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यूपी के इस जिले में अभी हजारों दुकानदार नहीं लिख रहे नाम, अब शुरू होगी जांच; लग सकता है जुर्माना

कानपुर में शहर शहर से लेकर गांव तक हजारों दुकानदार खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से फूड लाइसेंस लेकर नियम के बावजूद दुकान पर नाम नहीं लिख रहे हैं। नियम के तहत फूड लाइसेंस दुकान में ऐसी जगह चस्पा करना चाहिए जहां से उसे आसानी से देखा जा सके। बड़ी संख्या में दुकानदार नाम प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। अब औचक जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

By shiva awasthi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 21 Jul 2024 04:04 PM (IST)
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हजारों दुकानदार नहीं लिख रहे नाम, अब होगी जांच

जागरण संवाददाता, कानपुर।  शहर से लेकर गांव तक हजारों दुकानदार खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से फूड लाइसेंस लेकर नियम के बावजूद दुकान पर नाम नहीं लिख रहे हैं। लाइसेंस की प्रति भी चस्पा नहीं कर रहे हैं। लाइसेंस धारकों में 90 प्रतिशत छोटे दुकानदार नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जबकि बड़े दुकानदारों की संख्या भी 60 प्रतिशत है।

दुकान पर नाम व लाइसेंस प्रदर्शित नहीं करने पर दो लाख तक जुर्माना का भी प्रविधान है। अब इनकी औचक जांच की तैयारी है। वर्तमान में कांवड़ यात्रा को लेकर मार्ग में खान-पान की दुकानों में नाम प्रदर्शित करने को लेकर भले राजनीति गरम है, पर असल में यह कानून पुराना है। यह कानून कांग्रेस सरकार ही लाई थी।

यूपीए सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 में स्पष्ट प्रविधान किया है कि दुकानदार को अपना फूड लाइसेंस ऐसी जगह लगाना होगा, जहां आसानी से उसे देखा जा सके। इस नियम के पालन में शहर के ज्यादातर क्षेत्रों में अनदेखी हो रही है। लाइसेंस लेने वाले छोटे-बड़े दुकानदारों की संख्या लगभग 33 हजार है, पर असल में शहर में दुकानों की संख्या दो लाख के आसपास तक है। यह सभी अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहे हैं। दुकानों में न तो लाइसेंस चस्पा है और न ही उनके नाम ही पता चलते हैं।

यह आते हैं दायरे में

इस अधिनियम के दायरे में खाद्य पदार्थ निर्माता, बेचने वाले, विपणन से जुड़े, कैटरिंग सर्विस, पैकेजिंग, भंडारण करने वाले, ट्रांसपोर्टर व ढुलाई करने वाले शामिल हैं। वर्ष में 12 लाख से अधिक का कारोबार करने वालों के लिए फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य है, जबकि इससे कम टर्नओवर या उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 100 किलोग्राम से कम होने पर पंजीकरण की अनिवार्यता है।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के प्रविधानों को पांच अगस्त, 2011 में लागू किया गया था। उस समय भी केंद्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार ही थी। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी व खाद्य सुरक्षा अधिकारी जांच के बाद कार्रवाई कर सकते हैं।

58 सौ बड़े दुकानदार या लाइसेंस धारक हैं शहर में, जिनका टर्नओवर प्रतिवर्ष 12 लाख से 20 करोड़ रुपये तक है।  27 हजार छोटे पंजीकृत दुकानदार हैं, जिनका टर्नओवर सालाना 12 लाख से कम व उत्पादन क्षमता 100 किलोग्राम प्रतिदिन से कम है।

नियम के तहत फूड लाइसेंस दुकान में ऐसी जगह चस्पा करना चाहिए, जहां से उसे आसानी से देखा जा सके। बड़ी संख्या में दुकानदार नाम प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। अब औचक जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। -संजय प्रताप सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य-दो, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन।

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