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Weather Update: कानपुर में बादलों की चादर ओढ़ सोता रहा सूरज, बढ़ी ठिठुरन; दिन-रात के तापमान का घटा अंतर

कानपुर में सूरज के दर्शन ही नहीं हो पा रहे हैं। लग रहा है मानो सूरज बादलों की चादर ओढ़कर सो गया है। जेट स्ट्रीम की वजह से ही मौसम में बड़ा बदलाव दिख रहा है। बीते सप्ताह भर से न्यूनतम और अधिकतम तापमान के उतार-चढ़ाव ने शहर के मौसम का मिजाज भी बदल रखा है। रात और दिन के तापमान का अंतर घट और बढ़ रहा है।

By akhilesh tiwari Edited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 07 Jan 2024 02:04 PM (IST)
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Weather Update: कानपुर में बादलों की चादर ओढ़ सोता रहा सूरज, बढ़ी ठिठुरन; दिन-रात के तापमान का घटा अंतर
जागरण संवाददाता, कानपुर। बादलों के छाए रहने से शनिवार को भी शहर के आसमान में सूरज नहीं दिखाई दिया लेकिन दिन का अधिकतम तापमान 2.6 डिग्री बढ़कर 18.6 डिग्री पहुंच गया जो सामान्य से 0.8 डिग्री नीचे है। लगातार चार दिन से बादलों की चादर ने सूरज को ढक रखा है।

मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय के अनुसार इसकी वजह दक्षिणी से उत्तरी ध्रुव के बीच बहने वाले जेट स्ट्रीम है जो इन दिनों नीचे होकर बह रही है। जेट स्ट्रीम की वजह से ही मौसम में बड़ा बदलाव दिख रहा है। बीते सप्ताह भर से न्यूनतम और अधिकतम तापमान के उतार-चढ़ाव ने शहर के मौसम का मिजाज भी बदल रखा है।

तापमान का अंतर घट और बढ़ रहा

रात और दिन के तापमान का अंतर घट और बढ़ रहा है। एक दिन पहले दिन का तापमान सामान्य से 3.8 डिग्री नीचे था। जबकि शनिवार को लगभग सामान्य तक पहुंच गया। न्यूनतम तापमान 12 डिग्री रहा है जो शुक्रवार से 0.6 डिग्री कम है।

शनिवार को उत्तर-पश्चिम से बह रही हवा की गति भी 2.6 किमी प्रति घंटा रही है। इससे वातावरण में सर्दी का अहसास बना हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिन के दौरान आसमान में हल्के से मध्यम बादल छाए रहेंगे। इसके साथ तेज हवा, गरज़-चमक एवं ओलावृष्टि के साथ हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना भी बनी हुई है।

जेट स्ट्रीम ने बढ़ाई सर्दी, कराई वर्षा

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के डा. एसएन सुनील पांडेय के अनुसार जेट स्ट्रीम या जेटधाराएं पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल और विशेषकर समताप मंडल में तेज गति से प्रवाहित होने वाली हवा है। इनके प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह ही निश्चित होती है, इसलिए इसे जेट स्ट्रीम का नाम दिया गया है।

जेट स्ट्रीम पृथ्वी के धरातल से छह किमी से लेकर 14 किमी की ऊंचाई पर लहरदार रूप में बहने वाली वायुधारा है। इसके नीचे आ जाने की वजह से पश्चिमी विक्षोभ की स्थितियां बदली हैं और बादलों के छाए रहने के साथ वर्षा, ओलावृष्टि और सर्दी की स्थितियां बनी हैं।

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