Swatantrata Ke Sarthi: ग्रामीण महिलाओं के अधिकारों को मिली आवाज, थाइलैंड तक पहुंची गूंज
Swatantrata Ke Sarthi Independence Day 2024 महिलाओं को जागरूक करने के लिए करिश्मा अब रोज एक विषय चुनती हैं और उस पर महिलाओं के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं। इसमें कभी महिला शिक्षा विषय होता है तो कभी शोषण के विरुद्ध आवाज उठाना। बता दें कि सामुदायिक रेडियो को उत्तर प्रदेश संचार विभाग और श्रमिक भारती समेत कई स्वयंसेवी संगठन वित्तीय मदद उपलब्ध कराते हैं।
अनुराग मिश्र l जागरण कानपुर। Independence Day 2024: ‘पर लगा लिए हमने, अब पिंजरों में कौन बैठेगा...’ ‘शिक्षा हो या काम की बारी, नहीं रहेगी पीछे नारी’.... यह फलसफा है रेडियो जाकी करिश्मा चतुर्वेदी का। यूं तो रेडियो जाकी तो कोई भी बन सकता है, लेकिन करिश्मा का संघर्ष ज्यादा इसलिए है कि क्योंकि इन्होंने कानपुर देहात से सफर शुरू कर थाइलैंड तक महिला अधिकारों की गूंज को पहुंचाया।
आज वह सामुदायिक रेडियो ‘वक्त की आवाज’ के जरिये महिलाओं को शिक्षा, समता के प्रति जागरूक करने के साथ हिंसा के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
करिश्मा के मन में कुछ अलग करने की चाहत थी तो पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। स्नातक की पढ़ाई के दौरान गांव में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा और मारपीट होते देखी तो आगे बढ़कर उन्हें जागरूक करने के साथ अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया। उन्होंने महिलाओं को सिर्फ इतना ही सिखाया कि चुप्पी तोड़ो। इस कारण इस समूह से आसपास के गांव की महिलाएं भी जुड़ रही हैं।
सामुदायिक रेडियो के जरिये महिलाओं को शिक्षा और समता के प्रति कर रहीं जागरूक
रेडियो से जुड़ीं तो बदली जिंदगी
करिश्मा बताती हैं कि पढ़ाई के समय से ही महिला उत्थान के लिए कुछ करने का मन था। वर्ष 2015 में सामुदायिक रेडियो ‘वक्त की आवाज’ की प्रमुख राधा शुक्ला से संपर्क हुआ तो उस समय करिश्मा स्नातक की पढ़ाई कर रहीं थीं। उन्होंने रेडियो जाकी बनकर आवाज गांव-गांव पहुंचाने को कहा। इसके बाद तो जिंदगी ही बदल गई।
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करिश्मा बताती हैं कि उनके प्रयास को बीते वर्ष ही सितंबर में थाइलैंड के स्वयंसेवी संगठन अमार्क ने सराहा और महिला अधिकारों को लेकर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आमंत्रित किया। वहां उन्होंने भारतीय महिलाओं की बदलती स्थिति पर विचार रखे और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। वहां मिली महिलाओं से भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। वहां मिले अनुभव को भी महिलाओं के बीच साझा किया तो काफी महिलाएं स्वरोजगार के प्रति आगे बढ़ रही हैं। ये भी पढ़ेंः Ration News: अगस्त माह के राशन पर अपडेट; 21 तक खाद्यान्न का मुफ्त वितरण, 48 जिलों में अंत्योदय कार्ड पर बाजरा भी मिलेगा ये भी पढ़ेंः Ram Rahim News: सातवीं बार फरलो लेकर बरनावा आश्रम पहुंचा राम रहीम, हनीप्रीत व परिवार के सदस्य भी साथ कानपुर देहात के सुजानपुर गांव निवासी महिला परास्नातक हैं। वह आत्मनिर्भर बनना चाहती थीं, लेकिन परिवार का सहयोग नहीं था। अक्सर परिवार में कलह का वातावरण रहता था। महिला को रेडियो से ही महिलाओं के समूह की जानकारी हुई तो उन्होंने बैठक में हिस्सा लिया, वहां करिश्मा से मुलाकात हुई। करिश्मा ने टीम के साथ जाकर परिवार से बात की और समझाया। अब महिला एक संस्था के लिए किताब लेखन का कार्य कर रही हैं और जीविकोपार्जन के लिए आय भी कर रही हैं।आवाज उठाने के लिए करती हैं प्रेरित
अब तो कई बार महिलाएं फोन पर संपर्क करती हैं। उनकी समस्या के अनुरूप उन्हें थाने की महिला डेस्क, वन स्टाप सेंटर या 181 नंबर पर डायल कर समस्या बताने को कहा जाता है। इसके बाद भी करिश्मा समस्या का निदान होने तक उनके संपर्क में रहती हैं। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।