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Environmental Protection: अनोखा बाग, जहां पेड़ गोद लेकर दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

बाग में देश के दूसरे प्रांतों के साथ ही उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर व देहात बुंदेलखंड के बांदा हमीरपुर फतेहपुर औरैया बदायूं व अंबेडकर नगर आदि जिलों के लोग पेड़-पौधे गोद ले चुके हैं। इनमें अधिकारी समाजसेवी व स्वर्गीय माता-पिता के नाम से पौधे लेने वाले हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Wed, 16 Nov 2022 07:43 PM (IST)
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कानपुर के भीतरगांव ब्लाक के बिरहर गांव स्थित लाइफ गार्डन में पेड़-पौधे। जागरण
शिवा अवस्थी, कानपुर : प्रकृति प्रेम के जज्बे में सगे भाइयों ने नौकरी छोड़ 20 बीघा क्षेत्रफल में अनोखा देसी-विदेशी किस्म के 3,000 पेड़-पौधों वाला लाइफ गार्डन तैयार कर दिया, जहां फलों के साथ पर्यावरण सहेजने के पुण्य की भी पैदावार हो रही है। जगह, समय के अभाव में पौधे लगाने से वंचित रह गए कोलकाता, हैदराबाद, गुजरात, अहमदाबाद, दिल्ली, मध्य प्रदेश समेत देश भर से लोग इन्हें गोद ले रहे हैं। गोद लिए पेड़-पौधों के पास लगीं नाम की तख्तियों का अलग ही रंग दिखता है।

लोगों की प्रतिक्रिया से उपजा विचार

कानपुर के भीतरगांव विकास खंड के गांव बिरहर के निवासी ये सगे भाई हैं हरी मिश्र और ओम मिश्र, जो निजी कंपनियों में कार्यरत रहे। जैविक विधि से तैयार पेड़ों में फल आने शुरू हुए तो कई जिलों से लोग बाग देखने के साथ बागवानी के गुर सीखने पहुंचने लगे। शिक्षिका मां पद्मावती मिश्रा और स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी रहे पिता रामस्वरूप मिश्र की संतान दोनों भाई बाग के माध्यम से पर्यावरण सहेजकर सेहतमंद रहने व दूसरों के लिए जीने की प्रेरणा दे रहे हैं।

हरी बताते हैं कि वर्षों तक नौकरी के दौरान गांव में खेत बंजर हो चले थे, तभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बागवानी के प्रति प्रेरक बातों से वर्ष 2019 में इस दिशा में कदम बढ़ाए। तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी सीपी अवस्थी सहयोगी बने। पौधे बड़े होने पर इंटरनेट मीडिया पर बाग को लेकर पोस्ट डाले तो बहुत से लोगों की टिप्पणी आई कि आपकी कृषि भूमि है, लेकिन हमारे पास तो कोई जगह ही नहीं है। इसलिए यह अनुभव हम नहीं कर सकते। कुछ लोग समय न होने की बात भी कहते। बस यहीं से विचार आया कि लोगों के पर्यावरण प्रेम को पेड़-पौधे गोद देकर पूरा किया जाए। उन्हें बताया कि पौधा लगाएंगे और परिवरिश भी हम करेंगे, उन्हें केवल गोद लेकर पुण्य कमाना है। अब तक 300 से अधिक लोग पौधे गोद लिए जा चुके हैं।

कानपुर के भीतरगांव ब्लाक के बिरहर गांव स्थित लाइफ गार्डन में अंबेडकरनगर निवासी एसडीएम प्रहलाद सिंह का गोद लिया किन्नू का पेड़। जागरण

पंजाब से मंगाए, विदेशी पेड़-पौधे आकर्षण

बाग में पंजाब से लाकर पौधे लगाए गए हैं। इसमें प्रमुख रूप से किन्नू, अमेरिकन डेजी (किन्नू की दूसरी किस्म) मुसम्मी, रेड माल्टा, देशी कागजी नीबू, कटहल, आम, एप्पल बेर, बादाम, नासपाती, बेल, सेब, संतरा, देशी अमरूद, आम और अनार के पेड़-पौधे हैं। लाहौरी नींबू, ताइवानी अमरूद व थाई कटहल आकर्षण का केंद्र हैं। एप्पल बेर, ताइवानी अमरूद पहले वर्ष ही फल देने लगता है, जबकि किन्नू व मुसम्मी, रेड माल्टा तीसरे साल में फल दे रहे हैं। बीते वर्ष 50 हजार रुपये के एप्पल बेर व 20 हजार का नीबू बेच भी चुके हैं। अगले तीन साल बाद बाग से 20 लाख रुपये सालाना आय की उम्मीद है।

कानपुर के भीतरगांव ब्लाक के बिरहर गांव स्थित लाइफ गार्डन में ताइवानी अमरूद के पौधे में लगे फल। जागरण

जन्मदिन पर गोद लेकर काटते केक

बाग में देश के दूसरे प्रांतों के साथ ही उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर व देहात, बुंदेलखंड के बांदा, हमीरपुर, फतेहपुर, औरैया, बदायूं व अंबेडकर नगर आदि जिलों के लोग पेड़-पौधे गोद ले चुके हैं। इनमें अधिकारी, समाजसेवी व स्वर्गीय माता-पिता के नाम से पौधे लेने वाले हैं। कुछ अपने जन्मदिन के मौके पर पौधे गोद लेकर यहीं केक काटने भी पहुंचते हैं। देश भर से लोगों का यह सिलसिला चल रहा है। ओम बताते हैं, केवल नाम की तख्ती लगाने को लेकर 100 से 200 रुपये लेते हैं, जिससे पेड़-पौधे के प्रति लोगों का स्नेह बना रहे। इसे जब तक पेड़ रहेगा-नाम चलेगा, जीवन के रंग, प्रकृति के संग अभियान नाम दिया गया है।

ये किए इंतजाम

बेसहारा गोवंशी और नील गाय को रोकने के लिए 20 बीघा बाग के आसपास बाड़ और जाली लगाई है। सीसीटीवी कैमरे, रोशनी के लिए सौर ऊर्जा, इन्वर्टर, नलकूप की व्यवस्था है।

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