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आंगनबाड़ी में टॉयलेट क्लीनर पीने से तीन साल के मासूम की मौत, गुस्साए लोगों ने किया हंगामा

कानपुर के असेनिया गांव में एक तीन साल के मासूम की मौत हो गई। बच्चे ने आंगनबाड़ी के शौचालय में रखा टॉयलेट क्लीनर पी लिया था। घटना के बाद स्वजन ने हंगामा किया और सड़क जाम कर दी। पुलिस ने स्वजन को समझाकर शांत किया है। मामले की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम के लिए शव को भेजा गया है।

By Udyan Shukla Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 09 Oct 2024 07:47 AM (IST)
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आंगनबाड़ी में टायलेट क्लीनर पीने से मासूम की मौत, हंगामा

संवाद सहयोगी, घाटमपुर। साढ़ थाना क्षेत्र के असेनिया गांव में आंगनबाड़ी में टायलेट क्लीनर पीने से तीन साल के मासूम की मौत हो गई। घटना से गुस्साए स्वजन ने साढ़-जहानाबाद मार्ग से असेनिया को जाने वाले मोड़ पर जाम लगा दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने स्वजन को समझाया है। पुलिस के मुताबिक जांच की जा रही है।

असेनिया निवासी रामबाबू पाल किसानी करते हैं। घर पर पत्नी रानीदेवी, बेटे सौरभ और तीन साल का मासूम निखिल था। निखिल गांव के प्राथमिक विद्यालय में स्थित आंगनबाड़ी में आठ से 10 दिन से जा रहा था।

मंगलवार दोपहर करीब एक बजे निखिल ने विद्यालय के शौचालय में रखा टायलेट क्लीनर पी लिया। बच्चों ने देखा तो आंगनबाड़ी सहायिका विद्यावती व विद्यालय की शिक्षिकाओं को बताया। इस पर सहायिका ने निखिल को उसके घर ले जाकर स्वजन को टायलेट क्लीनर पीने की बात बताते हुए सौंप दिया। स्वजन उसे घर ले गए। थोड़ी ही देर में ही उसे उल्टियां होने लगीं। इस पर प्रधान रामकांत पाल को सूचना दी गई।

प्रधान स्वजन के साथ उसे लेकर जहानाबाद सीएचसी पहुंचे। जहां से उसे फतेहपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां पहुंचने पर डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद लौटे स्वजन आक्रोशित होकर साढ़-जहानाबाद मार्ग से असेनिया को जाने वाले मोड़ पर बैठ गए। सूचना पर साढ़ पुलिस मौके पर पहुंची। इसके बाद लोगों को समझाकर उठवाया।

इंस्पेक्टर केपी सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। स्वजन जैसी तहरीर देंगे, उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

हुई लापरवाही, समय पर उपचार मिलता तो बच जाती जान

मासूम की मौत की बड़ी वजह लापरवाही रही। उसके टायलेट क्लीनर पीने के बाद विद्यालय में मौजूद आंगनबाड़ी सहायिका, शिक्षिकाओं आदि को जानकारी हो गई थी। उस दौरान तक मासूम की हालत भी खराब नहीं हुई थी। इसके बावजूद लापरवाही बरतते हुए उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया गया। बच्चे को घरवालों को सौंपा गया।

घरवाले यह नहीं समझ पाए कि उसने कितनी मात्रा में क्लीनर पिया है। थोड़ी देर बाद जब तबीयत बिगड़ना शुरू हुई तब उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

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