राज्य कर विभाग के ताबड़तोड़ एक्शन ने कारोबारियों की बढ़ाई टेंशन, बिना नोटिस के बैंक खाते सीज होने से भारी संकट
त्योहार के मौके पर उत्तर प्रदेश में कारोबारियों के बैंक खाते वैट के बकाए में बिना नोटिस सीज किए जा रहे हैं। इससे कारोबारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई कारोबारियों को फोन कर बैंक खाते सीज करने के लिए कहा गया है। इस कार्रवाई से कारोबारियों के ऑनलाइन भुगतान और चेक बाउंस हो रहे हैं।
त्योहार से पहले राज्य कर अधिकारी की ताबड़तोड़ कार्रवाई
कारोबारियों के लिए वर्ष का सबसे बड़ा त्योहार सामने है। यह वह मौका है जब कारोबारी पूरे वर्ष की खरीदारी का 60 प्रतिशत माल भरते हैं। ठीक इसी मौके पर राज्य कर विभाग के अधिकारी ताबड़तोड़ जीएसटी से भी पहले वैट के समय के मामलों के बकाए में उनके बैंक खाते सीज कर रहे हैं।बिना नोटिस के सीज कर दिया गया खाता
हरजेन्दर नगर के एबी इंटरप्राइजेज के खिलाफ वित्तीय वर्ष 2015-16 का बकाया बताया गया है लेकिन उनका खाता बिना नोटिस जारी किए सीज कर दिया गया। एक आदेश में इंडियन बैंक की श्याम नगर शाखा को आदेश कर सात कारोबारियों के बैंक खाते सीज करा दिए गए हैं।विभाग में नहीं मिली फाइल
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश के वरिष्ठ महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा के मुताबिक उनसे एक दर्जन से ज्यादा कारोबारी मिल चुके हैं। स्थिति यह है कि कई कारोबारियों के बैंक खाते तो सीज कर दिए गए हैं लेकिन जब शुक्रवार को दो कारोबारी विभाग गए तो वहां उनकी फाइल तक नहीं मिली।उन्होंने कहा कि इस मामले में अपर आयुक्त के साथ ही जिलाधिकारी से बात की जाएगी। इसके साथ ही शासन स्तर तक मामला ले जाया जाएगा। शहर के करीब-करीब सभी बाजारों में कारोबारियों के खाते सीज हो रहे हैं।जिसका निधन उसका भी खाता सीज करने पहुंचे
बर्रा की एक ट्रेडिंग कंपनी के संचालक का निधन कोरोना काल में हो गया था। उनकी फर्म और बैंक खाता भी बंद हो चुका है। उनके वित्तीय वर्ष 2010-11 का 5,38,057 रुपये का बकाया बता अधिकारी बैंक शाखा पहुंचे। वहां बैंक खाता बंद होने की सूचना मिली तो उनकी पत्नी को फोन किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि उस वर्ष का केस निस्तारित हो चुका है। यह भी पढ़ें- IND vs BAN: समय से शुरू नहीं हुआ मैच तो विराट कोहली के हमशक्ल ने लूटी महफिल, सेल्फी लेने की मची होड़वैट के वर्षों पुराने मामलों को बकाया बता कर बैंक खाते बिना जानकारी दिए सीज किए जा रहे हैं जबकि ज्यादातर मामलों में अपील से मामले छूट चुके हैं या रकम जमा की जा चुकी है। इस तरह की कार्रवाई करने से पहले अधिकारियों को पुराने रजिस्टर को देखना चाहिए। बहुत से मामलों में रजिस्टर में भी पुरानी प्रविष्टियों को भी दर्ज नहीं किया गया है। इस तरह से बैंक खाते सीज करने से पहले एक बार कारोबारी को नोटिस जारी कर उससे पूछा भी जाना चाहिए।
- संतोष कुमार गुप्ता, चेयरमैन, मर्चेंट्स चैंबर आफ उत्तर प्रदेश की जीएसटी कमेटी।