. अरुण मैथानी ने बताया कि संस्थान में कुछ शिक्षक व छात्रों ने स्टार्टअप कंपनियां शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। उनके प्रस्ताव विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजे जा रहे हैं। अनुमति मिलते ही कंपनियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कराई जाएगी।
एचबीटीयू के कुलपति प्रो. समशेर ने बताया कि संस्थान की ओर से स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। कुछ कंपनियां नए सत्र में शुरू होने की उम्मीद है। संस्थान के पूर्व छात्रों और आम लोगों से भी नवाचार व स्टार्टअप शुरू करने के लिए आवेदन मांगे जाएंगे। उसके बाद संस्थान की ओर से तकनीक सहायता दी जाएगी।
थ्रीडी माडल की मदद से हो चुकी केजीएमयू में सर्जरी
एचबीटीयू के प्रोफेसर जितेंद्र भास्कर और उनके शोधार्थी विभिन्न शारीरिक अंगों के थ्री डी माडल तैयार कर चुके हैं। दो माह पूर्व केजीएमयू के डाक्टरों के अनुरोध पर उन्होंने एक मरीज के लिवर का थ्रीडी माडल तैयार किया था। उसकी मदद से डाक्टरों ने लिवर की सफलतापूर्वक सर्जरी भी की थी। अब प्रो. भास्कर और उनकी टीम मिलकर एक कंपनी बनाएंगे।
टेक्सटाइल कंपनियों के रंगीन पानी को करेंगे साफ
संस्थान के ही एक अन्य प्रोफेसर एके राठौर ने अपनी टीम की मदद से एक एेसी तकनीक विकसित की है, जिससे टेक्सटाइल (कपड़ा) उद्योगों से निकलने वाले रंगीन पानी को पूरी तरह साफ करके दोबारा फिर उपयोग में लिया जा सकता है। इसमें उन्होंने एक विशेष केमिकल का इस्तेमाल किया है। इस उत्पाद के उत्पादन के लिए कंपनी बनाने की तैयारी की जा रही है।कबाड़ वाहनों से छात्र बना रहे ई-बाइक, बनेगी कंपनी
दो माह पूर्व संस्थान के छात्र मयंक खन्ना और उनकी टीम ने मिलकर कबाड़ मोटरसाइकिल से ई-बाइक बनाकर सभी को अचंभित कर दिया था। अब मयंक और उनकी टीम मिलकर एक कंपनी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि कबाड़ बाइकों से बड़े पैमाने पर कम कीमत की ई-बाइक बनाई जा सके और ई-बाइक के नए माडल विकसित किए जा सकें।
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