'डर को दूर भगाकर सपनों को हकीकत में बदलिए'
जागरण संवाददाता, कानपुर : 'प्रत्येक व्यक्ति में कुछ बेहतर कर गुजरने की क्षमता होती है। लेकिन
जागरण संवाददाता, कानपुर : 'प्रत्येक व्यक्ति में कुछ बेहतर कर गुजरने की क्षमता होती है। लेकिन डर आड़े आ जाता है। डर को दूर भगाइए और सपनों की उड़ान को हकीकत में बदलिए। सफलता आपके कदमों को चूमेगी।' ये बात विश्व की सात पर्वत मालाओं को फतह करने वाले सत्यरूप सिद्धांत ने आइआइटी के छात्रों को दी। रविवार को वह संस्थान में मोटिवेशनल (प्रेरक) टॉक दे रहे थे। उन्होंने बताया कि जब वह कक्षा दो में थे, तब उन्हें अस्थमा की समस्या का पता चला। कई बार अस्थमा का अटैक भी आ गया। घरवालों ने काफी देखभाल की। उनका जन्म कोलकाता में हुआ। दो साल की उम्र तक वह परिजनों के साथ इस्लामपुर में रहे। इसके बाद 1985 से 2001 तक उनकी शिक्षा बेहरामपुर, पश्चिम बंगाल में हुई। 2001 में उन्होंने सिक्किम मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। 2005 में बेंगलुरू में नौकरी लग गई। अप्रैल 2008 में साथियों के साथ तमिलनाडू के छोटे से पहाड़ पर्वतमलय गए। वहां जाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। मन में बीमारी का डर भी बना हुआ था। सत्यरूप के मुताबिक वह अपने साथ इन्हेलर लेकर गए। ऊंचाई पर पहुंचकर उन्हें काफी अच्छा लगा। उन्होंने पर्वत मालाओं को फतह करने की प्लानिंग कर ली। उन्होंने आइआइटी के छात्रों को ट्रैकिंग और रॉक क्लाइबिंग के गुर सिखाए। संस्थान में बने साइंस ऑफ क्लाइबिंग में प्रैक्टिस कराई।
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