पढ़ाई के दौरान आर्थिक तंगी झेली, 22 साल की उम्र में बने IPS, पढ़ें कानपुर के अपर पुलिस आयुक्त हरीश चन्दर की कहानी
IPS Harish Chander दिल्ली के गुरु तेग बहादुर नगर की एक छोटी सी खोली में जन्मे हरीश चंदर ने अपने संघर्षों से भरे जीवन में कई लोगों के जीवन में उजाला भरा है। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से 2009 में IPS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। खबर में हम उनके जीवन के संघर्षों उपलब्धियों और पुलिसिंग में उनके योगदान के बारे में जानेंगे...
Success Story of IPS Harish Chander: पुलिस...ये शब्द सहज ही सुरक्षा का भाव पैदा करता है। समाज में अच्छे लोगों की पालक, अपराधियों के लिए संहारक, नित नए संघर्षों के बीच कीर्तिमान गढ़ने की ललक। पुलिस विभाग में कई शख्सियतें ऐसी हैं, जिनका जीवन संघर्षों भरा रहा। आमजन, खासकर युवाओं के लिए प्रेरणादायक।
कानपुर कमिश्नरेट में बतौर अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) के पद पर तैनात आइपीएस हरीश चन्दर भी इनमें से ही एक हैं। पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्टूबर को है। इस दिन कर्तव्य परायण पुलिस अफसरों व कर्मियों की कहानियां समाज याद करता है। संघर्षों के प्रतिमान हरीश की कहानी भी हर युवा के लिए प्रेरक है। पढ़िए कानपुर से शिवा अवस्थी की रिपोर्ट...
2009 में IPS बने हरीश चन्दर
पुलिस दरवाजे-दरवाजे खटकाती थी डंडा, बने आइपीएस
पकड़ा 15 हजार करोड़ का जीएसटी घोटाला
बदलाव को चुनौती मान आगे बढ़ना ही पुलिस
यहां भी वैसे ही सब जल्द होगा। पुलिस के लिए व्यवहार में बदलाव चुनौती है। यह व्यक्तिनिष्ठ मामला है। लोगों की समस्याओं, अपराधियों व अपराध से जुड़े मामलों, कार्रवाई से लोगों को बेरुखी जैसी स्थिति लगती होगी। थानों में महिला पुलिसकर्मी नई कहानी लिख रहीं। केवल अपराधी ही नहीं, समाज से जुड़े हर काम में पुलिस पहले है। पुलिस से खराब व्यक्ति डरे, गलत काम करने वाला डरे, अच्छे लोग साथ खड़े हों। बस पुलिस ऐसी होनी चाहिए। पुलिस ने सबसे पहले स्वयं को तकनीक में ढाला। यूपी-112, 1090, एक्स अकाउंट पर पुलिस की तत्परता सबकी पसंदीदा है।
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