Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

यूपी के कानपुर में स‍िर्फ आज खुलते हैं दशानन मंद‍िर के कपाट, भक्‍त करते हैं दर्शन पूजन, जानें क्‍या है मान्‍यता

उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में दशानन रावण का एक 100 वर्ष से पुराना मंद‍िर है। इस मंद‍िर के कपाट वर्ष में स‍िर्फ एक बार आज के द‍िन ही खुलते हैं। मान्यता है कि दशानन मंदिर में दशहरे के दिन लंकाधिराज रावण की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Tue, 24 Oct 2023 10:31 AM (IST)
Hero Image
Ravana Temple In Kanpur: कानपुर में स‍िर्फ आज के द‍िन खुलते हैं दशानन मंद‍िर के कपाट

जेएनएन, कानपुर। पूरा देश आज दशहरा के दिन रावण दहन कर अधर्म पर धर्म की जीत की खुशियां मनाते है, वहीं उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में दशानन रावण के सौ साल पुराने मंदिर के दरवाजे आज व‍िशेष पूजन और दर्शन के ल‍िए खोले जाते हैं। दशानन रावण के इस मंद‍िर में केवल दशहरे के दिन ही पूजा होगी है। कानपुर के शिवाला में दशानन शक्ति के प्रहरी के रूप में विराजमान हैं।

विजयदशमी को सुबह मंदिर में प्रतिमा का श्रृंगार-पूजन कर कपाट खोले जाते हैं। शाम को आरती उतारी जाती है। यह कपाट साल में सिर्फ एक बार दशहरा के दिन ही खुलते हैं। भक्त मंडल के संयोजक बताते हैं कि वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने मंदिर का निर्माण कराया था। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। उन्होंने ही कैलाश मंदिर परिसर में शक्ति के प्रहरी के रूप में रावण का मंदिर निर्मित कराया था।

मान्यता है कि दशानन मंदिर में दशहरे के दिन लंकाधिराज रावण की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं। महिलाएं दशानन की प्रतिमा के करीब सरसों के तेल का दीया और तरोई के फूल अर्पित कर सुख समृद्धि, पुत्र और परिवार के लिए ज्ञान व शक्ति की कामना की। भक्त दशानन से विद्या और ताकत का वर मांगते हैं। अहंकार न करने का भी संदेश रावण प्रकांड विद्वान और ज्ञानी था, लेकिन उसे खुद के पराक्रम का घमंड भी आ गया था।

मंदिर में दशानन के दर्शन करते समय भक्तों को अहंकार नहीं करने की सीख भी मिलती है, क्योंकि ज्ञानी होने के बाद भी अहंकार करने से ही रावण का पूरा परिवार मिट गया था। शिवाला स्थित दशानन मंदिर का पट रविवार की सुबह खुला तो विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। शुक्रवार को प्रातः मंदिर सेवक ने मंदिर के पट खोले तो भक्तों ने साफ सफाई करके दशानन की प्रतिमा को दूध, दही गंगाजल से स्नान कराया। इसके बाद विभिन्न प्रकार के पुष्पों से मंदिर को सजाया गया और आरती उतारी गई।

दशानन मंदिर के पुरोहित राम बाजपेयी कहते हैं हम आज इस मंदिर को खोलते हैं और आज दशहरे के दिन रावण की पूजा करते हैं और फिर शाम को पुतला दहन के बाद इस मंदिर को बंद कर देते हैं। यह केवल दशहरे के दिन खुलता है।

यह भी पढ़ें : Dussehra 2023: आज विजयदशमी की रात लगेगी गोरक्षपीठाधीश्वर की अदालत, दंडाधिकारी बन सुलझाएंगे संतों के विवाद

यह भी पढ़ें : UP News: पेंशन लटकाने वाले अफसरों को योगी सरकार लेगी आड़े हाथ, पाए गए दोषी तो खैर नहीं...

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर